यह तो सभी जानते हैं कि पुर्वाग्रहों के चलते, शांति पुरस्कार के लिए, नोबेल फाउंडेशन ने गांधीजी की अनदेखी की थी। बाद में नोबेल समिति ने अपनी भूल मान भी ली थी। हालांकि सारी कार्यवाही गोपनीय होती है। लेकिन अभी इस समिति ने 1901 से 1956 तक का पूरा ब्योरा सार्वजनिक किया है, जिससे पता चलता है कि इस फाउंडेशन ने भारत के पहले प्रधान मंत्री के नाम को भी गंभीरता से नहीं लिया। वह भी एक-दो बार नहीं, पूरे ग्यारह बार उनके नाम को खारिज किया गया।
1950 में नेहरुजी के नाम से दो प्रस्ताव भेजे गये थे। उन्हें अपनी गुटनिरपेक्ष विदेश नीति और अहिंसा के सिद्धांतो के पालन करने के कारण नामांकित किया गया था। पर उस समय राल्फ बुंचे को फिलीस्तीन में मध्यस्थता करने के उपलक्ष्य में नोबेल शांति पुरस्कार दिया गया। 1951 में नेहरूजी को तीन नामांकन हासिल हुए थे। पर उस बार फ्रांसीसी ट्रेड यूनियन नेता लियोन जोहाक्स को चुन लिया गया था। 1953 में भी नेहरुजी का नाम बेल्जियम के सांसदों की ओर से प्रस्तावित किया गया था, लेकिन इस वर्ष यह पुरस्कार, द्वितीय विश्वयुद्ध में अमेरिकी सेनाओं का नेतृत्व करनेवाले जार्ज सी. मार्शल के हक में चला गया। 1954 में फिर नेहरुजी को दो नामांकन प्राप्त हुए, पर फिर कहीं ना कहीं तकदीर आड़े आयी और इस बार यह पुरस्कार किसी इंसान को नहीं, बल्कि संयुक्त राष्ट्र शरणार्थी उच्चायुक्त कार्यालय के पक्ष में चला गया। अंतिम बार नेहरुजी का नाम 1955 में भी प्रस्तावित किया गया था। परन्तु इस बार यह खिताब किसी को भी ना देकर इसकी राशि पुरस्कार संबंधी विशेष कोष में जमा कर दी गयी थी।
ऐसा तो नहीं था कि गोरे-काले का भेद भाव या फिर एक ऐसे देश, जो वर्षों गोरों का गुलाम रहा हो, का प्रतिनिधित्व करनेवाले इंसान को यह पुरस्कार देना उन्हें नागवार गुजरा हो।
इस ब्लॉग में एक छोटी सी कोशिश की गई है कि अपने संस्मरणों के साथ-साथ समाज में चली आ रही मान्यताओं, कथा-कहानियों को, बगैर किसी पूर्वाग्रह के, एक अलग नजरिए से देखने, समझने और सामने लाने की ! इसके साथ ही यह कोशिश भी रहेगी कि कुछ अलग सी, रोचक, अविदित सी जानकारी मिलते ही उसे साझा कर ज्यादा से ज्यादा लोगों तक पहुंचाया जा सके ! अब इसमें इसको सफलता मिले, ना मिले, प्रयास तो सदा जारी रहेगा !
सदस्यता लें
टिप्पणियाँ भेजें (Atom)
विशिष्ट पोस्ट
रणछोड़भाई रबारी, One Man Army at the Desert Front
सैम मानेक शॉ अपने अंतिम दिनों में भी अपने इस ''पागी'' को भूल नहीं पाए थे। 2008 में जब वे तमिलनाडु के वेलिंगटन अस्पताल में भ...
-
कल रात अपने एक राजस्थानी मित्र के चिरंजीव की शादी में जाना हुआ था। बातों ही बातों में पता चला कि राजस्थानी भाषा में पति और पत्नी के लिए अलग...
-
शहद, एक हल्का पीलापन लिये हुए बादामी रंग का गाढ़ा तरल पदार्थ है। वैसे इसका रंग-रूप, इसके छत्ते के लगने वाली जगह और आस-पास के फूलों पर ज्याद...
-
आज हम एक कोहेनूर का जिक्र होते ही भावनाओं में खो जाते हैं। तख्ते ताऊस में तो वैसे सैंकड़ों हीरे जड़े हुए थे। हीरे-जवाहरात तो अपनी जगह, उस ...
-
चलती गाड़ी में अपने शरीर का कोई अंग बाहर न निकालें :) 1, ट्रेन में बैठे श्रीमान जी काफी परेशान थे। बार-बार कसमसा कर पहलू बदल रहे थे। चेहरे...
-
हनुमान जी के चिरंजीवी होने के रहस्य पर से पर्दा उठाने के लिए पिदुरु के आदिवासियों की हनु पुस्तिका आजकल " सेतु एशिया" नामक...
-
विजयी विश्व तिरंगा प्यारा, झंडा ऊंचा रहे हमारा। हमारे तिरंगे के सम्मान में लिखा गया यह गीत जब भी सुनाई देता है, रोम-रोम पुल्कित हो जाता ...
-
युवक अपने बच्चे को हिंदी वर्णमाला के अक्षरों से परिचित करवा रहा था। आजकल के अंग्रेजियत के समय में यह एक दुर्लभ वार्तालाप था सो मेरा स...
-
"बिजली का तेल" यह क्या होता है ? मेरे पूछने पर उन्होंने बताया कि बिजली के ट्रांस्फार्मरों में जो तेल डाला जाता है वह लगातार &...
-
कहते हैं कि विधि का लेख मिटाए नहीं मिटता। कितनों ने कितनी तरह की कोशीशें की पर हुआ वही जो निर्धारित था। राजा लायस और उसकी पत्नी जोकास्टा। ...
-
अपनी एक पुरानी डायरी मे यह रोचक प्रसंग मिला, कैसा रहा बताइयेगा :- काफी पुरानी बात है। अंग्रेजों का बोलबाला सारे संसार में क्यूं है? क्य...
3 टिप्पणियां:
आश्चर्यजनक जानकारी दी है आपने, आंखें खुल गई हमारी ।
आज भि काले ओर गोरे का भेद भाव तो है ही, यह हमीं है जो आज भी गोरी को अपनी मां बना कर सर पे बिठा रखा हैं, नोवेल फाउंडेशन ने ग्यारह बार नही हर बार की है यह अनदेखी....
धन्यवाद
नेहरू दुत्कारे जाने लायक ही थे, जिसे आदमी छिछोरेपन से पूरी दुनिया वाकिफ थी, उसे तो कोई भी सम्मान नही दिया जाना था। जब वह खुद कहते है कि वह दुर्भाग्य से हिन्दू है। उनकी मानसिकता का पता चल ही जाता है। नेहरू और गांधी दोनो इसी काबिल थे भारतीयो के ऑंखो पर पट्टी बंधी है तभी ये पूजे जाते है बाकी तो पूरा विश्व इनकी कारगुजारियों को जानती है।
एक टिप्पणी भेजें