पहले एक बात कहना चाहता हूं। आम लोगों की तरह, वही कुछ रटे-रटाए श्लोकों को छोड़ (उन्हें भी लिखना पड़े तो शायद पसीना आ जाए) संस्कृत में मेरा हाथ तंग ही है। सो इन नौ दिनों के "संकलन" में यदि कोई गल्ती, गल्ती से हो जाए तो क्षमा करेंगे।
नवरात्र के दूसरे दिन "माँ ब्रह्मचारिणी" की आराधना की जाती है। पुराणों के अनुसार पर्वत राज हिमालय के घर जन्म लेने के बाद नारद मुनी के उपदेश से इन्होंने भगवान शिव को पाने के लिए कठोर तपस्या की थी। पहले कंद मूल फिर शाक और फिर सिर्फ़ जमीन पर टूट कर गिरे बेलपत्रों को ग्रहण करते हुए अहर्निश भगवान शंकर की आराधना करती रहीं। इसके बाद उन्होंने पत्रों का भी त्याग कर दिया, जिससे उनका एक नाम "अपर्णा" भी पड़ा। हजारों साल तक चली इस साधना के कारण तीनों लोकों में हाहाकार मच गया था। उनके इस कृत्य से चारों ओर उनकी सराहना होने लगी थी। इस पर ब्रह्माजी ने उन्हें मनोकामना पूरी होने का वरदान दिया। इसी दुष्कर तपस्या के कारण इनका नाम तपकारिणी अर्थात ब्रह्मचारिणी पड़ा।
माँ दुर्गा का यह रूप भक्तों और सिद्धों को अनंतफल देने वाला है। जीवन के कठिन समय में भी हतोत्साहित ना होने देने वाली, वैराग्यवत साहस देने वाली, सदाचार से जीवन व्यतीत करने वालों का साथ देने वाली, अपने कर्तव्य पथ से विचलित ना होने देने वाली अति दयालु माता हैं।
इस दिन साधक का मन "स्वाधिष्ठान चक्र" में स्थित होता है। योगी उनकी कृपा तथा भक्ती पूर्ण रूप से प्राप्त करता है।
********************************************
दधाना कर पद्माभ्याम अक्षमाला कमण्डलू।
देवी प्रसीदतु मयि ब्रह्मचारिण्यनुत्तमा।।
*********************************************
इस ब्लॉग में एक छोटी सी कोशिश की गई है कि अपने संस्मरणों के साथ-साथ समाज में चली आ रही मान्यताओं, कथा-कहानियों को, बगैर किसी पूर्वाग्रह के, एक अलग नजरिए से देखने, समझने और सामने लाने की ! इसके साथ ही यह कोशिश भी रहेगी कि कुछ अलग सी, रोचक, अविदित सी जानकारी मिलते ही उसे साझा कर ज्यादा से ज्यादा लोगों तक पहुंचाया जा सके ! अब इसमें इसको सफलता मिले, ना मिले, प्रयास तो सदा जारी रहेगा !
सदस्यता लें
टिप्पणियाँ भेजें (Atom)
विशिष्ट पोस्ट
ठेका, चाय की दुकान का
यह शै ऐसी है कि इसकी दुकान का नाम दूसरी आम दुकानों की तरह तो रखा नहीं जा सकता, इसलिए बड़े-बड़े अक्षरों में ठेका देसी या अंग्रेजी शराब लिख उसक...
-
कल रात अपने एक राजस्थानी मित्र के चिरंजीव की शादी में जाना हुआ था। बातों ही बातों में पता चला कि राजस्थानी भाषा में पति और पत्नी के लिए अलग...
-
शहद, एक हल्का पीलापन लिये हुए बादामी रंग का गाढ़ा तरल पदार्थ है। वैसे इसका रंग-रूप, इसके छत्ते के लगने वाली जगह और आस-पास के फूलों पर ज्याद...
-
आज हम एक कोहेनूर का जिक्र होते ही भावनाओं में खो जाते हैं। तख्ते ताऊस में तो वैसे सैंकड़ों हीरे जड़े हुए थे। हीरे-जवाहरात तो अपनी जगह, उस ...
-
चलती गाड़ी में अपने शरीर का कोई अंग बाहर न निकालें :) 1, ट्रेन में बैठे श्रीमान जी काफी परेशान थे। बार-बार कसमसा कर पहलू बदल रहे थे। चेहरे...
-
हनुमान जी के चिरंजीवी होने के रहस्य पर से पर्दा उठाने के लिए पिदुरु के आदिवासियों की हनु पुस्तिका आजकल " सेतु एशिया" नामक...
-
युवक अपने बच्चे को हिंदी वर्णमाला के अक्षरों से परिचित करवा रहा था। आजकल के अंग्रेजियत के समय में यह एक दुर्लभ वार्तालाप था सो मेरा स...
-
विजयी विश्व तिरंगा प्यारा, झंडा ऊंचा रहे हमारा। हमारे तिरंगे के सम्मान में लिखा गया यह गीत जब भी सुनाई देता है, रोम-रोम पुल्कित हो जाता ...
-
"बिजली का तेल" यह क्या होता है ? मेरे पूछने पर उन्होंने बताया कि बिजली के ट्रांस्फार्मरों में जो तेल डाला जाता है वह लगातार ...
-
कहते हैं कि विधि का लेख मिटाए नहीं मिटता। कितनों ने कितनी तरह की कोशीशें की पर हुआ वही जो निर्धारित था। राजा लायस और उसकी पत्नी जोकास्टा। ...
-
अपनी एक पुरानी डायरी मे यह रोचक प्रसंग मिला, कैसा रहा बताइयेगा :- काफी पुरानी बात है। अंग्रेजों का बोलबाला सारे संसार में क्यूं है? क्य...
3 टिप्पणियां:
अच्छी जानकारी है शुक्रिया
शुक्रिया इस महत्वपूर्ण जानकारी के लिए ।
आभार जानकारी के लिए.
एक टिप्पणी भेजें