नवरात्र-पूजन के नवें दिन "मां सिद्धिदात्री" की पूजा का विधान है।मार्कण्डेयपुराण के अनुसार अणिमा, महिमा, गरिमा, लघिमा, प्राप्ति, प्राकाम्य, इशित्व और वशित्व , ये आठ प्रकार की सिद्धियां होती हैं। मां इन सभी प्रकार की सिद्धियों को देनेवाली हैं। इनकी उपासना पूर्ण कर लेने पर भक्तों और साधकों की लौकिक-परलौकिक कोई भी कामना अधुरी नहीं रह जाती। परन्तु मां सिद्धिदात्री के कृपापात्रों के मन में किसी तरह की इच्छा बची भी नही रह जाती है। वह विषय-भोग-शून्य हो जाता है। मां का सानिध्य ही उसका सर्वस्व हो जाता है। संसार में व्याप्त समस्त दुखों से छुटकारा पाकर इस जीवन में सुख भोग कर मोक्ष को भी प्राप्त करने की क्षमता आराधक को प्राप्त हो जाती है। इस अवस्था को पाने के लिए निरंतर नियमबद्ध रह कर मां की उपासना करनी चाहिए।
मां सिद्धिदात्री कमलासन पर विराजमान हैं। इनकी चार भुजाएं हैं। ऊपरवाले दाहिने हाथ में गदा तथा नीचेवाले दाहिने हाथ में चक्र है। ऊपरवाले बायें हाथ में कमल पुष्प तथा नीचेवाले हाथ में शंख है। इनका वाहन सिंह है। देवी पुराण के अनुसार भगवान शिव को भी इन्हीं की कृपा से ही सारी सिद्धियों की प्राप्ति हुई थी। इनकी ही अनुकंपा से शिवजी का आधा शरीर देवी का हुआ था और वे "अर्धनारीश्वर" कहलाये थे।
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सिद्धगन्धर्वयक्षाद्यैरसुरैरमरैरपि ।
सेव्यमाना सदा भूयात सिद्धिदा सिद्धिदायिनी।।
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देखते-देखते मां की विदाई का समय आ गया। आज अपने बच्चों पर आशिषों की वर्षा कर वे अपने धाम चली जाएंगी। भक्तों की आखों में आंसू होंगे पर ऐसा लगेगा जैसे मां कह रही हों कि मैं तुमसे दूर भला कहां हूं। मां अपने बच्चों से अलग कहां रह सकती है। बच्चे ही मां को याद नहीं रखते मां कहां भूल पाती है किसी को।
आईए हम सब मिलकर प्रार्थना करें, कि मां इसी तरह हर साल आ कर हमें स्वस्थ, सुखी, शान्तियुक्त पाती रहें। हम कभी उनके चरणों के ध्यान को ना बिसराएं। आमीन।
इस ब्लॉग में एक छोटी सी कोशिश की गई है कि अपने संस्मरणों के साथ-साथ समाज में चली आ रही मान्यताओं, कथा-कहानियों को, बगैर किसी पूर्वाग्रह के, एक अलग नजरिए से देखने, समझने और सामने लाने की ! इसके साथ ही यह कोशिश भी रहेगी कि कुछ अलग सी, रोचक, अविदित सी जानकारी मिलते ही उसे साझा कर ज्यादा से ज्यादा लोगों तक पहुंचाया जा सके ! अब इसमें इसको सफलता मिले, ना मिले, प्रयास तो सदा जारी रहेगा !
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2 टिप्पणियां:
आईए हम सब मिलकर प्रार्थना करें, कि मां इसी तरह हर साल आ कर हमें स्वस्थ, सुखी, शान्तियुक्त पाती रहें। हम कभी उनके चरणों के ध्यान को ना बिसराएं। आमीन।
' humaree bhee yhee kamna hai'
regards
बहुत ही अच्छा लेख लिखा, आईये हम सब सोचे की इस साल हम ने इन नबरात्रो मे कोन सा अच्छा काम किया, ओर कोन सा प्रण किया है जिस से सब का भल हो, ओर मां हम से खुश हो, ओर मां को भी तसल्ली हो कि मेरे बेटे मेरा कहना मानने लगे है.
धन्यवाद
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