बुधवार, 29 अक्टूबर 2008

हसाईंयां, पूंछ वाली

उपदेश :- जिंदगी में खुश रहना है तो सदा खुदा और बीवी से डर कर रहना चाहिए।
सार :- खुदा को भी कभी किसीने देखा है?
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विज्ञापन :- कैंसर का इलाज़ हमसे करवाएं।
खुलासा :- इसका इलाज़ तो असली डाक्टरों के पास भी नहीं है। पर हम सस्ते में मारते हैं।
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तलाश :- बाबा, कोई ऐसा वशीकरण-मंत्र दो, जिससे मैं अपनी झगड़ालू बीवी को बस में कर सकुं। बच्चा, ऐसा कोई मंत्र मेरे पास होता तो मैं साधू ही क्यों बनता।
सच्चाई :- वैरागी बनने का कारण आस-पास भी हो सकता है।

5 टिप्‍पणियां:

ताऊ रामपुरिया ने कहा…

बीबी से मैं डरता ही नही बल्कि कांपता हूँ ! मरने की इच्छा नही है इसलिए इलाज नही करवाउंगा ! और तीसरा काम हम कर चुके मग्गाबाबा से जाकर मिले ! :)

श्रीकांत पाराशर ने कहा…

Wah saheb, Naye saal men achhe nuskhe bata rahe hain aap bloggers ko.

Udan Tashtari ने कहा…

हा हा!! मजेदार.

Ghost Buster ने कहा…

आपको और आपके समस्त परिवार हम सभी की ओर से दीपावली की हार्दिक शुभकामनाएं. प्रकाशपर्व सभी के जीवन को आलोकित करे, यही कामना है.

(आपका मेल आईडी नहीं पा सका.)

राज भाटिय़ा ने कहा…

भाई बीबी से डरे क्या, बल्कि उस के कदमॊ नै बॆठाना चाहिये , ओर हर सुबह उस की आरती करनी चाहिये मेरी तरह से, आज तो आप ने बहुत ही ग्यान की बाते बाताई,

धन्यवाद

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