गुरुवार, 2 अक्टूबर 2008

नवरात्रि का तीसरा दिन

नवरात्रि के तीसरे दिन, मां दुर्गा की तीसरी शक्ती "मां चंद्रघण्टा" की आराधना की जाती है। इनका यह स्वरुप परम शांति तथा कल्याण प्रदान करने वाला है। इनके शरीर का रंग स्वर्ण के समान है तथा मस्तक पर घंटे के आकार का अर्धचंद्र है, इसीसे इनका नाम "मां चंद्रघण्टा" पड़ा। इनके दस हाथ हैं जिनमें अस्त्र-शस्त्र विभुषित हैं। इनका वाहन सिंह है।
आज के दिन साधक का मन मणिपुर चक्र में प्रविष्ट होता है। मां की कृपा से उसे अलौकिक वस्तुओं के दर्शन तथा दिव्य ध्वनियां सुनाई देती हैं। पर इन क्षणों में साधक को बहुत आवधान रहने की जरुरत होती है। मां चंद्रघण्टा की दया से साधक के समस्त पाप और बाधाएं दूर हो जाती हैं। इनकी आराधना से साधक में वीरता, निर्भयता के साथ-साथ सौभाग्य व विनम्रता का भी विकास होता है। मां का ध्यान करना हमारे इहलोक और परलोक दोनों के लिए परम कल्याणकारी और सद्गति देनेवाला होता है।
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पिण्डजप्रवरारूढा चण्कोपास्त्रकैर्युता ।
प्रसादं तनुते मह्मां चंद्रघण्टेति विश्रुता।।
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1 टिप्पणी:

Udan Tashtari ने कहा…

आभार..इसे जारी रखें.

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