रविवार, 19 अक्तूबर 2008

उसे अपनी माँ से विवाह करना पड़ा था, दुनिया की दर्दनाक कहानियों में से एक

कहते हैं कि विधि का लेख मिटाए नहीं मिटता। कितनों ने कितनी तरह की कोशीशें की पर हुआ वही जो निर्धारित था। राजा लायस और उसकी पत्नी जोकास्टा। इन्होंने भी प्रारब्ध को चुन्नौती दी थी, जिससे जन्म हुआ संसार की सबसे दर्दनाक कथा का।

यूनान में एक राज्य था थीबिज। इसके राजा लायस तथा रानी जोकास्टा के कोई संतान नहीं थी। कफी मिन्नतों और प्रार्थनाओं के बाद उन्हें पुत्र की प्राप्ति हुई थी। पर खुशियां ज्यादा दिन नहीं टिक सकीं। एक भविष्यवक्ता ने भविष्वाणी की कि उनका पुत्र, पित्रहंता होगा और अपनी ही मां से विवाह करेगा। यह जान दोनो आतंकित हो गये और अपने नवजात शिशु के हाथ पैर बंधवा कर उसे सिथेरन पर्वत पर फिंकवा दिया। पर बच्चे की मृत्यु नहीं लिखी हुई थी। जिस आदमी को यह काम सौंपा गया था, वह यह अमानवीय कार्य ना कर सका। उसने पहाड़ पर शिशु को पड़ोसी राज्य, कोरिंथ, के चरवाहे को दे बच्चे की जान बचा दी। उस चरवाहे ने अपने राजा 
पोलिबस, जिसकी कोई संतान नहीं थी, को खुश करने के लिए बच्चे को उसे सौंप दिया। रस्सी से बंधे होने के कारण शिशु के पांव सूज कर कुछ टेढे हो गये थे, जिनको देख कर पोलिबस के मुंह से निकला “ईडिपस” याने सूजे पैरोंवाला और यही नाम पड़ गया बच्चे का।     

समय बीतता गया। ईडिपस जवान हो गया। होनी ने अपना रंग दिखाया। एक समारोह में एक अतिथी ने उसका यह कह कर मजाक उड़ाया कि वह कोई राजकुमार नहीं है। वह तो कहीं पड़ा मिला था। ईडिपस के मन में शक घर कर गया। एक दिन बिना किसी को बताए वह अपोलो के विश्वप्रसिद्ध भविष्य वक्ता से मिलने निकल पड़ा। मंदिर की पुजारिन ने उसे स्पष्ट उत्तर तो दिया नहीं पर एक चेतावनी जरूर दी कि वह अपने पिता की खोज ना करे नहीं तो वह तुम्हारे हाथों मारा जाएगा और तुम अपनी ही मां से शादी करोगे।

ईडिपस यह सुन बहुत डर गया। उसने निर्णय लिया कि वह वापस कोरिंथ नहीं जाएगा। जब इसी उधेड़बुन में वह चला जा रहा था उसी समय सामने से लेयस अपने रथ पर सवार हो उधर से गुजर रहा था। लेयस का अंगरक्षक रास्ते से सबको हटाता जा रहा था। ईडिपस के मार्ग ना देने पर, अंगरक्षक से उसकी तकरार हो गयी, जिससे खुद को अपमानित महसूस कर ईडिपस ने उसकी हत्या कर दी। यह देख लेयस ने क्रोधित हो उस पर वार कर दिया, लड़ाई में लेयस मारा गया। अनजाने में ही सही ईडिपस के हाथों उसके पिता की हत्या हो ही गयी। इसके बाद भटकते-भटकते वह थीबिज जा पहुंचा। वहां जाने पर उसे मालुम पड़ा कि वहां के राजा की मौत हो चुकी है। जिसका फायदा उठा कर स्फिंक्स नामक एक दैत्य वहां के लोगों को परेशान करता रहता है। उसने एक शर्त रखी हुई थी कि जब तक कोई मेरी पहेली का जवाब नहीं देगा तब तक मैं यहां से नहीं जाऊंगा। उसकी उपस्थिति का मतलब था मौत, अकाल और सूखा। राज्य की ओर से घोषणा की गयी थी कि इस मुसीबत से जो छुटकारा दिलवाएगा उसे ही यहां का राजा बना दिया जाएगा तथा उसीके साथ मृत राजा की रानी की शादी भी कर दी जाएगी। ईडिपस ने यह घोषणा सुनी, उसने वापस तो लौटना नहीं था, एक अलग राज्य पा जाने का अवसर मिलते देख उसने पहेली का उत्तर देने की इच्छा जाहिर कर दी। उसे स्फिंक्स के पास पहूंचा दिया गया। डरावना स्फिंक्स उसे घूर रहा था पर इसने बिना डरे उससे सवाल पूछने को कहा। स्फिंक्स ने पूछा कि वह कौन सा प्राणी है जो सुबह चार पैरों से चलता है, दोपहर में दो पैरों से और शाम को तीन पांवों पर चलता है और वह सबसे ज्यादा शक्तिशाली अपने कम पांवों के समय होता है। ईडिपस ने बिना हिचके जवाब दिया कि वह प्राणी इंसान है। जो अपने शैशव काल में चार पैरों पर, जवानी यानि दोपहर में दो पैरों पर और बुढ़ापे में लकड़ी की सहायता से यानी तीन पैरों से चलता है। इतना सुनना था कि स्फिंक्स वहां से गायब हो गया। थीबिज की जनता ने राहत की सांस ली। घोषणा के अनुसार ईडिपस को वहां का राजा बना दिया गया और रानी जोकास्टा से उसका विवाह कर दिया गया।

होनी का खेल चलता रहा। दिन बीतते गये। ईडिपस सफलता पूर्वक थीबिज पर राज्य करता रहा। प्रजा खुशहाल थी। पूरे राज्य में सुख-शांति व समृद्धि का वातावरण था। यद्यपि रानी जोकास्टा ईडिपस से उम्र में काफी बड़ी थी फिर भी दोनों में अगाध प्रेम था। इनकी चार संतानें हुयीं। बच्चे जब जवान हो गये तो समय ने विपरीत करवट ली। राज्य में महामारी फैल गयी। लोग कीड़े-मकोंड़ों की तरह मरने लगे। तभी देववाणी हुई कि इस सब का कारण राजा लेयस का हत्यारा है। दुखी व परेशान जनता अपने राजा के पास पहुंची। ईडिपस ने वादा किया कि वह शीघ्र ही लेयस के हत्यारे को खोज निकालेगा। उसने राज्य के प्रसिद्ध भविष्यवक्ता टाइरसीज को आमंत्रित कर समस्या का निदान करने को कहा। टाइरसीज ने कहा, राजन कुछ चीजों का पता ना लगना ही अच्छा होता है। सच्चाई आप सह नहीं पायेंगें। पर ईडिपस ना माना उसने कहा प्रजा की भलाई के लिए मैं कुछ भी सहने को तैयार हूं । जब टाइरसीज फिर भी चुप रहा और ईडिपस के सारे निवेदन बेकार गये तो ईडिपस को गुस्सा आ गया और उसने टाइरसीज और उसकी विद्या को ही ठोंग करार दे दिया। इससे टाइरसीज भी आवेश में आ गया। उसने कहा कि आप सुनना ही चाहते हैं तो सुनें, आप ही राजा लेयस के हत्यारे हैं। वर्षों पहले आपने मार्ग ना छोड़ने के कारण जिसका वध किया था वही राजा लेयस आपके पिता थे। ईडैपस को सब याद आ गया। उसने चिंतित हो रानी से पूछ-ताछ की तो उसने विस्तार से अपनी बीती जिंदगी की सारी बातें बताईं कि राजा की मौत अपने ही बेटे के हाथों होनी थी। पर आप चिंता ना करें हमारा एक ही बेटा था जिसे राजा ने उसके पैदा होते ही मरवा दिया था। जोकास्टा ने ईडिपस को आश्वस्त करने के लिए उस आदमी को बुलवाया जिसे शिशु को मारने की जिम्मेदारी दी गयी थी। पर इस बार वह झूठ नहीं बोल पाया और उसने सारी बात सच-सच बता दी। रानी जोकास्टा सच जान पाप और शर्म से मर्माहत हो गयी। इतने कटु सत्य को वह सहन नहीं कर पायी। उसने उसी वक्त आत्महत्या कर ली। ईडिपस देर तक रानी जोकास्टा के शव पर यह कह कर रोता रहा कि तुमने तो अपने दुखों का अंत कर लिया, लेकिन मेरी सजा के लिए मौत भी कम है। उसी समय ईडिपस ने अपनी आंखें फोड़ लीं और महल से निकल गया। कुछ ही समय में उसका पूरा परिवार नष्ट हो गया क्योंकि वह भी उसी पाप की उत्पत्ति था, जो भाग्यवश अनजाने में हो गया था।

शायद यह दुनिया की सबसे दर्दनाक कहानी है।

23 टिप्‍पणियां:

बेनामी ने कहा…

दर्दनाक कहानी

राज भाटिय़ा ने कहा…

एक सुन्दर लेकिन दर्द नाक कहानी
धन्यवाद

मोहन वशिष्‍ठ ने कहा…

very immotional and sad story but very PRERNADAYAK

P.N. Subramanian ने कहा…

इतिहास के ऐसे अंजान घटनाओं को प्रकाश में लाने के लिए आभार.

http://mallar.wordpress.com

योगेन्द्र मौदगिल ने कहा…

oh
Bhagya kaise kaise khel karta hai...

बाल भवन जबलपुर ने कहा…

अदभुत कथानक अच्छी पोस्ट के लिए शुभकामनाएं आभार

makrand ने कहा…

great work u have done
regards

बेनामी ने कहा…

कैसे कैसे दिन दिखलाता है ये समय …

काफी भावुक लगी

कडुवासच ने कहा…

... अदभुत किंतु सत्य घटना है, प्रकाशन के लिये आप प्रसंशनीय हैं।

बेनामी ने कहा…

wah pal kaisaa hogaa jab sachchaii muh baaye saamane aa khadi hui hogee.

बेनामी ने कहा…

very emotional...

Unknown ने कहा…

Thanks for post this

Unknown ने कहा…

Very sad story
😭

अरुण केवट पेंड्रा ने कहा…

राजा की आज्ञा का पालन न करने का परिणाम।

Unknown ने कहा…

bahut Hi Dukhad Story

गगन शर्मा, कुछ अलग सा ने कहा…

Unknown यदि Known बन कर मित्र बनें तो क्या ही अच्छा हो

Rahul Verma ने कहा…

Very imotionational and nice story

गगन शर्मा, कुछ अलग सा ने कहा…

अरुण जी
राजाज्ञा तो थी पर भाग्य की प्रबलता भी अपनी जगह थी

गगन शर्मा, कुछ अलग सा ने कहा…

श्याम जी
साथ ही बहुद दुखद भी

गगन शर्मा, कुछ अलग सा ने कहा…

राहुल जी
हार्दिक धन्यवाद

गगन शर्मा, कुछ अलग सा ने कहा…

मकरंद जी
हार्दिक धन्यवाद

Unknown ने कहा…

वर्तमान में इस घटना को प्रकाश में लाने का श्रेय मनोविज्ञान के मनोविश्लेषणवाद और सिगमंड फ्रायड को जाता है। ईडिपस कांपलेक्स के कारण शैशव काल में एक बालक आज भी अपनी मां से अधिक प्रेम करता है।

गगन शर्मा, कुछ अलग सा ने कहा…

Unknown ji
अपन साक्षात बात करें तो और भी उत्तम होगा।
आने का आभार

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