गुरुवार, 11 दिसंबर 2025

भाषाएं, हमें गर्व है इन पर

हर स्कूल में शुरूआती दौर से ही उस क्षेत्र की स्थानीय भाषा के अलावा दो अन्य क्षेत्रों की भाषाएं सीखाने का भी प्रावधान निश्चित तौर पर हो ! देशवासी जितना हो सके अपनी भाषा के अलावा दूसरे प्रांतों की भाषा को भी सीखें ! इंसान तो जितनी भाषाएं सीख सके उतना ही अच्छा है ! हिंदी भाषी तमिल सीखे ! कन्नड़ भाषी पंजाबी जाने ! बांग्ला बोलने वाला पंजाबी समझे ! ओड़िसा में रहने वाले के लिए भोजपुरी समझना मुश्किल ना हो, तो एक दूसरे को समझने का मौका और भाईचारा बढ़ने के साथ-साथ रोजगार के अवसरों में भी निश्चित तौर पर बढ़ोत्तरी होगी.............! 

#हिन्दी_ब्लागिंग 

संस्कृत ! हजारों साल पुरानी भाषा ! जिसका अभी भी अस्तित्व है ! पर विडंबना है कि उसी के बारे में तमिलनाडु के उप-मुख्यमंत्री उदयनिधि स्टालिन ने कह दिया कि ''संस्कृत एक मृत भाषा है !'' उस कथन को लेकर व्यर्थ सर खपाने से कोई फायदा नहीं है, ऐसे कुंठित और पूर्वाग्रही लोग अपने हित, अपने स्वार्थ के लिए देश, समाज, धर्म, भाषा को बदनाम करते ही रहते हैं ! इनके अलावा दसियों भाषाएं और भी हैं, यदि उनको बोलने वाले भी अपनी-अपनी भाषा को श्रेष्ठ तथा दूसरी को हीन बताने लग जाएं तो ?  उलटे हमें तो गर्व होना चाहिए कि हमारे पास इतनी समृद्ध और सक्षम भाषाएं हैं, जिनमें संसार की सबसे पुरानी तथा जीवित भाषाएं भी सम्मिलित हैं ! 

बात संस्कृत की, जो एक ऐसी “परिमार्जित” भाषा है जिसे भारत के प्राचीन ऋषियों ने अपने विचारों को बेहद सटीक और परिष्कृत तरीके से लोगों तक पहुंचाने के लिए विकसित किया था। संस्कृत वेदों, उपनिषदों और भगवद गीता सहित भारतीय साहित्य के कई महान कार्यों की भाषा रही है। आज वैज्ञानिक इसे कम्प्यूटर और AI के लिए सबसे उपयुक्त भाषा मानते हैं ! ऐसा भी नहीं है कि लोगों ने इसका उपयोग करना बिलकुल बंद कर दिया है, 2011 की जनगणना के अनुसार, भारत में हजारों लोग अभी भी संस्कृत को अपनी मातृभाषा के रूप में प्रयोग करते हैं तथा इसे मुख्य भाषा भी मानते हैं ! 


संसार की सबसे पुरानी दो भाषाएं हैं, पहली संस्कृत तथा दूसरी तमिल ! शोध बताते हैं कि संसार में हाल के वर्षों में संस्कृत के अध्ययन में लोगों की रुचि और ध्यान बढ़ रहा है, क्योंकि दुनिया भर के लोगों में इसके सांस्कृतिक महत्व में दिलचस्पी बढ़ी है। इससे संस्कृत बोलने वालों का एक नया वर्ग उभरा है जो भाषाओं को संरक्षित और बढ़ावा देने का काम कर रहा है ! दूसरी सबसे पुरानी जीवित भाषा है तमिल, जो आज भी करोड़ों लोगों द्वारा उपयोग में लाई जा रही है ! हमें तो इन दोनों पर तो क्या, अपनी हर भाषा पर गर्व है, होना भी चाहिए, इतनी विविधता तथा व्यापकता और कहां है ! 

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पर कुछ लोग इन्हीं बातों को विवादित बना समाज में द्वेष फैलाने का काम करते हैं ! ऐसे लोगों का षड्यंत्र खत्म करने का एक सटीक उपाय यह है कि हर स्कूल में शुरूआती दौर से ही उस क्षेत्र की स्थानीय भाषा के अलावा दो अन्य क्षेत्रों की भाषाएं सीखाने का भी प्रावधान निश्चित तौर पर हो ! देशवासी जितना हो सके अपनी भाषा के अलावा दूसरे प्रांतों की भाषा को भी सीखें ! 

भाषाएं 
इंसान तो जितनी भाषाएं सीख सके, उतना ही अच्छा है ! हिंदी भाषी तमिल सीखें ! कन्नड़ भाषी पंजाबी जाने ! बांग्ला बोलने वाला पंजाबी समझे ! ओड़िसा में रहने वाले के लिए भोजपुरी समझना मुश्किल ना हो ! ऐसा हो जाए तो एक दूसरे को समझने का मौका और भाईचारे के बढ़ने के साथ-साथ रोजगार के अवसरों में भी निश्चित तौर पर बढ़ोत्तरी होगी ! सरकार और शिक्षा विभाग यदि इस बात पर गौर कर कोई ठोस कदम उठाए, तो कई परेशानियां अपने आप खत्म हो जाएंगी !

जय हिंद 
आज भाषा की बात उठी है, तो क्या किसी का ध्यान एक ऐसी विदेशी भाषा की तरफ भी गया है जिसे हमारे देश में कोई नहीं जानता, फिर भी उसका उपयोग धड़ल्ले से डॉक्टरों के नुस्खों में होता है ! जिसे समझना आम इंसान के वश की बात ही नहीं है ! जिसे तकनीकी रूप से एक मृत भाषा मान लिया गया है ! जिसे अब कोई भी अपनी पहली भाषा (mother tongue) के रूप में नहीं बोलता ! जी हाँ ! लैटिन ! इस भाषा का अपने देश में क्या औचित्य है, कोई नहीं बता सकता ! फिर भी जो चला आ रहा है, वह चला आ रहा है ! स्टालिन जैसे लोग इसका विरोध क्यों नहीं करते ? या फिर अपनी भाषा को दूसरे राज्यों में पढ़वाने के लिए उद्यम क्यों नहीं करते ? 

@सभी चित्र अंतर्जाल के सौजन्य से 

शुक्रवार, 5 दिसंबर 2025

नाम में बहुत कुछ रखा है 😇

संयोगवश, कांग्रेस के प्रतिनिधित्व वाले इस इलाके में 9 और 11 दिसंबर को होने वाले केरल के पंचायत चुनावों में कांग्रेस के सबसे बड़े नेताओं में से एक श्रीमती सोनिया गाँधी का नामधारी BJP का उम्मीदवार बन सीधे कांग्रेस के उम्मीदवार से ही मुकाबला कर रहा है। उधर हमारे बंगाल में TMC के दो विधायकों का एक ही नाम, हुमायूं कबीर होने से वहां अफरा-तफरी का माहौल है, लोग असमंजस में हैं, क्योंकि नाम में बहुत कुछ रखा है भाई ............!

#हिन्दी_ब्लागिंग 

नाम में क्या रखा है ! ऐसा लिखने-कहने वाला भी अपनी हर रचना के नीचे अपना नाम जरूर लिखता था ! नाम में बहुत कुछ रखा है, इसीलिए हमारे यहां इसे संस्कारों में स्थान दिया गया है ! अभी भी बहुत से स्थानों में नामकरण संस्कार बड़े समारोह से किए-मनाए जाते हैं ! पर समय भी तो बदल रहा है, उसके साथ ही मान्यताएं, आस्थाए, परम्पराएं भी बदल रही हैं ! नामकरण भी इनसे अछूता नहीं रह पाया है ! अब अजीबोगरीब, अर्थहीन, परिस्थिति, प्रेरणा मूलक नाम रखे जाने लगे हैं ! जो आगे चल कर कभी-कभी नामधारक के लिए भी असामान्य या हास्यास्पद स्थिति उत्पन्न कर देते हैं ! 

आज आ कर देखो  
अभी एक खबर आई कि श्रीमती सोनिया गांधी बीजेपी की टिकट पर केरल के मुन्नार जिले के नल्लथन्नी इलाके से पंचायत का चुनाव लड़ेंगी ! सभी को लगा कि ऐसे ही भ्रामक या पीत पत्रकारिता के तहत अफवाह होगी ! फिर खोज-खबर ली जाने लगी और जब सच्चाई सामने आई तो पता चला कि खबर में नाम तो सही है पर व्यक्ति कोई और है ! 
मुन्नार की सोनिया गाँधी 
हुआ क्या कि केरल के आगामी पंचायत चुनावों में BJP ने केरल के मुन्नार में पंचायत चुनाव के लिए नल्लथन्नी वार्ड से जिसे प्रत्याशी बनाया है उनका नाम भी सोनिया गांधी है, जो कांग्रेस और CPI(M) के खिलाफ लोकल पंचायत चुनाव लड़ रही हैं। उनके पिता, स्वर्गीय दुरे राज, जो एक समर्पित कांग्रेसी कार्यकर्त्ता थे तथा तत्कालीन कांग्रेस प्रेसिडेंट श्रीमती सोनिया गांधी से बहुत प्रभावित थे, उन्होंने अपनी बेटी का नाम सोनिया गांधी रख दिया ! जो वहां के लोगों के लिए बहुत दिनों तक कौतुक का विषय भी बना रहा !
प्रचार 
मय का खेल, इन सोनिया जी की शादी सुभाष जी से हुई जो BJP पंचायत जनरल सेक्रेटरी हैं ! धीरे-धीरे सोनिया जी खुद भी BJP की विचारधारा से सहमत होती हुईं उसमें शामिल हो गईं। अब उन्हीं नल्लथन्नी कल्लर की 34 साल की सोनिया गांधी को BJP ने मुन्नार पंचायत के नल्लथन्नी वार्ड 16 से नॉमिनेट किया है। एक ही झटके में वे पूरे देश में प्रसिद्ध हो गईं ! किस्मत का खेल !
बताओ भला 
संयोगवश, कांग्रेस के प्रतिनिधित्व वाले इस इलाके में 9 और 11 दिसंबर को होने वाले केरल के पंचायत चुनावों में कांग्रेस के सबसे बड़े नेताओं में से एक श्रीमती सोनिया गाँधी का नामधारी, BJP का उम्मीदवार बन, सीधे कांग्रेस के ही उम्मीदवार से मुकाबला कर रहा है। अब देखने वाली रोचक बात यह है कि क्या सोनिया गांधी का नाम BJP के लिए फायदेमंद साबित होगा या वोटरों को सिर्फ भ्रमित करेगा ! परिणाम जो भी हो पर इस चुनाव ने एक ऐसे नाटिका का मंचन कर दिया है जिसके रिजल्ट का सभी को इंतजार रहेगा !
सच है 
परोक्त चुनाव के रिजल्ट के प्रतीक्षा के बीच ही एक और नाम में बहुत कुछ रखा है वाली बात हो गयी ! अपने बंगाल में दो-दो हुमायूं कबीरों को लेकर अफरा-तफरी मच गई ! मजे की बात यह कि दोनों TMC पार्टी के विधायक हैं ! एक मुर्शिदाबाद जिले से तो दूसरा डेबरा इलाके से ! कुछ दिनों पहले मुर्शिदाबाद वाले विधायक हुमायूं कबीर ने अपना एक धर्मस्थल बनवाने की घोषणा कर दी ! लोगों और समाज की ओर से पैसे और सहायता आनी शुरू हो गई !  
वही हो ना 
रेशानी तब शुरू हुई जब डेबरा वाले हुमायूं कबीर के फोन की घंटी इसी बाबत लगातार बजने लगी ! दूर-दूर से, अन्य परदेशों से लोग पैसा भेजने के लिए उससे बैंक एकाउंट न. या क्यू.आर कोड मांगने लगे ! वह बताते-बताते परेशान हो गया कि भाई मैं वो वाला हुमायूं कबीर नहीं हूँ ! वो मुर्शिदाबाद वाला हुमायूँ है, जिसे आप खोज रहे हैं ! पर फोन की घंटी है कि बजे जा रही है, बजे जा रही है ! क्योंकि उसके लिए तो नाम ही  कुछ रखा है ! 

@आभार अंतर्जाल 

मंगलवार, 2 दिसंबर 2025

राम जी के अटके काम ना होते, जो उनके साथ हनुमान ना होते (विडियो सहित)

पढ़ने-सुनने में यह सब बातें बहुत अजीब लगती हैं पर ये सब घटी हैं ! उन दिनों हुई इन घटनाओं का जिक्र मीडिया में कभी नहीं हुआ, क्योंकि अयोध्या बहुत संवेदनशील स्थान था और सुरक्षा और गोपनीयता के कारण ये इन सब बातों का कहीं भी जिक्र नहीं किया गया। वैसे भी जिनको सनातन में आस्था है, उनके लिए यह सब कोई बहुत चकित करने वाली बातें नहीं हैं ! क्योंकि उनको प्रभु पर भरोसा है ! उनका अटूट विश्वास है कि प्रभु सदा धर्म और धर्मालम्बियों की रक्षा करते आए हैं और करते रहेंगे ! उधर जो सूर्य और उसके प्रकाश को देखते-महसूस करते हुए भी उसके अस्तित्व का प्रमाण मांगते हों, यह विवरण उनके लिए है भी नहीं ..............!!   

#हिन्दी _ब्लागिंग 
भ्यास पिछले दिनों 25 नवम्बर को दोपहर के शुभ अभिजीत मुहूर्त में अयोध्या के श्री राम मंदिर का ध्वजारोहण के साथ ही मंदिर निर्माण कार्य संपन्न हुआ ! पर इस पुनीत उपक्रम में देश के विभिन्न दलों, लोगों द्वारा जो अड़चने डाली गईं, बाधाऐं खड़ी की गईं, एड़ी-चोटी का जोर लगा दिया गया कि मंदिर निर्माण ना होने पाए, उसके बावजूद यदि वर्षों-वर्ष से करोड़ों लोगों का यह सपना पूरा हुआ है तो निश्चित रूप से इसके पीछे किसी दैवीय शक्ति का हाथ है, बिना उसकी सहायता के आज की आसुरी ताकतों को परास्त करना असंभव था ! और वह हाथ किसका हो सकता है इसका अंदाज लगाना बिलकुल मुश्किल नहीं है, सभी जानते हैं कि श्री राम का कोई भी काम बिना हनुमान जी के संभव नहीं हुआ था ! यहां भी ऐसा ही हुआ !
राम काज करिबे को आतुर 
 भक्तों की अटूट आस्था का प्रतीक
   
जय श्री राम 
राम मंदिर निर्माण में भी अनगिनत अड़चने डाली गईं, यहां तक कि उन्हें काल्पनिक कथा चरित्र तक कह दिया गया ! रामायण पर सवाल उठाए गए ! अयोध्या के जन्मस्थली होने के प्रमाण मांगे गए ! पर विज्ञ साधू-संतों-विद्वानों-वकीलों के साथ-साथ पुरात्तव विभाग की भी सराहना करनी पड़ेगी, जिन्होंने अपने अकाट्य प्रमाणों के सहारे सारे षड्यंत्र विफल कर दिए ! इन्हीं सुधि जनों में से कइयों ने यह रहस्योद्घाटन किया कि मुकदमे और निर्माण के दौरान उन्हें ऐसा अहसास होता रहा कि हनुमान जी राम काज करने को आतुर हैं और उनकी कृपा सतत बनी हुई है !  
राम भक्त, पवन पुत्र 
स्था के कुछ ऐसे उदाहरण हैं जिनको सुन कर कोई भी हैरान रह जाएगा ! ये ऐसे चमत्कार हैं जिनका उल्लेख सरकारी दस्तावेजों में मौजूद है ! इनमें पहली बात, 1,फरवरी1986 को जब फैजाबाद कोर्ट में अयोध्या से जुड़े एक मामले की सुनवाई चल रही थी तो सुनवाई कर रहे, जिला जज कृष्ण मोहन पांडे ने महसूस की ! उन्होंने लिखित रूप से बताया कि मुकदमे के दौरान कहीं से एक काले मुंह का वानर कोर्ट में आ गया और जब तक मंदिर के पक्ष में फैसला नहीं हो गया, तब तक वह वहीं कोर्ट परिसर में मौजूद रहा ! इतना ही नहीं फैसला आने पर वह उन जज साहब के घर तक पहुंच गया, जैसे धन्यवाद देने आया हो। 
TV
जा पर कृपा श्री राम की होई 

मामले के दौरान आस्था के सबसे बड़े केंद्र अयोध्या पर आतंकी हमलों का खतरा निरंतर बना रहता था ! ऐसे कई उपक्रमों से अयोध्या को वानरों ने बचाया था ! ये घटनाएं खुद पुलिस के अधिकारीयों ने बयान की हैं ! सन 1998 में एक बार आतंकियों द्वारा हनुमान गढ़ी में 18 किलो RDX लगाने की खबर पर पुलिस, बम निरोधक टुकड़ी तथा तमाम सुरक्षा एजेंसियां ने तुरंत वहां पहुंच मंदिर खाली करवा लिया ! उस समय के इंचार्ज, इंस्पेक्टर अविनाश मिश्रा के अनुसार बम निरोधक दस्ते को लगा कि उन्होंने सारे बम निष्क्रिय कर दिए हैं ! पर तभी वहां बम डिस्पोजल दस्ते की यूनिफॉर्म पहने एक आतंकी भी पकड़ा गया, जिससे पता चला कि एक बम अभी भी कहीं लगा हुआ है ! सारा परिसर छान मारा गया पर कोई सुराग नहीं मिला ! समय निकलता जा रहा था, दहशत बढ़ती जा रही थी कि तभी  वहां लगे वाटर कूलर पर एक वानर दिखलाई पड़ा जो बम की तार को अपने दांतों से काट रहा था, बम निष्क्रिय हो चुका था ! जो बम मिल नहीं रहा था उसे एक वानर ने ना बल्कि खोजा और उसे खत्म भी कर दिया ! उस दिन सभी लोगों ने इसे हनुमान जी की कृपा माना, जिन्होंने एक बड़े हादसे को टलवा दिया !  
विश्वास करें या ना करें, पर ऐसा हुआ था 

बचाव अभियान 
योध्या के हालातों को देखते हुए वहां कई बार मॉक-ड्रिल की जाती रही है। ऐसे ही राम जन्म भूमि परिसर के पास, 29 मई 2020 को हुए एक पूर्वनियोजित अभ्यास में एक वानर आया और नकली बम को ले कर भाग गया और एक मंदिर के शिखर पर बैठ उसको तहस-नहस कर दिया ! शयद उसे लगा हो कि यह भी असली बम है जो लोगों को नुक्सान पहुंचा सकता है ! 
विघ्नहर्ता 
योध्या के चमत्कारों का जिक्र मंदिर का अंतिम फैसला सुनाने वाले पूर्व चीफ जस्टिस रंजन गोगई भी अपनी पुस्तक ''जजटिस फॉर द जज'' में कर चुके हैं ! उन्होंने लिखा है कि कोई दैवीय शक्ति उन्हें इस केस जल्द को खत्म करने करने के लिए प्रेरित कर रही थी ! आश्चर्य की ही तो बात है कि तीन महीने की उस सुनवाई के दौरान उससे जुड़े किसी भी व्यक्ति ने अवकास नहीं लिया ना ही कोई बीमार पड़ा और नहीं कोई अड़चन आई ! 
जज श्री कृष्ण मोहन पांडे 
पूर्व चीफ जस्टिस श्री रंजन गोगोई 
                                        

इंस्पेक्टर श्री अविनाश मिश्रा 
ढ़ने-सुनने में यह सब बातें बहुत अजीब लगती हैं पर ये सब घटी हैं ! उन दिनों हुई इन घटनाओं का जिक्र मीडिया में कभी नहीं हुआ, क्योंकि अयोध्या बहुत संवेदनशील स्थान था और सुरक्षा और गोपनीयता के कारण ये इन सब बातों का कहीं भी जिक्र नहीं किया गया। वैसे भी जिनको सनातन में आस्था है, उनके लिए यह सब कोई बहुत चकित करने वाली बातें नहीं हैं ! क्योंकि उनको प्रभु पर भरोसा है ! उनका अटूट विश्वास है कि प्रभु सदा धर्म और धर्मालम्बियों की रक्षा करते आए हैं और करते रहेंगे ! उधर जो सूर्य और उसके प्रकाश को देखते महसूस करते हुए भी उसके अस्तित्व का प्रमाण मांगते हों, उनके लिए यह सब बातें हैं भी नहीं !

@संदर्भ - श्री सुशांत सिन्हा, 
@सभी चित्र अंतर्जाल के सौजन्य से 

रविवार, 23 नवंबर 2025

अथ "पूले" कथा, सबका विकास, सबका ख्याल 😇

किसी ने भी उनकी वेदना पर कभी ध्यान नहीं दिया और इनके कामों को पुजारियों के कार्यों का एक हिस्सा समझ भूला दिया जाता रहा ! पर एक व्यक्ति ऐसा भी था जो इन्हें नहीं भूला ! उसने बनारस के मंदिरों के पुजारियों के इस कठिन कार्यों को देखा ! विपरीत परिस्थितियों में भी बिना शिकायत अपने कार्य सम्पन्न करते इन श्रद्देय लोगों की सहनशक्ति को नमन किया ! दैनिक कार्यों के प्रति उनके समर्पण, आस्था, निष्ठा को समझा ! पर इसके साथ ही उससे जुड़े कष्टों को भी महसूस किया..............!      

#हिन्दी_ब्लागिंग    

मारे देश में सैकड़ों प्राचीन मंदिर हैं जो आस्था के केंद्र हैं ! लाखों-लाख लोगों का तांता लगा रहता है यहां दर्शनों के लिए ! हर समय श्रद्धालु, भक्त, पर्यटकों की भीड़ लगी रहती है ! लोग आते-जाते रहते हैं, अपनी इच्छाओं, मनोकामनाओं, अपने अरमानों की पूर्ति के लिए ! पर शायद ही उनका ध्यान कभी उन पुजारियों की तरफ भी जाता हो, जो उनकी कार्यसिद्धि का माध्यम बनते हैं ! जिनके बिना कोई भी पूजा सम्पन्न होना संभव ही नहीं है ! जो हमारी संस्कृति के रक्षक, हमारी सनातन परंपरा के संवाहक और हमारे धर्म के संरक्षक हैं ! जो बिना नागा वर्षों-वर्ष से कठिन व विपरीत परिस्थितियों में, कहीं-कहीं माइनस तापमान में भी, कठिन नियमों का पालन करते हुए, सुबह 3 बजे स्नान करके बर्फ समान ठंडे फर्श पर चलकर मंदिरों में पूजा-अर्चना करते आ रहे हैं । इन्हें आजीवन कठोर नियमों का पालन करना होता है। 

बर्फ पर नंगे पैर पूजा को जाते बद्रीनाथ मंदिर के पुजारी 
पर किसी ने भी उनकी वेदना पर कभी ध्यान नहीं दिया और इनके कामों को पुजारियों के कार्यों का एक हिस्सा समझ भूला दिया जाता रहा ! पर एक व्यक्ति ऐसा भी था, जिसने इनकी तकलीफों को देखा, कष्टों को समझा तो फिर उन्हें भूला नहीं  ! उसने बनारस के मंदिरों के पुजारियों के कठिन कार्यों को देखा ! विपरीत परिस्थितियों में भी बिना शिकायत अपने कार्य सम्पन्न करते इन श्रद्देय लोगों की सहनशक्ति को नमन किया ! दैनिक कार्यों के प्रति उनके समर्पण, आस्था, निष्ठा को समझा ! पर साथ ही उससे जुड़े कष्टों, कठिनाइयों को भी महसूस किया ! वह व्यक्ति था देश का प्रधान मंत्री श्री नरेंद्र मोदी ! 

स्नान-ध्यान 

पूजारत 
पुजारियों की इस तकलीफ को कुछ हद तक दूर करने के लिए उन्होंने हिमाचल प्रदेश के पूर्व मुख्य मंत्री श्री जयराम ठाकुर से सम्पर्क कर वहां सर्दियों में पैरों में पहने जाने वाले पूलों की अपनी आवश्यकता के बारे में बताया ! ये पूले भांग के रेशों से बनी खास जूतियां होती हैं, जो पैरों को ठंड से तो बचाती ही हैं, साथ ही वनस्पति से बनी होने के कारण पूरी तरह प्राकृतिक और शुद्ध भी मानी जाती हैं। इसीलिए इन्हें पवित्र स्थानों पर धारण करने की अनुमति होती है ! प्रधानमंत्री मोदी ने यह विशेष जूतियां इसलिए मंगवाईं क्योंकि काशी विश्वनाथ मंदिर के पुजारियों को प्रातः और संध्या पूजा के समय बर्फ समान, रक्त जमा देने वाले ठंडे फर्श पर नंगे पैरों खड़ा होना पड़ता है। सर्द मौसम में यह स्थिति और कठिन हो जाती है। उन्होंने इस बात की कभी शिकायत नहीं की, पर मोदी ने बिना कहे उनके कष्ट को समझा और उसके निवारण की कोशिश की ! ये बात उनके अपने देश और देशवासियों के प्रति कर्तव्य की समझ, चिंता, जागरूकता को तो दर्शाती ही है साथ ही यह भी बताती है कि छोटी-छोटी बातें भी उनसे नजरंदाज नहीं हो पातीं ! 

आराधना 
प्रधान मंत्री जी की इस बात का खुलासा, खुद हिमाचल प्रदेश के पूर्व मुख्य मंत्री श्री जयराम ठाकुर ने एक विडिओ जारी कर किया है ! उन्होंने जो बात बताई वह जात-पात, भाषा-राजनीती से बहुत ऊपर है ! वह बात है इंसानियत की ! वह बात है दूसरों के कष्टों को समझने की ! वह बात है दूसरों की तकलीफों को दूर करने की चाहत की ! उस विडिओ का लिंक नीचे दिया हुआ है !

https://www.ndtv.com/video/pm-orders-traditional-himachali-poole-slippers-for-kashi-priests-pays-personally-997198

न्होंने बताया कि प्रधानमंत्री मोदी ने स्वयं उन्हें फोन कर इन जूतियों की व्यवस्था करने को कहा था। इसी के तहत उन्होंने अपने इलाके में सक्रिय महिला समूहों से संपर्क कर करीब 250 जोड़ी पूले काशी भेजे। दिलचस्प बात यह रही कि जब बिल नहीं भेजा गया तो प्रधानमंत्री ने दोबारा फोन कर भुगतान की याद दिलाई और बाद में खुद अपने निजी खाते से 24 हजार रुपये महिला समूहों को भेजे। इससे दोहरा फायदा हुआ, पुलों से पुजारियों को ठंड से तो राहत मिली ही साथ ही उन मेहनतकश सक्रीय महिला समूहों की भी आर्थिक सहायता हो गई ! 


पूले 
वैसे देखने में तो यह एक छोटी सी बात लगती है, पर उस तरफ आज तक किसी और का ध्यान क्यों नहीं गया ! बड़े मंदिरों या तीर्थस्थलों को छोड़ दें तो देश के गांव-कस्बों में असंख्य ऐसे मंदिर, पूजास्थल हैं जिनके पुजारी या रख-रखाव करने वाले सिर्फ वहां के चढ़ावे या स्थानीय लोगों की मदद से किसी तरह अपना और अपने परिवार का गुजारा करते हैं ! उनकी तरफ भी ध्यान जाना जरुरी है ! काश, जयराम ठाकुर जी की तरह देश के अन्य मुख्य मंत्री भी बिना किसी द्वेष, कुठां, पूर्वाग्रह के देश-हित में अच्छी बातों का सम्मान कर पाते ! जिससे यह कुछ-कुछ उपेक्षित सा वर्ग भी चिंतामुक्त हो देश-समाज की उन्नति में और भी योगदान दे पाता !

@चित्र तथा विडिओ अंतर्जाल के सौजन्य से 

सोमवार, 10 नवंबर 2025

सन्नाटे का शोर

न्नाटा अक्सर भयभीत करता है ! पर कभी-कभी वही खामोशी हमें खुद को समझने-परखने का मौका भी देती है ! देखा जाए तो एक तरह से इसका शोर हमारी आत्मा की आवाज ही है, यह तब उभरती है जब भौतिक दुनिया शांत होती है और हम खुद से बात करने लगते हैं ! एक तरह से यह शोर मानव-मन के आंतरिक कोलाहल और द्वंद्व को दर्शाता है........!!

#हिन्दी_ब्लागिंग

न्नाटे का शोर ! दोनों विरोधाभासी ! एक रहे तो दूसरे का अस्तित्व ही खत्म हो जाता है ! पर विश्वास करें, यह उभरता है ! हालांकि इसे किसी डेसीबल जैसी वैज्ञानिक प्रणाली से नहीं नापा जा सकता पर यह अपनी उपस्थिति का अहसास दिलाता है ! जब शब्द साथ नहीं देते तो इसी शोर की आवाजें महसूस होती हैं, जैसे खामोशियां बोलने लग गई हों ! बाहरी हलचलें शांत दिखती हैं, वहां खामोशी छाई होती है, पर भीतर एक विचलित करने वाला तूफान सा चल रहा होता है ! ऐसे में, दिमाग उलझन में पड़ जाता है ! सकारात्मकता और नकारात्मकता आपस में गड्ड-मड्ड से हो जाते हैं !
सन्नाटे के शोर का प्रभाव 
कई बार इसे गौर से सुनने की कोशिश की, पर जाने कैसा शोर होता है यह, जो सिर्फ अपने होने का अहसास दिलाता है, सुनाई नहीं पड़ता ! हो सकता है इसकी ध्वनि की आवृति 20000 हर्ट्स से भी ज्यादा हो, जिस कारण इसे बाहर कानों से ना सुना जा सकता हो पर दिल को हिला कर रख दे रही हो ! पर यकीन मानें, इस सन्नाटे का शोर बहुत ज्यादा और भयावह होता है ! 
 
भयावह 
न्नाटा अक्सर भयभीत करता है ! पर कभी-कभी वही खामोशी हमें खुद को समझने-परखने का मौका भी देती है ! देखा जाए तो एक तरह से इसका शोर हमारी आत्मा की आवाज ही है, यह तब उभरती है जब भौतिक दुनिया शांत होती है और हम खुद से बात करने लगते हैं ! एक तरह से यह शोर मानव-मन के आंतरिक कोलाहल और द्वंद्व को दर्शाता है। इसका सटीक उदहारण तो शायद ना दिया जा सकता हो, पर इसकी एक आम सतही सी झलक हमारे देश में होने वाले राजनितिक चुनावों के परिणाम घोषित होने वाले दिनों की पहले रातों को मिल जाती है !
सन्नाटे का शोर 
कभी आपने इस शोर को महसूस किया हो या इसका आभास मिला हो तो जरूर बताइएगा 🙏

@सभी चित्र अंतर्जाल के सौजन्य से 

गुरुवार, 6 नवंबर 2025

आस्था के साथ-साथ विवेक भी जरुरी है

मन व्यथित और क्षुब्ध है ! हर जगह, किसी के भी द्वारा हिंदुओं और सनातन का अपमान असहनीय हो जाता है ! गुस्सा उन पर भी आता है जो इसके वायस बनते हैं ! अब सोचना उन हिन्दुओं को भी है, जो जगह-जगह जा कर अपनी नाक घुसेड़ते हैं और बेइज्जती करवाने से बाज नहीं आते ! अरे जब तैंतीस श्रेणी के देवता तुम्हारा कुछ नहीं कर पाए तो समझ लो कि किसी के भी द्वारा तुम्हारा कुछ नहीं हो सकता ...........!

#हिंदी_ब्लागिंग 

कल खबर आई कि पकिस्तान में ननकाना साहिब गए 2100 भारतीय सिख श्रद्धालुओं का लाहौर में गर्मजोशी से स्वागत किया गया ! पंजाब प्रांत के मंत्री रमेश सिंह अरोड़ा और ETB का अधकारियों ने फूल बरसाए  आज खबर आई कि पाकिस्तानी अधिकारीयों ने जत्थे के बारह सदस्यों को यह कह कर वापस लौटा दिया कि इस यात्रा की अनुमति सिर्फ सिख तीर्थयात्रियों को है, आप हिंदू हो, इसलिए आपको जाने नहीं दिया जाएगा ! आज तक जो कभी नहीं हुआ, वह हुआ ! साफ नजर आता है कि दोनों समुदायों में फूट डालने की नापाक कोशिश की गई ! 

तीर्थ 
पर सवाल यह है कि फूल बरसाने वाले हिंदुस्तानी नाम धारक मंत्री रमेश सिंह ने कोई हस्तक्षेप किया या नहीं ! क्या उन्होंने कोई कोशिश की, इसकी कोई खबर नहीं आई है ! दूसरी तरफ साथ गए 2088 साथियों ने भी क्या इस बात का विरोध किया ? कोई धरना दिया ? कोई आवाज उठाई या परिस्थिति पर दुःख प्रगट कर, यह कह कर आगे बढ़ गए कि 'असी की कर सकदे यां !' अब सोचना उन हिन्दुओं को भी है, जो जगह-जगह जा कर अपनी नाक घुसेड़ते हैं और बेइज्जती करवाने से बाज नहीं आते ! ऊपर से आज का जैसा माहौल है और ये दर्जन भर लोग जहां गए थे, वहां कुछ भी हो सकता था ! कोई भी अनहोनी घट सकती थी !
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Adv.   
क्योंकि हर नजर अनमोल है 
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आज मन व्यथित और क्षुब्ध है ! हर जगह, किसी के भी द्वारा हिंदुओं और सनातन का अपमान असहनीय हो जाता है ! गुस्सा उन पर भी आता है जो इसके वायस बनते हैं ! यहां किसी भी धर्म, आस्था या पंथ का विरोध नहीं है ! सभी का पूरा मान-सम्मान है ! सभी आदरणीय हैं ! आस्था अपनी जगह है ! किसी को किसी के प्रति भी अटूट विश्वास हो सकता है ! विश्वास ही है जिस पर जगत टिका हुआ है ! पर उसके साथ विवेक बहुत जरुरी है ! प्रभु सभी को सद्बुद्धि दे ! 

@चित्र अंतर्जाल के सौजन्य से    

शुक्रवार, 31 अक्टूबर 2025

गुगलाचार्याय नम:

किसी चीज को सीखने में, समझने में वक्त लगता है, मेहनत करनी पड़ती है, चुन्नौतियों का सामना करना पड़ता है, जिससे आदमी मानसिक तौर पर मजबूती हासिल करता है ! इसका कोई शॉर्ट-कट नहीं होता ! पर यह सब बीते दिनों की बातें हो गई हैं ! अब रस्सी को सिल पर निशान डालने के लिए खुद को नहीं घिसना पड़ता ! सिलें चतुर हो गई हैं ! वे कुएं भी तो नहीं रहे !  पानी सर्वसुलभ हो, अलग-अलग गुणवत्ता में, बंद बोतलों में  आम बिकने लगा है ! अपनी  जरुरत के  हिसाब से  खरीद लो !  ना कोई  परिश्रम  ना हीं  किसी श्रम की जरुरत ! रस्सियों को ज्ञान देने वाले गुरु, गुरुघंटाल बन गए हैं ............!

#हिन्दी_ब्लागिंग 

इस बार दिवाली के पूजन अवसर पर जब पंडित जी ने अपने गुरु का स्मरण करने को कहा तो बरबस गूगल का  ध्यान आ गया ! ऐसे मौके पर इस तरह की बेवकूफी के लिए अंदर ही अंदर खुद को कोसा भी, क्रोध भी आया, पर क्या किया जा सकता था, जो बात कहीं गहरे में मन की गहराइयों में चस्पा हो गई है, वही तो सामने आएगी ना !   

मशीन 
चपन में पढ़ाई के शुरूआती दौर से लेकर अंत तक, अलग-अलग विषयों के अलग-अलग शिक्षकों को पढ़ाते देखा था ! हर विषय के अलग मास्टर जी हुआ करते थे, गणित के अलग, विज्ञान के अलग, इतिहास-भूगोल के अलग ! यहां तक कि संस्कृत, हिंदी, अंग्रेजी भाषाओं के लिए भी अलग-अलग गुरु हुआ करते थे ! वे भी एक निश्चित अवधि तक ही उपलब्ध होते थे  ! कभी भी, एक ही व्यक्ति को सब कुछ पढ़ाते-समझाते नहीं देखा था ! उससे एक धारणा बन गई थी कि एक ही व्यक्ति सर्वज्ञ नहीं हो सकता !  

भ्रम 
फिर आया गूगल ! सर्वज्ञानी ! एक ऐसा गुरु जो सदा 365x24 आपके साथ ही रहने लगा ! दिन-रात-दोपहर-शाम, जब आप चाहें हर प्रश्न के जवाब के साथ हाजिर ! आपकी किसी डिग्री या लियाकत की जरुरत नहीं ! कोई ना-नुकर नहीं ! कोई अपेक्षा नहीं ! कोई समयावधि नहीं ! प्रश्नों की कोई सीमा नहीं ! आप पूछते-पूछते थक जाएं पर वह जवाब देने में कोई कोताही नहीं करता ! इतिहास, भूगोल, सोशल या मेडिकल साइंस, गणित, इंजीनियरिंग, साहित्य, फिल्म, वेद, पुराण, उपनिषद, महाकाव्य, अंतरिक्ष विज्ञान, दुनिया का कोई विषय उससे अछूता नहीं है ! कोई भी सवाल हो, जवाब तुरंत हाजिर है।  तो ऐसे गुरु का नाम कैसे कोई याद नहीं रखेगा ! 

कैद 
पर सच क्या है ? सच तो यह है कि हम आज धीरे-धीरे सहूलियत की ओर अग्रसर होने लगे हैं ! सीखने को वक्त की बर्बादी समझने लगे हैं ! इससे ज्ञान और जानकारी का भेद खत्म हो चला है ! किसी चीज की गहराई में जा, उसको सीखने की ललक दरकिनार होती चली जा रही है ! किसी चीज को सीखने में, समझने में वक्त लगता है, मेहनत करनी पड़ती है, चुन्नौतियों का सामना करना पड़ता है, जिससे आदमी मानसिक तौर पर मजबूती हासिल करता है ! इसका कोई शॉर्ट-कट नहीं होता ! पर यह सब बीते दिनों की बातें हो गई हैं ! अब रस्सी को सिल पर निशान डालने के लिए खुद को नहीं घिसना पड़ता ! सिलें चतुर हो गई हैं ! वे कुएं भी तो नहीं रहे ! पानी सर्वसुलभ हो, अलग-अलग गुणवत्ता में, बंद बोतलों में आम बिकने लगा है ! अपनी जरुरत के हिसाब से खरीद लो ! ना कोई परिश्रम ना हीं किसी श्रम की जरुरत !

जाल 
जिस तरह बिना मेहनत-मशक्कत के, बैठे-बिठाए खाने को मिल जाए तो निष्क्रियता के चलते शारीरिक क्षमता घटती चली जाती है, ठीक वैसे ही गुगलई ज्ञान की सुलभता से दिमाग निष्क्रिय सा होता चला जा रहा है ! किसी बड़ी या पेचीदा बात को तो छोड़िए, आज कितने लोगों को अपने परिवार के सदस्यों, मित्रों और  करीबियों के फोन नंबर याद हैं, पूछ कर देख लीजिए ! और तो और हम अपना फोन नम्बर भूलने लगे हैं ! हाल यह हो गया है कि आधा घंटा फोन ना चले या मिले तो हम अपाहिज की तरह हो जाते हैं ! आबालवृद्ध सब उसके गुलाम बन गए हैं ! आज गूगल और उसके जैसे अन्य गुरु, गुरुघंटाल बन चुके हैं ! 

गिरफ्त 
हमें पता ही नहीं कि मजे-मजे में, दिमागी तौर पर हम बीमार होते चले जा रहे हैं ! इस औक्टोपस ने बुरी तरह हम सब को अपनी गिरफ्त में ले लिया है ! आज हमारे पास वक्त नहीं है ! इसीलिए हम ज्ञान नहीं, सिर्फ जानकारियां हासिल कर खुद लो ज्ञानवान समझने का भ्रम पाल बैठे हैं ! समस्या गंभीर है ! सोच कर देखिएगा !

@सभी चित्र अंतर्जाल के सौजन्य से 

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