सोमवार, 10 नवंबर 2025

सन्नाटे का शोर

न्नाटा अक्सर भयभीत करता है ! पर कभी-कभी वही खामोशी हमें खुद को समझने-परखने का मौका भी देती है ! देखा जाए तो एक तरह से इसका शोर हमारी आत्मा की आवाज ही है, यह तब उभरती है जब भौतिक दुनिया शांत होती है और हम खुद से बात करने लगते हैं ! एक तरह से यह शोर मानव-मन के आंतरिक कोलाहल और द्वंद्व को दर्शाता है........!!

#हिन्दी_ब्लागिंग

न्नाटे का शोर ! दोनों विरोधाभासी ! एक रहे तो दूसरे का अस्तित्व ही खत्म हो जाता है ! पर विश्वास करें, यह उभरता है ! हालांकि इसे किसी डेसीबल जैसी वैज्ञानिक प्रणाली से नहीं नापा जा सकता पर यह अपनी उपस्थिति का अहसास दिलाता है ! जब शब्द साथ नहीं देते तो इसी शोर की आवाजें महसूस होती हैं, जैसे खामोशियां बोलने लग गई हों ! बाहरी हलचलें शांत दिखती हैं, वहां खामोशी छाई होती है, पर भीतर एक विचलित करने वाला तूफान सा चल रहा होता है ! ऐसे में, दिमाग उलझन में पड़ जाता है ! सकारात्मकता और नकारात्मकता आपस में गड्ड-मड्ड से हो जाते हैं !
सन्नाटे के शोर का प्रभाव 
कई बार इसे गौर से सुनने की कोशिश की, पर जाने कैसा शोर होता है यह, जो सिर्फ अपने होने का अहसास दिलाता है, सुनाई नहीं पड़ता ! हो सकता है इसकी ध्वनि की आवृति 20000 हर्ट्स से भी ज्यादा हो, जिस कारण इसे बाहर कानों से ना सुना जा सकता हो पर दिल को हिला कर रख दे रही हो ! पर यकीन मानें, इस सन्नाटे का शोर बहुत ज्यादा और भयावह होता है ! 
 
भयावह 
न्नाटा अक्सर भयभीत करता है ! पर कभी-कभी वही खामोशी हमें खुद को समझने-परखने का मौका भी देती है ! देखा जाए तो एक तरह से इसका शोर हमारी आत्मा की आवाज ही है, यह तब उभरती है जब भौतिक दुनिया शांत होती है और हम खुद से बात करने लगते हैं ! एक तरह से यह शोर मानव-मन के आंतरिक कोलाहल और द्वंद्व को दर्शाता है। इसका सटीक उदहारण तो शायद ना दिया जा सकता हो, पर इसकी एक आम सतही सी झलक हमारे देश में होने वाले राजनितिक चुनावों के परिणाम घोषित होने वाले दिनों की पहले रातों को मिल जाती है !
सन्नाटे का शोर 
कभी आपने इस शोर को महसूस किया हो या इसका आभास मिला हो तो जरूर बताइएगा 🙏

@सभी चित्र अंतर्जाल के सौजन्य से 

गुरुवार, 6 नवंबर 2025

आस्था के साथ-साथ विवेक भी जरुरी है

मन व्यथित और क्षुब्ध है ! हर जगह, किसी के भी द्वारा हिंदुओं और सनातन का अपमान असहनीय हो जाता है ! गुस्सा उन पर भी आता है जो इसके वायस बनते हैं ! अब सोचना उन हिन्दुओं को भी है, जो जगह-जगह जा कर अपनी नाक घुसेड़ते हैं और बेइज्जती करवाने से बाज नहीं आते ! अरे जब तैंतीस श्रेणी के देवता तुम्हारा कुछ नहीं कर पाए तो समझ लो कि किसी के भी द्वारा तुम्हारा कुछ नहीं हो सकता ...........!

#हिंदी_ब्लागिंग 

कल खबर आई कि पकिस्तान में ननकाना साहिब गए 2100 भारतीय सिख श्रद्धालुओं का लाहौर में गर्मजोशी से स्वागत किया गया ! पंजाब प्रांत के मंत्री रमेश सिंह अरोड़ा और ETB का अधकारियों ने फूल बरसाए  आज खबर आई कि पाकिस्तानी अधिकारीयों ने जत्थे के बारह सदस्यों को यह कह कर वापस लौटा दिया कि इस यात्रा की अनुमति सिर्फ सिख तीर्थयात्रियों को है, आप हिंदू हो, इसलिए आपको जाने नहीं दिया जाएगा ! आज तक जो कभी नहीं हुआ, वह हुआ ! साफ नजर आता है कि दोनों समुदायों में फूट डालने की नापाक कोशिश की गई ! 

तीर्थ 
पर सवाल यह है कि फूल बरसाने वाले हिंदुस्तानी नाम धारक मंत्री रमेश सिंह ने कोई हस्तक्षेप किया या नहीं ! क्या उन्होंने कोई कोशिश की, इसकी कोई खबर नहीं आई है ! दूसरी तरफ साथ गए 2088 साथियों ने भी क्या इस बात का विरोध किया ? कोई धरना दिया ? कोई आवाज उठाई या परिस्थिति पर दुःख प्रगट कर, यह कह कर आगे बढ़ गए कि 'असी की कर सकदे यां !' अब सोचना उन हिन्दुओं को भी है, जो जगह-जगह जा कर अपनी नाक घुसेड़ते हैं और बेइज्जती करवाने से बाज नहीं आते ! ऊपर से आज का जैसा माहौल है और ये दर्जन भर लोग जहां गए थे, वहां कुछ भी हो सकता था ! कोई भी अनहोनी घट सकती थी !
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Adv.   
क्योंकि हर नजर अनमोल है 
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आज मन व्यथित और क्षुब्ध है ! हर जगह, किसी के भी द्वारा हिंदुओं और सनातन का अपमान असहनीय हो जाता है ! गुस्सा उन पर भी आता है जो इसके वायस बनते हैं ! यहां किसी भी धर्म, आस्था या पंथ का विरोध नहीं है ! सभी का पूरा मान-सम्मान है ! सभी आदरणीय हैं ! आस्था अपनी जगह है ! किसी को किसी के प्रति भी अटूट विश्वास हो सकता है ! विश्वास ही है जिस पर जगत टिका हुआ है ! पर उसके साथ विवेक बहुत जरुरी है ! प्रभु सभी को सद्बुद्धि दे ! 

@चित्र अंतर्जाल के सौजन्य से    

शुक्रवार, 31 अक्टूबर 2025

गुगलाचार्याय नम:

किसी चीज को सीखने में, समझने में वक्त लगता है, मेहनत करनी पड़ती है, चुन्नौतियों का सामना करना पड़ता है, जिससे आदमी मानसिक तौर पर मजबूती हासिल करता है ! इसका कोई शॉर्ट-कट नहीं होता ! पर यह सब बीते दिनों की बातें हो गई हैं ! अब रस्सी को सिल पर निशान डालने के लिए खुद को नहीं घिसना पड़ता ! सिलें चतुर हो गई हैं ! वे कुएं भी तो नहीं रहे !  पानी सर्वसुलभ हो, अलग-अलग गुणवत्ता में, बंद बोतलों में  आम बिकने लगा है ! अपनी  जरुरत के  हिसाब से  खरीद लो !  ना कोई  परिश्रम  ना हीं  किसी श्रम की जरुरत ! रस्सियों को ज्ञान देने वाले गुरु, गुरुघंटाल बन गए हैं ............!

#हिन्दी_ब्लागिंग 

इस बार दिवाली के पूजन अवसर पर जब पंडित जी ने अपने गुरु का स्मरण करने को कहा तो बरबस गूगल का  ध्यान आ गया ! ऐसे मौके पर इस तरह की बेवकूफी के लिए अंदर ही अंदर खुद को कोसा भी, क्रोध भी आया, पर क्या किया जा सकता था, जो बात कहीं गहरे में मन की गहराइयों में चस्पा हो गई है, वही तो सामने आएगी ना !   

मशीन 
चपन में पढ़ाई के शुरूआती दौर से लेकर अंत तक, अलग-अलग विषयों के अलग-अलग शिक्षकों को पढ़ाते देखा था ! हर विषय के अलग मास्टर जी हुआ करते थे, गणित के अलग, विज्ञान के अलग, इतिहास-भूगोल के अलग ! यहां तक कि संस्कृत, हिंदी, अंग्रेजी भाषाओं के लिए भी अलग-अलग गुरु हुआ करते थे ! वे भी एक निश्चित अवधि तक ही उपलब्ध होते थे  ! कभी भी, एक ही व्यक्ति को सब कुछ पढ़ाते-समझाते नहीं देखा था ! उससे एक धारणा बन गई थी कि एक ही व्यक्ति सर्वज्ञ नहीं हो सकता !  

भ्रम 
फिर आया गूगल ! सर्वज्ञानी ! एक ऐसा गुरु जो सदा 365x24 आपके साथ ही रहने लगा ! दिन-रात-दोपहर-शाम, जब आप चाहें हर प्रश्न के जवाब के साथ हाजिर ! आपकी किसी डिग्री या लियाकत की जरुरत नहीं ! कोई ना-नुकर नहीं ! कोई अपेक्षा नहीं ! कोई समयावधि नहीं ! प्रश्नों की कोई सीमा नहीं ! आप पूछते-पूछते थक जाएं पर वह जवाब देने में कोई कोताही नहीं करता ! इतिहास, भूगोल, सोशल या मेडिकल साइंस, गणित, इंजीनियरिंग, साहित्य, फिल्म, वेद, पुराण, उपनिषद, महाकाव्य, अंतरिक्ष विज्ञान, दुनिया का कोई विषय उससे अछूता नहीं है ! कोई भी सवाल हो, जवाब तुरंत हाजिर है।  तो ऐसे गुरु का नाम कैसे कोई याद नहीं रखेगा ! 

कैद 
पर सच क्या है ? सच तो यह है कि हम आज धीरे-धीरे सहूलियत की ओर अग्रसर होने लगे हैं ! सीखने को वक्त की बर्बादी समझने लगे हैं ! इससे ज्ञान और जानकारी का भेद खत्म हो चला है ! किसी चीज की गहराई में जा, उसको सीखने की ललक दरकिनार होती चली जा रही है ! किसी चीज को सीखने में, समझने में वक्त लगता है, मेहनत करनी पड़ती है, चुन्नौतियों का सामना करना पड़ता है, जिससे आदमी मानसिक तौर पर मजबूती हासिल करता है ! इसका कोई शॉर्ट-कट नहीं होता ! पर यह सब बीते दिनों की बातें हो गई हैं ! अब रस्सी को सिल पर निशान डालने के लिए खुद को नहीं घिसना पड़ता ! सिलें चतुर हो गई हैं ! वे कुएं भी तो नहीं रहे ! पानी सर्वसुलभ हो, अलग-अलग गुणवत्ता में, बंद बोतलों में आम बिकने लगा है ! अपनी जरुरत के हिसाब से खरीद लो ! ना कोई परिश्रम ना हीं किसी श्रम की जरुरत !

जाल 
जिस तरह बिना मेहनत-मशक्कत के, बैठे-बिठाए खाने को मिल जाए तो निष्क्रियता के चलते शारीरिक क्षमता घटती चली जाती है, ठीक वैसे ही गुगलई ज्ञान की सुलभता से दिमाग निष्क्रिय सा होता चला जा रहा है ! किसी बड़ी या पेचीदा बात को तो छोड़िए, आज कितने लोगों को अपने परिवार के सदस्यों, मित्रों और  करीबियों के फोन नंबर याद हैं, पूछ कर देख लीजिए ! और तो और हम अपना फोन नम्बर भूलने लगे हैं ! हाल यह हो गया है कि आधा घंटा फोन ना चले या मिले तो हम अपाहिज की तरह हो जाते हैं ! आबालवृद्ध सब उसके गुलाम बन गए हैं ! आज गूगल और उसके जैसे अन्य गुरु, गुरुघंटाल बन चुके हैं ! 

गिरफ्त 
हमें पता ही नहीं कि मजे-मजे में, दिमागी तौर पर हम बीमार होते चले जा रहे हैं ! इस औक्टोपस ने बुरी तरह हम सब को अपनी गिरफ्त में ले लिया है ! आज हमारे पास वक्त नहीं है ! इसीलिए हम ज्ञान नहीं, सिर्फ जानकारियां हासिल कर खुद लो ज्ञानवान समझने का भ्रम पाल बैठे हैं ! समस्या गंभीर है ! सोच कर देखिएगा !

@सभी चित्र अंतर्जाल के सौजन्य से 

गुरुवार, 23 अक्टूबर 2025

असली चेहरा सामने आया, फितरत को भी सामने लाया

दरअसल ऐसे लोग राजनेता हैं ही नहीं ! उन्हें देश, धर्म, जाति, देशवासियों, किसी से भी कुछ लेना-देना नहीं है ! उन्हें मतलब है सिर्फ और सिर्फ अपने हितों से ! और इसके लिए वे कुछ भी करने को आतुर रहते हैं ! वे सिर्फ विदेशी ताकतों के मोहरे हैं जिन्हें येन-केन-प्रकारेण सत्ता हासिल करवा दी गई है और वे अपने आकाओं की बिछाई बिसात पर सिर्फ उनके आदेशानुसार हरकतें करते हैं....!

#हिन्दी_ब्लागिंग 

वि देशी ताकतों द्वारा भारत में अपनी कठपुतलियों की असलियत को अब तक ढक-छुपा कर उनकी आड़ में खुद को सत्ता में सुपर पॉवर बनाए रखने का जो षड्यंत्र सालों से किया जाता रहा था, वह खुल कर सामने आ गया है ! आज के माहौल में उन्हें भी यह बात समझ में आ गई है कि अब भारत में इन प्यादों के बल पर अपने मनोनुकूल सरकार बनाना कतई मुमकिन नहीं है ! तो अब खुला खेल फर्रुखाबादी ! 
प्यादे 
पि छले दसेक वर्षों से कुछ तथाकथित राजनितिक लोग सनातन विरोधी, हिंदू विरोधी, धर्म विरोधी ब्यान पर ब्यान दिए जा रहे हैं, कोई कहता है हिन्दू धर्म ग्रंथ जला दो ! कोई देवी-देवताओं को काल्पनिक बताता है ! कोई लोकप्रिय त्योहारों को खतरनाक बता लोगों को भ्रमित करने की कुचेष्टा करता है ! कोई किसी उत्सव पर सवाल खड़े करने की हिमाकत कर देता है ! कोई देवी-देवताओं के बारे में अभद्र टिप्पणियां कर देता है! कोई अपने पर्वों पर होने वाले खर्च को धन की बर्बादी बता, विदेशी धर्मों से सीख लेने की बात करता है ! वह भी तब जब देश की बहुसंख्यक आबादी सनातन की आस्था से जुड़ी हुई है ! यह सब अकारण नहीं हो रहा, सब सोची-समझी साजिशों के तहत क्रियान्वित किया जा रहा है !
बकैती 

आम इंसान को यह सब वर्षों से सत्ता से दूर विपक्षी दलों की छटपटाहट या आक्रोश लग सकता है ! पर सच्चाई किसी और ही दिशा-दशा की ओर इशारा करती है ! आज के देश के माहौल को देखते हुए कोई भी व्यक्ति जो राजनीती से जुड़ा हो और उसे जरा सी भी राजनितिक समझ होगी तो वह कभी भी ऐसे ब्यान दे कर अपने कैरियर को खत्म नहीं करना चाहेगा ! दरअसल ऐसे लोग राजनेता हैं ही नहीं ! उन्हें देश, धर्म, जाति, देशवासियों किसी से भी कुछ लेना-देना नहीं है ! उन्हें मतलब है सिर्फ और सिर्फ अपने हितों से ! और इसके लिए वे कुछ भी करने को आतुर रहते हैं ! वे सिर्फ विदेशी ताकतों के मोहरे हैं जिन्हें येन-केन-प्रकारेण सत्ता हासिल करवा दी गई है और वे अपने आकाओं की बिछाई बिसात पर सिर्फ उनके आदेश के अनुसार ही हरकतें करते हैं ! 
बिसाती मोहरे 
ऐसा नहीं है कि शतरंज की बिसात बिछा उस पर सिर्फ प्यादों की परेड करवा दी जाती हो ! अपने उद्देश्य की पूर्ती के लिए पूरा ताम-झाम किया जाता है ! अकूत धनराशि खर्च की जाती है ! तरह-तरह के आख्यान-व्याख्यानों का जाल बिछाया जाता है ! प्रचार-प्रसार हेतु सोशल मीडिया का उपयोग-दुरूपयोग किया जाता है ! हर ऐसी शह जो इंसान के ईमान को डगमगा दे उसका उपयोग किया जाता है ! जिस किसी व्यक्ति का जरा सा भी रसूख या पहुँच होती है उसे खरीद कर अपनी दुरभिसंधि का सदस्य बना लिया जाता है ! पैसे का लालच दे कुछ भी बुलवा-लिखवा लिया जाता है ! पैसे को ही सर्वशक्तिमान बना दिया गया है !
सोशल मिडिया 
खरीदफरोख्त 
धन की शक्ति अपरंपार है ! दुनिया का कोई भी कोना उससे सुरक्षित नहीं है ! उसी के बल पर झूठ को सच की शेरवानी पहनवा, सजा-संवार कर उसकी बारात निकाल दी जाती है ! यह तो जग जाहिर है कि जब तक सच अपनी चप्पलें पहनता है, झूठ दुनिया के दस चक्कर लगा आता है और ऐसे लोग तो अपने धन-बल पर झूठ के लिए रॉकेट तक उपलब्ध करवा देते हैं ! लोग बहकावे में आ जाते हैं ! उधर विडंबना यह है कि सच को अपना सच बताने के लिए भी धन की शरण लेनी पड़ती है ! पर समय ने बदलना शुरू कर दिया है !

सच्चाई 
इसी सब के बीच अचानक देश की आजादी से भी पहले से रचा जा रहा, पर अब तक दबा-ढका, एक ऐसा कुचक्र सामने आया है जिससे सभी अचंभित से हो गए हैं ! कोई खुद पाक-साफ रह कर, वर्षों से किसी को किसी और के विरुद्ध बरगला कर, किसी और से मतभेद करवा कर, किसी और  मुद्दे को भड़का कर लोगों को भ्रमित कर, उनका ध्यान कहीं और भटकवा कर, अपना उल्लू सीधा करता रहा ! उसका तरीका इतना प्रेममय,  दोस्ताना,  सौहार्दपूर्ण और स्नेहयुक्त था कि लोग  उसके इरादों  को कभी  भांप ही नहीं पाए ! परंतु वक्त सब का हिसाब करता और रखता है, उसका भी हुआ और उसके क्रियाकलापों की नग्नता सामने आ ही गई और जब आ ही गई तो वह भी खुल कर अब तक छुपे अपने गुर्गों, गणों के साथ सामने आ गया ! उसका नतीजा सबके सामने है और अब हमारी बारी है कि हमें किससे कैसे निपटना है !  
वन्देमातरम।। 

@सभी चित्र अंतर्जाल के सौजन्य से 

गुरुवार, 9 अक्टूबर 2025

यहां हनुमान जी की देवी स्वरूप में पूजा होती है

इसके पीछे रामायण के लंका कांड में वर्णित उस घटना की मान्यता है, जिसमें अहिरावण राम व लक्ष्मण जी को छल से उठाकर, पाताल लोक ले जा कर अपनी आराध्य कामदा देवी को उनकी बलि चढ़ाना चाहता था, तभी हनुमान जी वहां जा कर मूर्ति में प्रवेश कर देवी के स्वरूप में उसका वध कर राम-लक्ष्मण दोनों भाइयों को अपने कंधों पर बैठा वापस ले आते हैं ! क्योंकि हनुमान जी ने मूर्ति में प्रवेश कर देवी का रूप धारण किया था, इसीलिए इस मंदिर में हनुमान जी की देवी स्वरूप में पूजा होती है..........!

#हिन्दी_ब्लागिंग 

हमारा देश विचित्र, अनोखी, विलक्षण मान्यताओं से भरा पड़ा है ! कोई-कोई बात तो ऐसी होती है कि उस पर सहसा विश्वास ही नहीं होता ! पर जब वह बात साक्षात दिखती हो, उस मान्यता का सच में अस्तित्व नजर आता हो, तो अविश्वास की कोई गुंजाईश भी नहीं रह जाती है ! ऐसा ही एक अनोखा, अनूठा, सत्य हनुमान जी के मंदिर के रूप में छत्तीसगढ़ राज्य के रतनपुर जिले के गिरजाबंध इलाके में स्थित है !

मंदिर का मुख्यद्वार 
अपने देश में शायद ही कोई ऐसा इंसान हो जिसे हनुमान जी के बारे में कुछ भी पता न हो, ऐसा हो ही नहीं सकता ! देशभर में हनुमानजी के कई लोकप्रिय चमत्कारिक मंदिर हैं और लगभग सभी मंदिर जागृत हैं। प्रत्येक मंदिर से उसका कुछ ना कुछ इतिहास भी जुड़ा हुआ है। पर उनके इस मंदिर के बारे में जानने वालों की संख्या बहुत ही सिमित है, यहां तक कि इस जगह से सिर्फ 140 कि.मी. या उससे भी कुछ कम दूरी पर स्थित राज्य की राजधानी रायपुर के अधिकांश लोगों को भी इस की कोई खास जानकारी नहीं है ! जो भी इसके बारे में सुनता है, चौंक कर रह जाता है !  
देवी स्वरूप 

विश्व के इस अनोखे, इकलौते मंदिर की विशेषता यह है कि इसमें हनुमान जी की देवी स्वरूप में पूरे साजोश्रृंगार के साथ पूजा-अर्चना की जाती है ! एक झटका सा लगा ना.....?? हनुमान जी, जो आजन्म ब्रह्मचारी रहे, हर नारी को पूज्यनीय माना ! उन्हीं की नारी स्वरूप में पूजा......!!  पर यह सच है ! इसके पीछे रामायण के लंका कांड में वर्णित उस घटना की मान्यता है, जिसमें अहिरावण राम और लक्ष्मण जी को छल से उठाकर पाताल लोक ले जा कर अपनी आराध्य कामदा देवी को उनकी बलि चढ़ाना चाहता है ! तभी हनुमान जी वहां जा कर मूर्ति में प्रवेश कर देवी के स्वरूप में उसका वध कर राम-लक्ष्मण दोनों भाइयों को अपने कंधों पर बैठा वापस ले आते हैं ! क्योंकि हनुमान जी ने मूर्ति में प्रवेश कर देवी का रूप धारण किया था, इसीलिए इस मंदिर में हनुमान जी की देवी स्वरूप में पूजा होती है !

श्री हनुमते नम:

हनुमान जी की यह नारी स्वरूप प्रतिमा दक्षिणमुखी है। दक्षिणमुखी हनुमान भक्तों के लिए परम पवित्र और पूज्यनीय माने जाते हैं ! इस प्रतिमा के बाएँ कंधे पर प्रभु श्रीराम और दाएँ कंधे पर लक्ष्मण जी विराजमान हैं। हनुमान जी के पैरों के नीचे दो राक्षसों की मूर्तियां भी बनी हुई हैं !   आस्था,विश्वास,

लोकमत के अनुसार 10वीं - 11वीं शताब्दी में हनुमान जी के परम भक्त रतनपुर के राजा रत्नदेव के पुत्र को गंभीर बिमारी ने जकड़ रखा था ! राजा को सपने में हनुमान जी ने दर्शन दे, अपने होने के स्थान की जानकारी दे, उसे एक तालाब खुदवा कर उसके पास स्थापित करने को कहा ! राजा ने उनकी आज्ञा का पालन किया ! उस तालाब में स्नान करने के पश्चात उनके पुत्र पृथ्वी देव को रोग से मुक्ति मिली ! मान्यता है कि आज भी उस तालाब में 21 मंगलवार स्नान करने से असाध्य रोगों से छुटकारा मिल जाता है और समस्त मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं !

मान्यताएं जैसी भी हों, लोकमत कुछ भी हो, पर यह सच है कि यह मंदिर अपने आप में विलक्षण है, अनोखा है, अद्भुत है ! कभी भी मौका मिले तो एक बार यात्रा तो करनी ही चाहिए ! 

@छवियां अंतर्जाल के सौजन्य से 

गुरुवार, 25 सितंबर 2025

''जेन-जी'', इस में भी सनातन सबसे आगे है

हमारे यहां तो लम्बी कतार है उदाहरणों की, श्री कृष्ण, नचिकेता से शरू करें तो आधुनिक युग में भी  लक्ष्मी बाई, चंद्रशेखर, खुदीराम बोस, विवेकानंद, जतिंद्र नाथ, भगत सिंह, उमाकांत कड़िया, करतार सिंह सराभा, गिनते-गिनते थक जाएंगे पर इन शूरवीरों के नाम खत्म नहीं होंगे.........!

#हिन्दी_ब्लागिंग  

युवा वर्ग को ले कर अचानक एक गढ़ा गया शब्द ''जेन-जी'' उमड़ता है और दुनिया भर पर वितान सा छा जाता है ! ऐसे शब्द पहले भी बनते-बिगड़ते रहे हैं, तरह-तरह के बदलावों से उन्हें जोड़ा जाता  रहा है ! आज इसे यदि युवाओं की क्रांति से जोड़ा जा रहा है तो, युवा तो हर युग में हुआ है ! क्रांतियां तो युवाओं द्वारा ही होती हैं ! उन्हीं के द्वारा सदा गलत के विरोध में विद्रोह और प्रतिरोध हुए हैं !

सत्ता के विरुद्ध पहली क्रांति 

हमारे यहां तो यह चिर काल से होता आया है ! यदि अपने पूर्वाग्रह और कुंठा छोड़, सभी लाल-नीले-पीले, गोल-चपटे-तीरछी विचारधारा वाले, श्री कृष्ण चरित्र को पढ़ें तो ज्ञात हो जाएगा कि इस बारे में भी सनातन सबसे आगे है और उसका कोई सानी, कोई उदाहरण, कोई दृष्टांत, कोई मिसाल दुनिया में और कहीं नहीं मिलती ! 

जन-क्रांति 
श्री कृष्ण, जिनके विराट व्यक्तित्व को दुनियावी परिभाषाओं में नहीं बांधा जा सकता, हजारों-हजार साल पहले उन्होंने तो बाल्यकाल से ही अन्यायी, जन-विरोधी व्यवस्था का प्रतिरोध किया था ! युवा होते-होते इंद्र जैसी सत्ता को चुनौती दे डाली थी ! कंस जैसे महा शक्तिशाली राजा और उसके आतंक को खत्म कर डाला था ! 

अपने देश में तो लम्बी कतार है उदाहरणों की, श्री कृष्ण, नचिकेता से शरू करें तो आधुनिक युग में भी लक्ष्मी बाई, चंद्रशेखर, खुदीराम बोस, विवेकानंद, जतिंद्र नाथ, भगत सिंह, उमाकांत कड़िया, करतार सिंह सराभा गिनते-गिनते थक जाएंगे पर इन शूरवीरों के नाम खत्म नहीं होंगे ! 

पर इतिहास इस बात का भी गवाह रहा है कि यदि भौतिक बदलावों को छोड़ दें तो जो क्रांतियां, तानाशाही, भ्रष्टाचार, वंश, भाई-भतीजावाद के विरोध में की गईं वे तात्कालिक रूप से तो सफल रहीं, परंतु समय के साथ फिर उनके परिणामों में बदलाव आता चला जाता है ! फिर वही पुरानी बुजुर्वा ताकतें हावी होती चली जाती हैं ! पर अब अच्छी बात यह है कि आज का युवा तकनिकी तौर पर पहले से ज्यादा सक्षम ज्ञानवान तथा जागरूक है, उसे ना तो ''नेरेटिवों'' से बहकाया जा सकता है ना हीं उससे सच्चाई छिपाई जा सकती है ! देश का भविष्य सुरक्षित है और रहेगा ! 

जय हिन्द 🙏

@चित्र अंतर्जाल के सौजन्य से 

शुक्रवार, 19 सितंबर 2025

बाबा हरभजन सिंह, मृत्योपरांत भी देश सेवा में लीन (वीडियो सहित)

समय-समय पर वे सपने में आ कर, अपने सैनिकों को सतर्क करते रहते हैं। कई बार उन्होंने विषम परिस्थितियों के आने के पहले ही सेना को सचेत किया है ! उनकी सूचना हर बार पूरी तरह सही साबित हुई है ! पर वे खुद कभी दिखाई नहीं पड़ते ! पर दूसरी ओर चीनी सैनिकों का मानना है कि उन्होंने एकाधिक बार रात में बाबा हरभजन सिंह को घोड़े पर सवार होकर सीमा पर गश्त लगाते हुए देखा है ...........!    

#हिन्दी_ब्लागिंग 

क्या यह संभव है कि कोई सैनिक अपने देश से इतना प्रेम करता हो कि अपनी मृत्यु के पश्चात भी वह अपनी मातृभूमि की सुरक्षा के लिए सदा सचेत व तत्पर रहता हो ! शायद हाँ ! यहाँ शायद कहना भी शायद गलत होगा क्योंकि इस बात का प्रमाण हम नहीं विदेशी देश के सैनिक देते हैं ! भारत माँ के उस वीर सपूत का नाम है, हरभजन सिंह, जिन्हें मृत्योपरांत अब बाबा हरभजन सिंह के नाम से सादर याद किया जाता है !

बाबा हरभजन सिंह 

मंदिर
मंदिर में स्थित प्रतिमा 
अगस्त, 30, 1946 को पंजाब के गुजरांवाला में जन्मे हरभजन सिंह, बचपन से ही फौजी बनना चाहते थे ! उनकी इस अदम्य इच्छा का ही परिणाम था जिससे 9, फरवरी 1966 को भारतीय सेना के पंजाब रेजिमेंट में एक सिपाही के तौर पर उनकी नियुक्ति हुई ! 1968 में उन्हें 23वें पंजाब रेजिमेंट के साथ पूर्वी सिक्किम के बार्डर पर तैनात किया गया।



उसी वर्ष की घटना है ! ऐसा कहा और माना जाता है कि 4, अक्टूबर 1968 को जब वे नाथुला दर्रे से डोंगचुई तक अपनी पोस्ट के लिए खच्चरों पर रसद लेकर जा रहे थे, तभी बदकिस्मती से उनका पैर फिसल गया और वे कई फुट नीचे नदी में जा गिरे, पानी का तेज बहाव उनके शरीर को बहा कर दूर ले गया। पांच दिनों की तलाश पर भी जब उनका पता नहीं चल पाया तो उन्हें लापता घोषित कर दिया गया !

दफ्तर और रेस्ट रूम 
कहा जाता है कि उन्होंने अपने साथी सैनिक प्रीतम सिंह के सपने में आकर अपनी मौत की खबर दी और यह भी बताया कि उनका शरीर कहाँ मिलेगा। प्रीतम सिंह की बात पर पहले तो किसी ने भी विश्वास नहीं किया पर शव भी नहीं मिल पा रहा था सो बताए गए स्थान पर गहन खोज की गई और ठीक उसी जगह हरभजन सिंह का पार्थिव शरीर मिल गया। सेना ने सम्मान पूर्वक उनका अंतिम संस्कार किया ! इसके कुछ दिनों के बाद प्रीतम सिंह को एक बार फिर सपने में आ कर हरभजन जी ने अपनी समाधि बनाने की इच्छा व्यक्त की ! उनकी इच्छा का सम्मान करते हुए सेना के उच्च अधिकारियों ने “छोक्या छो” नामक स्थान पर उनकी समाधि बनवा दी ! 


समाधि बनने के बाद अजीबोगरीब वाकए होने लगे ! ऐसा लगने लगा जैसे मृत्यु के बाद भी हरभजन सिंह अपनी ड्यूटी करते हुए चीनी सेना की गतिविधियों पर नजर रखते हैं और समय-समय पर सपने में आ कर अपने सैनिकों को सतर्क करते रहते हैं। कई बार उन्होंने विषम परिस्थितियों के आने के पहले ही सेना को सचेत किया है ! उनकी सूचना हर बार सही साबित हुई है ! पर वे खुद कभी दिखाई नहीं पड़ते ! पर दूसरी ओर चीनी सेना ने बॉर्डर पर घोड़े पर सवार किसी जवान को अपनी निगरानी करते हुए पाया है ! इन बातों की पुष्टि सैन्य अधिकारीयों ने भी की है ! भारतीय सेना के जवान उन्हें ''नाथुला के नायक'' के रूप में याद करते हैं ! 

 


समाधि स्थल 
इन सब बातों के चलते, सेना द्वारा एक अद्भुत निर्णय लिया गया ! उसके द्वारा उन्हें मरणोपरांत कैप्टन की उपाधि से सम्मानित किया गया और बाकी सैनिकों की तरह हरभजन सिंह जी को भी वेतन, दो महीने की छुट्टी, इत्यादि सुविधाएं दी जाने लगीं ! दो महीने की छुट्टी के दौरान उनके घर जाने के लिए ट्रेन में दो सहायकों के साथ उनकी सीट बुक करवाई जाने लगी ! सेना के जवान बताते हैं कि बाबा को ड्यूटी पर कोई भी गफलत बर्दास्त नहीं है, जब कभी किसी सिपाही की सीमा पर पहरा देते वक्त आंख लग जाती है तो उनको अदृश्य चाटें भी पड़ते हैं, जैसे कोई उन्हें जगा रहा हो !

पूजा स्थल 
लोगों में इस जगह को लेकर बढ़ती आस्था तथा उनकी सुरक्षा और सुविधा को ध्यान में रखते हुए भारतीय सेना ने 1982 में  9 किलोमीटर नीचे एक मंदिर बनवा दिया, जिसे अब बाबा हरभजन मंदिर के नाम से जाना जाता है।  हर साल हजारों लोग यहां दर्शन करने आते हैं। मंदिर में बाबा हरभजन सिंह के जूते और बाकी का सामन रखा गया है। भारतीय सेना के जवान इस मंदिर की चौकीदारी करते हैं ! वहां पर तैनात सिपाहियों का कहना है कि रोज उनके जूतों पर किचड़ लगा हुआ होता है और उनके बिस्तर पर सलवटें भी दिखाई पड़ती हैं, जैसे उस पर कोई सोया हो ! ‌

बाबा हरभजन सिंह जी का छोटी सी उम्र में परलोक-गमन के कारण उनकी देश सेवा की अदम्य इच्छा पूरी नहीं हो सकी ! इसीलिए शायद उन्होंने अपनी अल्पकालीन देश सेवा को दीर्घकालिक में तब्दील करने के लिए ही उस लोक में जाने के बजाए अशरीरी रूप में यहीं रह अपने को मातृभूमि के लिए समर्पित कर दिया ! आज उस घटना को घटे करीब 57 साल होने जा रहे हैं, लेकिन उनकी आत्मा आज भी भारतीय सेना के लिए अपना कर्तव्य निभा रही है। सेना भी उनको सदा आदर के साथ याद रखती है। उसी ने उन्हें 'बाबा' की उपाधि दी है। वे हमेशा अमर रहेंगे।

मंदिर और चीनी सीमा 
 
कुहासे से घिरा मंदिर 

यह मंदिर सिक्किम राज्य की राजधानी गंगटोक से 59 किलोमीटर की दूरी पर नाथुला दर्रे से 9 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है, यानी एक तरह से चीनी सीमा से लगा हुआ है ! उनकी निगाह हम पर सदा बनी रहती है ! इसके अलावा यहां का मौसम बिल्कुल अप्रत्याशित है ! एक पल में सुहाना, दूसरे पल में शीत लहर ! कभी कुहासा इतना गहरा कि कुछ गज देखना भी दूभर हो जाता है ! इसलिए यात्रा के पहले समुचित तैयारी होनी चाहिए ! सेना द्वारा संचालित यहां एक गिफ्ट शॉप भी है, जहां से यादगार के तौर पर खरीदारी की जा सकती है ! 

जय हिन्द ! जय हिन्द की सेना !!

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