पढ़ने-सुनने में यह सब बातें बहुत अजीब लगती हैं पर ये सब घटी हैं ! उन दिनों हुई इन घटनाओं का जिक्र मीडिया में कभी नहीं हुआ, क्योंकि अयोध्या बहुत संवेदनशील स्थान था और सुरक्षा और गोपनीयता के कारण ये इन सब बातों का कहीं भी जिक्र नहीं किया गया। वैसे भी जिनको सनातन में आस्था है, उनके लिए यह सब कोई बहुत चकित करने वाली बातें नहीं हैं ! क्योंकि उनको प्रभु पर भरोसा है ! उनका अटूट विश्वास है कि प्रभु सदा धर्म और धर्मालम्बियों की रक्षा करते आए हैं और करते रहेंगे ! उधर जो सूर्य और उसके प्रकाश को देखते-महसूस करते हुए भी उसके अस्तित्व का प्रमाण मांगते हों, यह विवरण उनके लिए है भी नहीं ..............!!
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अभ्यास पिछले दिनों 25 नवम्बर को दोपहर के शुभ अभिजीत मुहूर्त में अयोध्या के श्री राम मंदिर का ध्वजारोहण के साथ ही मंदिर निर्माण कार्य संपन्न हुआ ! पर इस पुनीत उपक्रम में देश के विभिन्न दलों, लोगों द्वारा जो अड़चने डाली गईं, बाधाऐं खड़ी की गईं, एड़ी-चोटी का जोर लगा दिया गया कि मंदिर निर्माण ना होने पाए, उसके बावजूद यदि वर्षों-वर्ष से करोड़ों लोगों का यह सपना पूरा हुआ है तो निश्चित रूप से इसके पीछे किसी दैवीय शक्ति का हाथ है, बिना उसकी सहायता के आज की आसुरी ताकतों को परास्त करना असंभव था ! और वह हाथ किसका हो सकता है इसका अंदाज लगाना बिलकुल मुश्किल नहीं है, सभी जानते हैं कि श्री राम का कोई भी काम बिना हनुमान जी के संभव नहीं हुआ था ! यहां भी ऐसा ही हुआ !
| राम काज करिबे को आतुर |
| भक्तों की अटूट आस्था का प्रतीक |
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| जय श्री राम |
राम मंदिर निर्माण में भी अनगिनत अड़चने डाली गईं, यहां तक कि उन्हें काल्पनिक कथा चरित्र तक कह दिया गया ! रामायण पर सवाल उठाए गए ! अयोध्या के जन्मस्थली होने के प्रमाण मांगे गए ! पर विज्ञ साधू-संतों-विद्वानों-वकीलों के साथ-साथ पुरात्तव विभाग की भी सराहना करनी पड़ेगी, जिन्होंने अपने अकाट्य प्रमाणों के सहारे सारे षड्यंत्र विफल कर दिए ! इन्हीं सुधि जनों में से कइयों ने यह रहस्योद्घाटन किया कि मुकदमे और निर्माण के दौरान उन्हें ऐसा अहसास होता रहा कि हनुमान जी राम काज करने को आतुर हैं और उनकी कृपा सतत बनी हुई है !
| राम भक्त, पवन पुत्र |
आस्था के कुछ ऐसे उदाहरण हैं जिनको सुन कर कोई भी हैरान रह जाएगा ! ये ऐसे चमत्कार हैं जिनका उल्लेख सरकारी दस्तावेजों में मौजूद है ! इनमें पहली बात, 1,फरवरी1986 को जब फैजाबाद कोर्ट में अयोध्या से जुड़े एक मामले की सुनवाई चल रही थी तो सुनवाई कर रहे, जिला जज कृष्ण मोहन पांडे ने महसूस की ! उन्होंने लिखित रूप से बताया कि मुकदमे के दौरान कहीं से एक काले मुंह का वानर कोर्ट में आ गया और जब तक मंदिर के पक्ष में फैसला नहीं हो गया, तब तक वह वहीं कोर्ट परिसर में मौजूद रहा ! इतना ही नहीं फैसला आने पर वह उन जज साहब के घर तक पहुंच गया, जैसे धन्यवाद देने आया हो।
| जा पर कृपा श्री राम की होई |
मामले के दौरान आस्था के सबसे बड़े केंद्र अयोध्या पर आतंकी हमलों का खतरा निरंतर बना रहता था ! ऐसे कई उपक्रमों से अयोध्या को वानरों ने बचाया था ! ये घटनाएं खुद पुलिस के अधिकारीयों ने बयान की हैं ! सन 1998 में एक बार आतंकियों द्वारा हनुमान गढ़ी में 18 किलो RDX लगाने की खबर पर पुलिस, बम निरोधक टुकड़ी तथा तमाम सुरक्षा एजेंसियां ने तुरंत वहां पहुंच मंदिर खाली करवा लिया ! उस समय के इंचार्ज, इंस्पेक्टर अविनाश मिश्रा के अनुसार बम निरोधक दस्ते को लगा कि उन्होंने सारे बम निष्क्रिय कर दिए हैं ! पर तभी वहां एक आतंकी भी पकड़ा गया, जिससे पता चला कि एक बम अभी भी कहीं लगा हुआ है ! सारा परिसर छान मारा गया पर कोई सुराग नहीं मिला ! समय निकलता जा रहा था, दहशत बढ़ती जा रही थी कि तभी वहां लगे वाटर कूलर पर एक वानर दिखलाई पड़ा जो बम की तार को अपने दांतों से काट रहा था, बम निष्क्रिय हो चुका था ! जो बम मिल नहीं रहा था उसे एक वानर ने ना बल्कि खोजा और उसे खत्म भी कर दिया ! उस दिन सभी लोगों ने इसे हनुमान जी की कृपा माना, जिन्होंने एक बड़े हादसे को टलवा दिया !
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| विश्वास करें या ना करें, पर ऐसा हुआ था |
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| बचाव अभियान |
अयोध्या के हालातों को देखते हुए वहां कई बार मॉक-ड्रिल की जाती रही है। ऐसे ही राम जन्म भूमि परिसर के पास, 29 मई 2020 को हुए एक पूर्वनियोजित अभ्यास में एक वानर आया और नकली बम को ले कर भाग गया और एक मंदिर के शिखर पर बैठ उसको तहस-नहस कर दिया ! शयद उसे लगा हो कि यह भी असली बम है जो लोगों को नुक्सान पहुंचा सकता है !
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| विघ्नहर्ता |
अयोध्या के चमत्कारों का जिक्र मंदिर का अंतिम फैसला सुनाने वाले पूर्व चीफ जस्टिस रंजन गोगई भी अपनी पुस्तक ''जजटिस फॉर द जज'' में कर चुके हैं ! उन्होंने लिखा है कि कोई दैवीय शक्ति उन्हें इस केस जल्द को खत्म करने करने के लिए प्रेरित कर रही थी ! आश्चर्य की ही तो बात है कि तीन महीने की उस सुनवाई के दौरान उससे जुड़े किसी भी व्यक्ति ने अवकास नहीं लिया ना ही कोई बीमार पड़ा और नहीं कोई अड़चन आई !
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| जज श्री कृष्ण मोहन पांडे |
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| पूर्व चीफ जस्टिस श्री रंजन गोगोई |
पढ़ने-सुनने में यह सब बातें बहुत अजीब लगती हैं पर ये सब घटी हैं ! उन दिनों हुई इन घटनाओं का जिक्र मीडिया में कभी नहीं हुआ, क्योंकि अयोध्या बहुत संवेदनशील स्थान था और सुरक्षा और गोपनीयता के कारण ये इन सब बातों का कहीं भी जिक्र नहीं किया गया। वैसे भी जिनको सनातन में आस्था है, उनके लिए यह सब कोई बहुत चकित करने वाली बातें नहीं हैं ! क्योंकि उनको प्रभु पर भरोसा है ! उनका अटूट विश्वास है कि प्रभु सदा धर्म और धर्मालम्बियों की रक्षा करते आए हैं और करते रहेंगे ! उधर जो सूर्य और उसके प्रकाश को देखते महसूस करते हुए भी उसके अस्तित्व का प्रमाण मांगते हों, उनके लिए यह सब बातें हैं भी नहीं !
@संदर्भ - श्री सुशांत सिन्हा,
@सभी चित्र अंतर्जाल के सौजन्य से
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