गुरुवार, 11 दिसंबर 2025

भाषाएं, हमें गर्व है इन पर

संस्कृत ! हजारों साल पुरानी भाषा ! जिसका अभी भी अस्तित्व है ! पर विडंबना है कि उसी के बारे में तमिलनाडु के उप-मुख्यमंत्री उदयनिधि स्टालिन ने कह दिया कि ''संस्कृत एक मृत भाषा है !'' उस कथन को लेकर व्यर्थ सर खपाने से कोई फायदा नहीं है, ऐसे कुंठित और पूर्वाग्रही लोग अपने हित, अपने स्वार्थ के लिए देश, समाज, धर्म, भाषा को बदनाम करते ही रहते हैं ! उलटे हमें तो गर्व होना चाहिए कि संसार की सबसे पुरानी भाषाएं हमारे ही देश की हैं............!   

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संस्कृत ! हजारों साल पुरानी भाषा ! जिसका अभी भी अस्तित्व है ! पर विडंबना है कि उसी के बारे में तमिलनाडु के उप-मुख्यमंत्री उदयनिधि स्टालिन ने कह दिया कि ''संस्कृत एक मृत भाषा है !'' उस कथन को लेकर व्यर्थ सर खपाने से कोई फायदा नहीं है, ऐसे कुंठित और पूर्वाग्रही लोग अपने हित, अपने स्वार्थ के लिए देश, समाज, धर्म, भाषा को बदनाम करते ही रहते हैं ! उलटे हमें तो गर्व होना चाहिए कि संसार की सबसे पुरानी भाषाएं हमारे ही देश की हैं !

बात संस्कृत की, जो एक ऐसी “परिमार्जित” भाषा है जिसे भारत के प्राचीन ऋषियों ने अपने विचारों को बेहद सटीक और परिष्कृत तरीके से लोगों तक पहुंचाने के लिए विकसित किया था। संस्कृत वेदों, उपनिषदों और भगवद गीता सहित भारतीय साहित्य के कई महान कार्यों की भाषा रही है। आज वैज्ञानिक इसे कम्प्यूटर और AI के लिए सबसे उपयुक्त भाषा मानते हैं ! ऐसा भी नहीं है कि लोगों ने इसका उपयोग करना बिलकुल बंद कर दिया है, 2011 की जनगणना के अनुसार, भारत में हजारों लोग अभी भी संस्कृत को अपनी मातृभाषा के रूप में प्रयोग करते हैं तथा इसे मुख्य भाषा भी मानते हैं ! 


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संसार की सबसे पुरानी दो भाषाएं हैं, पहली संस्कृत तथा दूसरी तमिल ! शोध बताते हैं कि संसार में हाल के वर्षों में संस्कृत के अध्ययन में लोगों की रुचि और ध्यान बढ़ रहा है, क्योंकि दुनिया भर के लोगों में इसके सांस्कृतिक महत्व में दिलचस्पी बढ़ी है। इससे संस्कृत बोलने वालों का एक नया वर्ग उभरा है जो भाषाओं को संरक्षित और बढ़ावा देने का काम कर रहा है ! दूसरी सबसे पुरानी जीवित भाषा है तमिल, जो आज भी करोड़ों लोगों द्वारा उपयोग में लाई जा रही है ! हमें तो दोनों पर गर्व है, होना भी चाहिए ! पर कुछ लोग इन्हीं बातों को विवादित बना समाज में द्वेष फैलाने का काम करते हैं ! 

हम हिंदुस्तानी 
आज भाषा की बात उठी है, तो क्या किसी का ध्यान एक ऐसी विदेशी भाषा की तरफ भी गया है जिसे हमारे देश में कोई नहीं जानता, फिर भी उसका उपयोग धड़ल्ले से डॉक्टरों के नुस्खों में होता है ! जिसे समझना आम इंसान के वश की बात ही नहीं है ! जिसे तकनीकी रूप से एक मृत भाषा मान लिया गया है ! जिसे अब कोई भी अपनी पहली भाषा (mother tongue) के रूप में नहीं बोलता ! जी हाँ ! लैटिन ! इस भाषा का अपने देश में क्या औचित्य है, कोई नहीं बता सकता ! फिर भी जो चला आ रहा है, वह चला आ रहा है ! स्टालिन जैसे लोग इसका विरोध क्यों नहीं करते ??

@सभी चित्र अंतर्जाल के सौजन्य से 

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