बात उन सांध्य पर्चों की नहीं हो रही है, जो बिक्री बढाने के लिए दो पन्नों के पर्चे में हेड़िंग दे देते थे "हेमा मर गयी" और नीचे छोटे-छोटे अक्षरों में लिखा रहता था कि फलाने सर्कस की हथिनी हेमा का इंतकाल हो गया। बात हो रही है बड़े अखबारों की, जिनमें पता नहीं कैसे कभी-कभी बड़े नामवर लोगों के मरने की खबरें छप जाती हैं जिससे अजिबोगरीब स्थितियां बन जाती रही हैं।
ऐसे ही एक दिन जब जार्ज बनार्ड़ शा ने सबेरे वेस्ट अफ्रीकन पाइलोट अखबार उठाया तो उसमें अपने मरने की खबर पढी। उन्होंने उसी समय संपादक को फोन किया कि महाशय आपके पत्र में मेरे मरने की खबर है पर मैं आपको यह बता दूं कि मैं अभी मरा नहीं अधमरा हूं।
एक बार रूड़यार्ड़ किपलिंग की मृत्यु का शोक समाचार एक अखबार में छप गया। पहले तो किपलिंग आश्चर्चकित रह गये, फिर उन्होंने अखबार के संपादक को एक पत्र लिखा कि आपका पत्र सदा सच का पक्षपाती रहा है तो जो मेरे मरने की खबर छपी है वह सत्य ही होगी। अब जब मैं रहा ही नहीं तो अपने अखबार से मेरी सदस्यता खत्म कर दें। संपादक की हालत का अंदाज लगाया जा सकता है।
आस्कर वाइल्ड़ को भी ऐसी खबर से दो-चार होना पड़ा था। खबर पढते ही उन्होंने संबंधित अखबार के संपादक को फोन किया कि यार कैसी-कैसी खबरें छाप देते हो?सपादक जो उनका मित्र था उसने मजाक में तुरंत पूछा, वाइल्ड़ पहले यह बताओ तुम बोल कहां से रहे हो, स्वर्ग से या जमीन से ?
इस ब्लॉग में एक छोटी सी कोशिश की गई है कि अपने संस्मरणों के साथ-साथ समाज में चली आ रही मान्यताओं, कथा-कहानियों को, बगैर किसी पूर्वाग्रह के, एक अलग नजरिए से देखने, समझने और सामने लाने की ! इसके साथ ही यह कोशिश भी रहेगी कि कुछ अलग सी, रोचक, अविदित सी जानकारी मिलते ही उसे साझा कर ज्यादा से ज्यादा लोगों तक पहुंचाया जा सके ! अब इसमें इसको सफलता मिले, ना मिले, प्रयास तो सदा जारी रहेगा !
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5 टिप्पणियां:
:)
ha ha ha ye akhbar wale jo chhap de wo kam hai ...
:))
bahut achchi jaankaari...ab kya karein...pyaasa movie ki yaad aa gayi...
बताईये..कोई क्या कहे ऐसे में.
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