पान का सेवन हमारे यहां सैकड़ों वर्षों से होने के प्रमाण मिलते हैं। खास-खास अवसरों पर या आदर-सत्कार में तो इसका चलन तो है ही। किसी बड़े या कठिन काम के लिए भी इसका बीड़ा दिया जाता रहा है। पर कहीं-कहीं यह व्यसन की सीमा तक भी जा पहुंचा है।
आयुर्वेद में भी इसके उपयोग का जिक्र मिलता है जहां इसे "तांबूल या नागरबेल" का नाम दिया गया है। इसके अनुसार इसके खाने से मुख की स्वच्छता, खाने में रुचि तथा मुंह दुर्गंध रहित रहता है।
आजकल तो पान में तरह-तरह के मसाले, तंबाकू, किमाम और ना जाने किन-किन चिजों का इस्तेमाल होने लगा है जिनका दीर्घकाल तक सेवन स्वास्थ्य पर विपरीत असर डालता है। पान का सेवन बिना किसी नशीले पदार्थ के होना चाहिए। इसमें चूने, कत्थे की उचित मात्रा के साथ-साथ जायफल, सुपारी, इलायची और लौंग का उपयोग किया जा सकता है। इसे मुंह में रख धीरे-धीरे चबाना चाहिए तथा इससे जो रस बने उसे निगलते रहना चाहिए। सुपारी का भी ज्यादा उपयोग ना ही हो तो बेहतर है।
पान का सेवन बेस्वाद मुख को ठीक करता है, जीभ साफ रखता है, दांतों व जबड़ों के लिए फायदेमंद रहता है तथा गले के लिए भी उपयोगी है। इसका उपयोग सुबह मुंह साफ करने के बाद भोजनोपरांत तथा रात के खाने के बाद किया जाना चाहिए।
पर कुछ परिस्थितियों में पान खाना निषिद्ध कहा गया है -
जब नाक, मुंह, कान, गुदा से खून आता हो।
अत्यधिक थकान में।
गश आते हों तो।
गले में या शरीर में सूजन हो तो।
आंखें आयी हुई हों तो।
तथा गरम प्रकृति के व बहुत कृशकाय व्यक्ति को इसके सेवन से बचना चाहिए।
तो चलिए एक पान हो जाए.....
इस ब्लॉग में एक छोटी सी कोशिश की गई है कि अपने संस्मरणों के साथ-साथ समाज में चली आ रही मान्यताओं, कथा-कहानियों को, बगैर किसी पूर्वाग्रह के, एक अलग नजरिए से देखने, समझने और सामने लाने की ! इसके साथ ही यह कोशिश भी रहेगी कि कुछ अलग सी, रोचक, अविदित सी जानकारी मिलते ही उसे साझा कर ज्यादा से ज्यादा लोगों तक पहुंचाया जा सके ! अब इसमें इसको सफलता मिले, ना मिले, प्रयास तो सदा जारी रहेगा !
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6 टिप्पणियां:
@पान का सेवन बेस्वाद मुख को ठीक करता है, जीभ साफ रखता है, दांतों व जबड़ों के लिए फायदेमंद रहता है तथा गले के लिए भी उपयोगी है।
--- चलिए एक तो अच्छा काम कर रहा हूं, सालों से।
@ तो चलिए एक पान हो जाए.....
==== क्यों नहीं! ये लीजिए .... अहा!
पापा ने एक जगह पढ़ा था की पान खाना उच्च भारतीय परम्परा है पर पान खाकर इधर उधर थूक कर असभ्य्यता का परिचय ना दे , पीकदान में ही थूके
बहुत सुंदर जानकारी जी. धन्यवाद
बढ़िया जानकारी!
लेकिन हमें तो नहीं खाना...
पान से सम्बंधित जानकारी के लिए धन्यवाद
आलेख उम्दा रहा
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