स्वामी विवेकानंद हिंदू धर्म को लेकर फैली भ्रातिंयों और भारतीय संस्कृति के प्रचार के लिए योरोप यात्रा पर थे। वहां उन्हें बहुत बार विषम परिस्थितियों से दो-चार होना पड़ता था। खासकर अंग्रेज उन्हें अपमानित करने के मौके खोजते रहते थे।
एक बार उन्हें एक गिरजा घर में भाषण देने के लिए बुलाया गया। जब वे वहां गये तो एक सिरफिरे अंग्रेज ने, कुटिल मुस्कान के साथ, ईसा मसीह के चित्र के नीचे रखे बहुत सारे धर्म ग्रंथों की ओर इशारा कर कहा, ए स्वामी देखो तुम्हारी गीता का क्या स्थान है।स्वामी विवेकानंद ने उस तरफ देखा, वहां सबसे उपर बाइबिल फिर उसके बाद और बहुत से धर्मग्रंथों के बाद सबसे नीचे "गीता" को रखा गया था। यह देखते ही बड़े सहज भाव से स्वामीजी ने तुरंत कहा, "गुड़ फाउंड़ेशन"।
यह सुनते ही उस अंग्रेज की बोलती बंद हो गयी।
इस ब्लॉग में एक छोटी सी कोशिश की गई है कि अपने संस्मरणों के साथ-साथ समाज में चली आ रही मान्यताओं, कथा-कहानियों को, बगैर किसी पूर्वाग्रह के, एक अलग नजरिए से देखने, समझने और सामने लाने की ! इसके साथ ही यह कोशिश भी रहेगी कि कुछ अलग सी, रोचक, अविदित सी जानकारी मिलते ही उसे साझा कर ज्यादा से ज्यादा लोगों तक पहुंचाया जा सके ! अब इसमें इसको सफलता मिले, ना मिले, प्रयास तो सदा जारी रहेगा !
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4 टिप्पणियां:
naman swami ji ko
बहुत सुंदर जबाब दिया स्वामी जी ने ... प्रणाम है स्वामी जी को
ग़ज़ब के हाजिर जवाब थे स्वामी विवेकानन्द!
ये होता है देखने का नजरिया..
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