रविवार, 2 मई 2010

स्वामी विवेकानंदजी की प्रत्युत्पन्नमति

स्वामी विवेकानंद हिंदू धर्म को लेकर फैली भ्रातिंयों और भारतीय संस्कृति के प्रचार के लिए योरोप यात्रा पर थे। वहां उन्हें बहुत बार विषम परिस्थितियों से दो-चार होना पड़ता था। खासकर अंग्रेज उन्हें अपमानित करने के मौके खोजते रहते थे।

एक बार उन्हें एक गिरजा घर में भाषण देने के लिए बुलाया गया। जब वे वहां गये तो एक सिरफिरे अंग्रेज ने, कुटिल मुस्कान के साथ, ईसा मसीह के चित्र के नीचे रखे बहुत सारे धर्म ग्रंथों की ओर इशारा कर कहा, ए स्वामी देखो तुम्हारी गीता का क्या स्थान है।स्वामी विवेकानंद ने उस तरफ देखा, वहां सबसे उपर बाइबिल फिर उसके बाद और बहुत से धर्मग्रंथों के बाद सबसे नीचे "गीता" को रखा गया था। यह देखते ही बड़े सहज भाव से स्वामीजी ने तुरंत कहा, "गुड़ फाउंड़ेशन"।

यह सुनते ही उस अंग्रेज की बोलती बंद हो गयी।

4 टिप्‍पणियां:

भारतीय नागरिक - Indian Citizen ने कहा…

naman swami ji ko

राज भाटिय़ा ने कहा…

बहुत सुंदर जबाब दिया स्वामी जी ने ... प्रणाम है स्वामी जी को

डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' ने कहा…

ग़ज़ब के हाजिर जवाब थे स्वामी विवेकानन्द!

Udan Tashtari ने कहा…

ये होता है देखने का नजरिया..

विशिष्ट पोस्ट

रणछोड़भाई रबारी, One Man Army at the Desert Front

सैम  मानेक शॉ अपने अंतिम दिनों में भी अपने इस ''पागी'' को भूल नहीं पाए थे। 2008 में जब वे तमिलनाडु के वेलिंगटन अस्पताल में भ...