आज तुलसीदासजी जिंदा होते तो अद्भुत होते।
हां भाई सही कह रहे हो, चार सौ साल का बुढ्ढा व्यक्ति अद्भुत ही होता।
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बेटे दूध नहीं पीएगा तो अफसर नहीं बन पाएगा। चल दूध पी ले।
पर मम्मी मैने तो आज तक किसी गाय या भैंस के बच्चे को अफसर बनते नहीं देखा।
वे तो रोज अपनी मां का दूध पीते हैं।
इस ब्लॉग में एक छोटी सी कोशिश की गई है कि अपने संस्मरणों के साथ-साथ समाज में चली आ रही मान्यताओं, कथा-कहानियों को, बगैर किसी पूर्वाग्रह के, एक अलग नजरिए से देखने, समझने और सामने लाने की ! इसके साथ ही यह कोशिश भी रहेगी कि कुछ अलग सी, रोचक, अविदित सी जानकारी मिलते ही उसे साझा कर ज्यादा से ज्यादा लोगों तक पहुंचाया जा सके ! अब इसमें इसको सफलता मिले, ना मिले, प्रयास तो सदा जारी रहेगा !
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8 टिप्पणियां:
bahut hasi aayi . kya badiya hae dono
हा हा, लालू माया को बच्चा पहचान नहीं पाया...बच्चा ही तो है.
पढ़कर हँसी आ ही गयी।
हा...हा...हा....।
:) मजेदार.
रामराम.
हा हा..
आजकल के बच्चे! हँसी आ गयी.
हा-हा-हा
Majedar, dono hi 2 much hai.
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