शुक्रवार, 10 जुलाई 2009

श्रीराम की बहन "शांता" इतनी उपेक्षित क्यूं ?

हिमाचल के कुल्लू जिले से करीब पचास की. मी. के फासले पर बंजार नामक इलाके में  ऋष्यश्रृंग ऋषि का मंदिर है जिसमें देवी शांता की मूर्ति भी स्थापित है। कर्नाटक में भी श्रृंगेरी नगर इन्हीं के नाम पर बसा हुआ है।


श्रीराम जिनका नाम बच्चा-बच्चा जानता है। उनके भाईयों के साथ-साथ उनकी पत्नियों के बारे में सारी जानकारी उपलब्ध है। उनके परिवार की बात छोड़िये उनके संगी साथियों, यहां तक की उनके दुश्मनों के परिवार वालों के नाम तक लोगों की जुबान पर हैं। उन्हीं श्रीराम की एक सगी बहन भी थी। यह बात शायद बहुत से लोगों की जानकारी में नहीं है।

भागवत के अनुसार राजा दशरथ और कौशल्या की एक पुत्री भी थी। जिसे उन्होंने अपने मित्र रोमपाद को गोद दे दिया था। उग्र स्वभाव के रोमपाद अंग देश के राजा थे। एक बार उनके द्वारा राज्य के ब्राह्मणों का अपमान कर दिये जाने के कारण सारे ब्राह्मण कुपित हो राज्य छोड़ कर अन्यत्र चले गये। इस कारण राज्य में अकाल पड़ गया। राजा को अपनी भूल मालुम पड़ी उन्होंने द्विजगणों से माफी मांगी और दुर्भिक्ष निवारण का उपाय पूछा। उन्हें बताया गया कि यदि ऋषि ऋष्यश्रृंग अंगदेश आ जायें तो वर्षा हो सकती है। राजा रोमपाद के अथक प्रयास से ऋषि ऋष्यश्रृंग अंगदेश आए। उनके आते ही आकाश में मेघ छा गये और भरपूर वर्षा होने लगी। इस पर खुश हो राजा रोमपाद ने अपनी गोद ली हुई कन्या का विवाह ऋषि के साथ कर दिया। बेचारी राजकन्या की नियति में वनवास था वह पति के साथ वन में रहने चली गयी।

शांता का उल्लेख अपने यहां तो जगह-जगह मिलता ही है, लाओस और मलेशिया की कथाओं में भी उसका विवरण मिलता है। पर आश्चर्य इस बात का है कि रामायण या अन्य राम कथाओं में उसका उल्लेख क्यूं नहीं है? क्यूं नहीं असमान उम्र तथा जाति में ब्याह दी गयी कन्या का अपने समाज तथा देश के लिये चुपचाप किये गये त्याग का कहीं उल्लेख किया गया? क्या सिर्फ गोद दे दिये जाने की वजह से ?

हिमाचल के कुल्लू जिले से करीब पचास की. मी. के फासले पर बंजार नामक इलाके में  ऋष्यश्रृंग ऋषि का मंदिर है जिसमें देवी शांता की मूर्ति भी स्थापित है। कर्नाटक में भी श्रृंगेरी नगर इन्हींके नाम पर बसा हुआ है। इनके वंशज सेंगर राजपूत कहलाते हैं जो अकेली ऋषिवंशी राजपूत कौम है। 

14 टिप्‍पणियां:

Chetan ने कहा…

is nayee jankaree ke liye abhar

ताऊ रामपुरिया ने कहा…

हां यह कहानी हमने भी सुनी है अभी पिछले साल इसी पर एक बहस भी हुई थी. पर ना जाने क्युं किस कारण वश ऐसा हुआ है?

रामराम.

राज भाटिय़ा ने कहा…

तो दशरथ केसे महान हुये ?? बेटी के रहते अपने को निसंतान क्यो मानते रहे ??आप का धन्यवाद इस कहानी को बातने के लिये.

P.N. Subramanian ने कहा…

यहाँ से निपटने के बाद अपनी सहधर्मिणी का भेजा खाते हैं. शायद उसे मालूम हो.

dhiru singh { धीरेन्द्र वीर सिंह } ने कहा…

kya yah sach hae ?

डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' ने कहा…

आपकी बात तो सत्य ह,
परन्तु बहने तो हमेशा ही उपेक्षित
रह जाती हैं।

"अर्श" ने कहा…

YE TO PURI TARAH SE NAYEE JAANKAARI HAI MUJHE RAMAYAN TO BACHAPAN KE RAMAYAN TV SERIEL SHOW SE HI GHYAT HAI , USME BHI INKE UPKSHAA KARI GAYEE HAI ... SHAYAD ISLIYE HAME PATA NAHI CHAL PAYA... BAHOT BAHOT AABHAAR AAPKA


ARSH

aasha sharma ने कहा…

sangitaa ji, aapka lekh "shri raam ki bahan 'SHANTA' itni upekshit kyo" se mujhe or jankaari mili hai, asal me main raam-sitaa ke parivaar ki ek kalakrati (painting) bana rahi hu, to acha hua, jo mujhe unki bahan ki jankaari bhi mili.
aapki tippani padhi, bahut acha laga,mmujhe bhi aapke karay 'jyotish' me dilchaspi hai.
meri shubhkaamnaayen sadaive aapke saath hai.

समय चक्र ने कहा…

धार्मिक परिपेक्ष्य में एक नई जानकारी मिली है आभार.

बेनामी ने कहा…

Brahman rajya chor kar chale gaye to varsha nahi huyi - ye to kisi brahman ke dwara hi likhi huyi kahani lagti hai.

Pt. D.K. Sharma "Vatsa" ने कहा…

ये कहानी हमने भी कहीं बहुत पहले सुनी थी..किन्तु बाल्मिक रामायण अथवा तुलसीकृ्त श्री रामचरितमानस में भी कहीं इस प्रकार का कोई जिक्र नहीं किया गया है. इसलिए इसमें सच्चाई होने का कोई प्रश्न ही नहीं उठता।

गगन शर्मा, कुछ अलग सा ने कहा…

वत्स जी,
यही तो प्रश्न है कि क्यूं नहीं इन महानुभावों ने इस कन्या का जिक्र किया। जबकि भागवत तथा भवभूति द्वारा रचित 'उत्तर रामचरित' में इसका उल्लेख है।

गगन शर्मा, कुछ अलग सा ने कहा…

आशा जी,
सही जगह गलत टिप्पणी है या गलत जगह सही टिप्पणी, समझ नहीं पाया।

Unknown ने कहा…

आप हमारे गओ भी आईये वर्ष होगी तो गन्ने की फसल अच्छी हो जायेगी । गन्ना भी साथ मैं लेते जाइयेगा। और एक नया रामायण भी लिखियेगा। हम आपके आभारी रहेंगे

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