शनिवार, 25 जुलाई 2009

धन का संरक्षक होने के बावजूद कुबेर की पूजा कहीं नहीं होती

कुबेर को धन का संरक्षक माना जाता है। पूराने मंदिरों में उनकी मुर्तियां दरवाजे पर स्थापित मिलती हैं। परंतु उन मुर्तियों में उन्हें कुरूप, मोटा और बेड़ौल ही दिखाया गया है। दिग्पाल के रूप में या यक्ष के रूप में उनका विवरण मिलता है। पर उन्हें कभी दूसरी श्रेणी के देवता से ज्यादा सम्मान नहीं दिया गया। नाहीं कहीं उनकी पूजा का विधान है। उनके पिता ऋषि विश्रवा थे, जो लंकापति रावण के भी जनक थे। हो सकता है कि रावण के कुल गोत्र का होने से उनकी उपेक्षा होती गयी हो।
धन के संरक्षक होने के बावजूद उन्हें कभी भी लक्ष्मीजी के समकक्ष नहीं माना गया। क्योंकि लक्ष्मीजी के साथ परोपकारी भावना जुड़ी हुई है। कल्याणी होने की वजह से वे सदा गतिशील रहती हैं। वे धन को एक जगह ठहरने नहीं देतीं। पर कुबेर के साथ ठीक उल्टा है। इनके बारे में धारणा है कि इनका धन स्थिर रहता है। इनमें संचय की प्रवृति रहती है (शायद इसीलिये अपने रिजर्व बैंक आफ इंड़िया के बाहर इनकी प्रतिमा स्थापित की गयी है)। उनसे परोपकार की भावना की अपेक्षा नही की जाती।
वैसे भी कुबेर के बारे में जितनी कथायें मिलती हैं उनमें इन्हें पूर्व जन्म में चोर, लुटेरा यहां तक की राक्षस भी निरुपित किया गया है। यह भी एक कारण हो सकता है कि इनकी मुर्तियों में वह सौम्यता और सुंदरता नहीं नजर आती जो देवताओं की प्रतिमाओं में नज़र आती है।
इनकी कल्पना धन का घड़ा लिये हुए की गयी है तथा निवास सुनसान जगहों में वट वृक्ष पर बताया गया है। लगता है कि इनको जो भी सम्मान मिला है वह इनके धन के कारण ही मिला है श्रद्धा के कारण नहीं। क्योंकी वह धन भी सद्प्रयासों द्वारा नहीं जुटाया गया था। इसीलिये इनकी कहीं पूजा नहीं होती।

13 टिप्‍पणियां:

संगीता पुरी ने कहा…

इसका अर्थ यह है कि विद्या की तरह ही धन भी बांटने की ही चीज है .. धन्‍यवाद !!

PN Subramanian ने कहा…

बहुत सुन्दर और महत्वपूर्ण जानकारी. कुबेर का कहीं से ढूँढ ढांड कर एक चित्र भी दे देते तो मजा आ जाता.

बेनामी ने कहा…

bahut hi uttam jankari...... yadi ek phoo hoti to accha hota

शरद कोकास ने कहा…

यक्ष, कुबेर आदि को अर्धदेव माना गया है यह देवताओं का षड्यंत्र है जिसे मनुष्य ने निरुपित किय है . सुब्रमणियम जी मैने अभी अभी अपने ब्लोग पुरातत्ववेत्ता पर कुबेर की अन्नपूर्णा माता के रूप मे पूजा का एक किस्सा दिया है और एक तस्वीर भी लगाइ है क्रपया देखें http://sharadkokas.blogspot.com

डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' ने कहा…

शर्मा जी!
बढ़िया जानकारी दी है,
आभार!

लावण्यम्` ~ अन्तर्मन्` ने कहा…

अच्छी पोस्ट के लिए आभार
- लावण्या

Anil Pusadkar ने कहा…

आज भी बहुत से लोगों को इसिलिये सम्मान मिल जाता है कि वे कुबेर के कृपापात्र हैं।अच्छा लिखा आपने।

Unknown ने कहा…

कृपया मुझे भी पढ़े व अच्छा लगे तो follow करे मेरा blog है ।। againindian.blogspot.com

Unknown ने कहा…

कृपया मुझे भी पढ़े व अच्छा लगे तो follow करे मेरा blog है ।। againindian.blogspot.com

Unknown ने कहा…

कृपया मुझे भी पढ़े व अच्छा लगे तो follow करे मेरा blog है ।। againindian.blogspot.com

Unknown ने कहा…

कृपया मुझे भी पढ़े व अच्छा लगे तो follow करे मेरा blog है ।। againindian.blogspot.com

Unknown ने कहा…

कृपया मुझे भी पढ़े व अच्छा लगे तो follow करे मेरा blog है ।। againindian.blogspot.com

Unknown ने कहा…

कृपया मुझे भी पढ़े व अच्छा लगे तो follow करे मेरा blog है ।। againindian.blogspot.com

विशिष्ट पोस्ट

दीपक, दीपोत्सव का केंद्र

अच्छाई की बुराई पर जीत की जद्दोजहद, अंधेरे और उजाले के सदियों से चले आ रहे महा-समर, निराशा को दूर कर आशा की लौ जलाए रखने की पुरजोर कोशिश ! च...