कोरिया की कोयम नदी के किनारे एक उंचा टीला है। जिसे नाक्वाहा नाम से जाना जाता है। इस पर हर साल इकहत्तर पौधे उगते हैं और उन पर इकहत्तर ही फूल खिलते हैं और सारे के सारे फूल एक साथ ही नदी में गिर जाते हैं। आज तक इसका रहस्य या कोई भी वैज्ञानिक कारण किसी की समझ में नहीं आ पाया है। पर इतिहास इसका कुछ-कुछ खुलासा करता है। उसके अनुसार सन ६६० में चीन ने यहाँ के राजा को हमला कर बंदी बना लिया था। युद्ध के बाद जब राजा और उसकी इकहत्तर रानियों को गिरफ्तार कर चीन ले जाया जा रहा था तो उन सब ने इसी टीले से नदी में छलांग लगा कर आत्महत्या कर ली थी। यहाँ के निवासियों का विश्वास है की ये इकहत्तर फूल उन्हीं रानियों के प्रतीक हैं।
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संता, बंता से चींटी और हाथी के बच्चे में कौन बड़ा होता है ?
बंता, नैचुरली हाथी का बच्चा।
संता, रहा न खोते का खोता। अरे पागल जो पहले पैदा हुआ होगा वही बड़ा होगा। (-:
16 टिप्पणियां:
क्या सचमुच ऐसा हो सकता है? लेकिन यदि राजा की इकहत्तर रानियां थीं और इतने ही फूल खिलते हैं तो कुछ न कुछ तो होगा ही.
ऐसी बातें अनेक स्थानों के लिए सुनी जाती हैं। लेकिन जमीनी हकीकत कुछ और ही निकलती है।
ऐसा तो मै भी सुनता रहा हूँ पर देखा नहीं है. कोरिया अपनी पहुँच से दूर है .
शर्मा जी मन नही मानता, जरुर कोई कहानी ही होगी, जेसे हमारे यहां भी तो कई बार अफ़गाहे फ़ेल जाती है, लेकिन सुंदर ओर अजीब लगा, शाय्द दो चार सालो मे जाना हो तो जरुर इस स्थान पर जाऊगा,
चुटकला तो बहुत ही मजे दार रहा.
धन्यवाद
मुझे शिकायत है
पराया देश
छोटी छोटी बातें
नन्हे मुन्हे
matlab ye hua ki jo kahavat apne yahan bhedon k liye kahi jaati hai BHED_CHAAL vah koriya me phoolon k liye kahi jaati hogi PHOOL_CHAAL
ha ha ha ha ha ha
सन ६६० वाली बात तो मिथक कहलाएगी लेकिन यह आश्चर्यजनक ही है यदि ऐसा हो रहा है तो. क्या कोई वैज्ञानिक परीक्षण वहां किया गया है?
भाई प्रभु के इस संसार मे कुछ भी हो सकता है. वो चाहे तो अंधे को भी आंखे दे स्कता है तो यह क्युं नही हो सकता?
रामराम.
इकहत्तर रानियों के लिये इकहत्तर फ़ुल समझ मे आता है मगर राजा के लिये भी तो एकाध फ़ुल होना चाहिये ना।
देखिए, एक साथ गिरने से तात्पर्य क्या एक ही दिन,या एक ही पहर, या एक ही घंटे, या मिनट या सैकंड या सैकंड का भी हिस्सा है?
हो सकता है ये ऐसे पौधे हों जिनमें एक ही फूल लगता हो। हो सकता है कि ये पौधे लगभग इकहत्तर हों।
यदि कोई यह सब कैमरे में कैद करे और कितने पौधे, कितने फूल, और एक ही समय से क्या तात्पर्य बता सके तो बात बने।
घुघूती बासूती
ऐसा भी होता होगा .. घटना को सुनकर ताज्जुब तो होना ही है .. अब चाहे हकीकत जो भी हो।
कुछ कह नही सकते.........वास्तविकता क्या है......
अच्छा चुटकला है!!:))
एक लोककथा लगती है तो दूसरा चुटकुला!!
aashcharay huaa padhkar
इसमें कोई गूढ़ रहस्य छिपा है।
जानकारी देने के लिए धन्यवाद।
अद्भुत बात है
जवाब है न...!
वो ये कि आप हमेशा लाजवाब ही लिखते हैं।
बधाई और शुक्रिया।
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