दुनिया के हर देश में अपने झंड़े के प्रति विशेष लगाव होता है। यह छोटा सा कपड़े का टुकड़ा आत्मसम्मान, आत्म गौरव का प्रतीक होता है। इसको चढाने, उतारने के नियमों का कड़ाई के साथ पालन किया जाता है। पर एक जगह एक झंड़ा ऐसा भी है जो सदा टंगा रहता है, जिसे कभी चढाया नहीं जाता ना उतारा जाता है ना कभी उसे सलामी मिलती है। वह झंड़ा अमेरिका का है और उसे नील आर्मस्ट्रांग ने अपने अभियान के दौरान चांद पर लगाया था।
1969 से 1972 के बीच 12 अंतरिक्ष यात्रियों ने मिल कर करीब 170 घंटे चांद पर बिताये हैं। इस दौरान उन्होंने वहां करीब 100 कि.मी. चहलकदमी की है। वे चांद से लगभग 400 के.जी. मिट्टी तथा चट्टानों के टुकड़े तथा करीब 30000 फोटोग्राफ अपने साथ धरती पर लाने में सफल रहे हैं।
अपोलो 17 का अभियान चांद पर अमेरिका का अंतिम प्रयास था। उसके यात्री अपने पीछे एक धातु के टुकड़े पर खुदा संदेश छोड़ कर आये थे जिस पर खुदा हुआ था कि, दिसम्बर 1972 एडी मे मनुष्य ने अपना पहला चांद की खोज का अभियान पूरा किया। हमारा आशय था कि मनुष्य जाति का शांति संदेश चारों ओर फैले।
नील आर्मस्ट्रांग पहला इंसान था धरती के बाहर किसी आकाशीय पिंड पर अपना पैर रखने वाला। और उस समय उसके कहे शब्द दुनिया जानती है। पर चांद पर किसी मनुष्य के अबतक के अंतिम कदम और शब्द कमाण्डर सरमन के थे जो उन्होंने 11 दिसम्बर 1972 को कहे थे - "America's challenge of today has forged man's destiny of tomorrow"
इस ब्लॉग में एक छोटी सी कोशिश की गई है कि अपने संस्मरणों के साथ-साथ समाज में चली आ रही मान्यताओं, कथा-कहानियों को, बगैर किसी पूर्वाग्रह के, एक अलग नजरिए से देखने, समझने और सामने लाने की ! इसके साथ ही यह कोशिश भी रहेगी कि कुछ अलग सी, रोचक, अविदित सी जानकारी मिलते ही उसे साझा कर ज्यादा से ज्यादा लोगों तक पहुंचाया जा सके ! अब इसमें इसको सफलता मिले, ना मिले, प्रयास तो सदा जारी रहेगा !
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12 टिप्पणियां:
वाह यह तो हम भुल ही गये थे, अच्छी याद दिलाई आप ने.साथ मे सुंदर जानकारी.
धन्यवाद
अच्छा याद दिलाया चाँद का यह झंडा न उतरता है न चढ़ता है
जानकारी के लिए धन्यवाद
आपकी यह पोस्ट मुझे शायद अच्छी नहीं लगी मगर इसके पहले वाली ब्लागर से सम्बंधित पोस्ट में आपने बहुत सही नब्ज़ पकडी है वैसे भी अविनाश जी बहुत सुलझे हुए इंसान हैं उनकी हमारे घर में भी काफी तारीफ़ हो रही है
आपकी यह पोस्ट मुझे शायद अच्छी नहीं लगी मगर इसके पहले वाली ब्लागर से सम्बंधित पोस्ट में आपने बहुत सही नब्ज़ पकडी है वैसे भी अविनाश जी बहुत सुलझे हुए इंसान हैं उनकी हमारे घर में भी काफी तारीफ़ हो रही है
आपकी यह पोस्ट मुझे शायद अच्छी नहीं लगी मगर इसके पहले वाली ब्लागर से सम्बंधित पोस्ट में आपने बहुत सही नब्ज़ पकडी है वैसे भी अविनाश जी बहुत सुलझे हुए इंसान हैं उनकी हमारे घर में भी काफी तारीफ़ हो रही है
बहुत सुंदर जानकारी. आभार.
रामराम.
ise kahte hain jhanda gadna....
waah
badhaai !
बहुत बढिया जानकारी.
हकीकत़ है।
जानकारी के लिए धन्यवाद।
क्या इतने वर्षों बाद आज भी वो झण्डा सही सलामत है? कहीं फट तो नहीं गया!!
अरे ....अब वो चाँद की जिम्मेदारी है ....हमने तो अपनी इज्जत उसे सौंप दी .... " चाँद मेरे झंडे की लाज रखना ...."
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