रविवार, 9 नवंबर 2008

एक कंपनी जिसके सारे उत्पाद मुफ्त हैं।

07/सितम्बर/1998 को एक गैराज में केवल चार कर्मचारियों के साथ शुरु हुई थी एक कंपनी। जिसके मालिकों को शुरुआती खर्चों को पूरा करने के लिए अपने रिश्तेदारों और दोस्तों का मुंह जोहना पड़ रहा था। आज सिर्फ़ दस सालों के भीतर वह दुनिया में इंटरनेट पर सबसे ज्यादा धन कमाने वाली कंपनी बन गयी है। वह भी तब जबकि इसके सारे उत्पाद मुफ्त में उपलब्ध हैं। यह सफलता की अनोखी मिसाल है। इसकी सिर्फ एक शाखा, इंटरनेट पर, इसे सिरमौर बनाने के लिए प्रयाप्त है। जबकी इसके पास ऐसी दर्जनों इकाईयां हैं। जी हां यह कंपनी है "गूगल"। जिसका अर्थ है दस का सौंवा भाग। इसी के कारण आज आप और हम एक दूसरे से जुड़ पा रहे हैं, जान व पहचान पा रहे हैं।
गूगल सर्च से शुरु हुई इसकी सेवाओं में अब तक पचीसों नाम जुड़ चुके हैं। जिसमें सबसे सफल ई मेल सेवा 'जी मेल' और सबसे लोकप्रिय ब्लागिंग सेवा 'ब्लागर' सम्मिलित हैं। इनके अलावा गूगल :- मैप्स, अर्थ, हेल्थ, न्यूज, 411, आई, इमेजेज, यू-ट्यूब, पिकासा, आरकुट, बुक सर्च, डेस्कटाप सर्च, फाईनेंस, पेटेंट, उत्पाद, मोबाइल के साथ-साथ इंटरनेट ब्राउजर क्रोम और अभी-अभी गूगल फोन और ना जाने क्या-क्या और सब के सब मुफ्त। है ना अचंभित करने वाली बात। इसकी एडसेंस नाम की अनोखी लाजवाब इंटरनेट विज्ञापन तकनीक ने तो इसे औरों से मीलों आगे कर दिया है। इस सब का श्रेय जाता है गूगल सर्च को जो इंटरनेट पर होने वाली 60 प्रतिशत खोजों के लिए जिम्मेवार है।
इन सारी उपलब्धियों के पीछे हैं, अमेरिका के स्टैनफोर्ड विश्व विद्यालय के स्नातक द्वय ,लैरी पेज और सर्गैई ब्रिन। जिनकी अथक मेहनत से आज दुनिया फायदा उठा रही है। पर इनके साथ-साथ, सन माइक्रोसिस्टम के संस्थापक 'एंडी बेक्टलशीम' को नहीं भुलाया जा सकता, जिनकी दूर दृष्टी ने प्रतिभाओं को पहचाना और उन्हें समय पर जरूरी आर्थिक सहयता उपलब्ध करवाई।

9 टिप्‍पणियां:

Alpana Verma ने कहा…

achchee aur alag si jaankari hai..

[main ne kahin suna tha ki google aur hotmail ek indian software engineer ne banaye they aur us ne inhey americans[jinka naam aap ne likha hai] ko bech diya tha-kya yah sach hai--???

Sadhak Ummedsingh Baid "Saadhak " ने कहा…

सही सुना है अल्पना, लेकिन नही उपाय.
गूगल के जो फ़ायदे, सबका मन ललचाय.
सबका मन ललचाय,ज्ञान जो लगा है बिकने.
भारत की सारी मेधा,तैयार है बिकने.
कह साधक कवि मार्ग निकालो कोई ऐसा.
मेधा पर हावी ना होने पाये पैसा.

P.N. Subramanian ने कहा…

अच्छी जानकारी दी है. वैसे विषय बदलते रहना चाहिए तभी तो मज़ा है. आभार.
http://mallar.wordpress.com

योगेन्द्र मौदगिल ने कहा…

शानदार जानकारी
आपकी इस जीवंत प्रस्तुति को नमन
googal baba ki jai........

बेनामी ने कहा…

@अल्पना वर्मा,


ग़लत सुना है आपने,
गूगल के एल्गिरिथ्म में किसी भारतीय का हाथ नहीं है, हॉटमेल के सर्जक द्वय में अवश्य एक भारतीय है (सबीर भाटिया).

गगन शर्मा, कुछ अलग सा ने कहा…

अल्पना जी,
आपने ठीक सुना था। सबीर भाटिया ने हाटमेल का विकास कर उसे माइक्रोसाफ्ट को 1700 करोड़ रुपये में बेच दिया था। इस कड़ी में बहुत से नाम हैं। जिन्होंने इस अनंत संभावनाओंवाले इंटरनेट विश्व में अपनी लियाकत से सफलता की पटकथा लिखी है। हमारे यहां प्रतिभाओं की कमी कभी नहीं रही है।

राज भाटिय़ा ने कहा…

शर्मा जी आप की इस जानकारी के लिये धन्यवाद, ओर सबीर भाटिया वाली बात भी सही है.
धन्यवाद

PD ने कहा…

Wow.. great info about google.. Thanks.. :)

makrand ने कहा…

sir sahi jankari
regards
naya saand pala he
nazere inyat

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