बुध के पिता चन्द्रमा और मां तारा हैं। इनकी बुद्धि बड़ी गम्भीर थी इसलिए ब्रह्माजी ने इनका नाम बुध रखा। ये सभी शास्त्रों में पारंगत तथा अपने पिता चन्द्रमा की तरह कांतिमान हैं। इन्हें सब तरह से योग्य पा ब्रह्माजी ने इन्हें भूतल का स्वामी तथा ग्रह बना दिया था। इनका वर्ण कनेर के फूल की तरह पीला है तथा ये पीले रंग के ही वस्त्र धारण करते हैं। इन्होंने अपने चारों हाथों में तलवार, ढाल, गदा तथा वरमुद्रा धारण की हुई है। इनका रथ श्वेत और प्रकाश से दीप्त है, जिसमें वायु के समान गति वाले दस घोड़े जुते हुए हैं। इनका एक वाहन सिंह भी है। इनकी विद्या-बुद्धि से प्रभावित होकर महाराज मनु ने अपनी गुणवती कन्या इला का विवाह इनके साथ कर दिया। इनके संयोग से महाराज पुरूरवा की उत्पत्ति हुई। जिन्होंने चन्दवंश का विस्तार किया। बुध ग्रह के अधिदेवता भगवान विष्णु हैं। बुध, मिथुन और कन्या राशि के स्वामी हैं। इनकी महादशा 17 वर्ष की होती है। इनकी शांति के लिए प्रत्येक अमावस्या को व्रत रखना शुभ होता है। वैसे ये प्राय: मंगल ही करते हैं। इनका सामान्य मंत्र :- “ऊँ बुं बुधाय नम:” है। जिसका जाप एक निश्चत संख्या में रोज करने से शुभ फल प्राप्त होता है। किन्हीं विशेष परिस्थितियों में विद्वानों का मार्ग दर्शन लेना उपयोगी रहता है।
* पिछला ग्रह : मंगल, अगला ग्रह : बृहस्पति।
इस ब्लॉग में एक छोटी सी कोशिश की गई है कि अपने संस्मरणों के साथ-साथ समाज में चली आ रही मान्यताओं, कथा-कहानियों को, बगैर किसी पूर्वाग्रह के, एक अलग नजरिए से देखने, समझने और सामने लाने की ! इसके साथ ही यह कोशिश भी रहेगी कि कुछ अलग सी, रोचक, अविदित सी जानकारी मिलते ही उसे साझा कर ज्यादा से ज्यादा लोगों तक पहुंचाया जा सके ! अब इसमें इसको सफलता मिले, ना मिले, प्रयास तो सदा जारी रहेगा !
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5 टिप्पणियां:
ग्रहों का पौराणिक आख्यान रोचक है।
rochak hai--
budhh dev ke ek -do chitr bhi de dete lekh ke saath to achcha rahta.
जानकारी के लिए आभार. अल्पना जी का सुझाव पर गंभीरता से विचार करें. चित्र तो गूगले इमेजस से मिल ही जाएँगे. चित्र का साथ रहना लेख को प्रभावी बना देता है.
http://mallar.wordpress.com
बहुत ही सुंदर एक दिन हमे पंडित बना कर रखॊ गे शर्मा जी, बाकी अल्पना जी की बात उचित है.
धन्यवाद
आप से अनुरोध है कि" बतकही' पर पधारे और अपनी राय सम्मति सलाह अवश्य दें आभारी रहूँगा फलित कथन कि सरल पद्धति ' जिस पर मैं लगभाग गत ३५-४० वर्षों से कार्य कर रहा हूँ | और जो वक्तिगत जन्मंगों में वर्ष की प्रमुख घटना का बहुत सटीक संकेत दे देती है आगे महादाश ,गोचर का समायोजन कर उनसे सामंजस्य बैठा बहुत सटीक भविष्य वाणी की जा सकती है
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