बुधवार, 5 नवंबर 2008

बी. आर. चोपडा पर भारी "बा"

प्रख्यात निर्माता निर्देशक बी आर चोपडा नही रहे। बहुत दिनों से खबरों में भी नही थे। पर यह देख कर दुःख हुआ की एक ऐसे इंसान, जिसकी कभी फिल्म संसार में तूती बोलती थी, उसकी मौत पर सब जगह खामोशी छाई रही। जले पर नमक तब पडा जब 'स्टार प्लस' का "न्यूज चैनल" अपने धारावाहिक के एक काल्पनिक पात्र " बा" की मौत का उसके पूरे इतिहास भूगोल के साथ बखान कराने में लगा हुआ था। पर सचमुच की मौत पर उसके पास समय की अत्यधिक कमी थी।
शर्म, हया, इंसानियत सब सिर्फ कहने के लिए ही बचे हैं। एक ही चीज प्रधान है , पैसा और सिर्फ पैसा

5 टिप्‍पणियां:

लावण्यम्` ~ अन्तर्मन्` ने कहा…

अरे ..ये समाचार आप से ही पता चले ..अँकल की मृत्यु पर बहुत दुख है :-(((
- लावण्या

जितेन्द़ भगत ने कहा…

दुखद।

राज भाटिय़ा ने कहा…

एक दुखद समाचार(:

seema gupta ने कहा…

शर्म, हया, इंसानियत सब सिर्फ कहने के लिए ही बचे हैं। एक ही चीज प्रधान है , पैसा और सिर्फ पैसा
" very painful to read...."

Regards

संगीता पुरी ने कहा…

यहां की स्थिति बहुत ही दुखद है ।

विशिष्ट पोस्ट

ठेका, चाय की दुकान का

यह शै ऐसी है कि इसकी दुकान का नाम दूसरी आम दुकानों की तरह तो रखा नहीं जा सकता, इसलिए बड़े-बड़े अक्षरों में  ठेका देसी या अंग्रेजी शराब लिख उसक...