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| सच्चाई |
इस ब्लॉग में एक छोटी सी कोशिश की गई है कि अपने संस्मरणों के साथ-साथ समाज में चली आ रही मान्यताओं, कथा-कहानियों को, बगैर किसी पूर्वाग्रह के, एक अलग नजरिए से देखने, समझने और सामने लाने की ! इसके साथ ही यह कोशिश भी रहेगी कि कुछ अलग सी, रोचक, अविदित सी जानकारी मिलते ही उसे साझा कर ज्यादा से ज्यादा लोगों तक पहुंचाया जा सके ! अब इसमें इसको सफलता मिले, ना मिले, प्रयास तो सदा जारी रहेगा !
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इसके पीछे रामायण के लंका कांड में वर्णित उस घटना की मान्यता है, जिसमें अहिरावण राम व लक्ष्मण जी को छल से उठाकर, पाताल लोक ले जा कर अपनी आराध्य कामदा देवी को उनकी बलि चढ़ाना चाहता था, तभी हनुमान जी वहां जा कर मूर्ति में प्रवेश कर देवी के स्वरूप में उसका वध कर राम-लक्ष्मण दोनों भाइयों को अपने कंधों पर बैठा वापस ले आते हैं ! क्योंकि हनुमान जी ने मूर्ति में प्रवेश कर देवी का रूप धारण किया था, इसीलिए इस मंदिर में हनुमान जी की देवी स्वरूप में पूजा होती है..........!
#हिन्दी_ब्लागिंग
हमारा देश विचित्र, अनोखी, विलक्षण मान्यताओं से भरा पड़ा है ! कोई-कोई बात तो ऐसी होती है कि उस पर सहसा विश्वास ही नहीं होता ! पर जब वह बात साक्षात दिखती हो, उस मान्यता का सच में अस्तित्व नजर आता हो, तो अविश्वास की कोई गुंजाईश भी नहीं रह जाती है ! ऐसा ही एक अनोखा, अनूठा, सत्य हनुमान जी के मंदिर के रूप में छत्तीसगढ़ राज्य के रतनपुर जिले के गिरजाबंध इलाके में स्थित है !
| मंदिर का मुख्यद्वार |
| देवी स्वरूप |
विश्व के इस अनोखे, इकलौते मंदिर की विशेषता यह है कि इसमें हनुमान जी की देवी स्वरूप में पूरे साजोश्रृंगार के साथ पूजा-अर्चना की जाती है ! एक झटका सा लगा ना.....?? हनुमान जी, जो आजन्म ब्रह्मचारी रहे, हर नारी को पूज्यनीय माना ! उन्हीं की नारी स्वरूप में पूजा......!! पर यह सच है ! इसके पीछे रामायण के लंका कांड में वर्णित उस घटना की मान्यता है, जिसमें अहिरावण राम और लक्ष्मण जी को छल से उठाकर पाताल लोक ले जा कर अपनी आराध्य कामदा देवी को उनकी बलि चढ़ाना चाहता है ! तभी हनुमान जी वहां जा कर मूर्ति में प्रवेश कर देवी के स्वरूप में उसका वध कर राम-लक्ष्मण दोनों भाइयों को अपने कंधों पर बैठा वापस ले आते हैं ! क्योंकि हनुमान जी ने मूर्ति में प्रवेश कर देवी का रूप धारण किया था, इसीलिए इस मंदिर में हनुमान जी की देवी स्वरूप में पूजा होती है !
| श्री हनुमते नम: |
हमारे यहां तो लम्बी कतार है उदाहरणों की, श्री कृष्ण, नचिकेता से शरू करें तो आधुनिक युग में भी लक्ष्मी बाई, चंद्रशेखर, खुदीराम बोस, विवेकानंद, जतिंद्र नाथ, भगत सिंह, उमाकांत कड़िया, करतार सिंह सराभा, गिनते-गिनते थक जाएंगे पर इन शूरवीरों के नाम खत्म नहीं होंगे.........!
#हिन्दी_ब्लागिंग
युवा वर्ग को ले कर अचानक एक गढ़ा गया शब्द ''जेन-जी'' उमड़ता है और दुनिया भर पर वितान सा छा जाता है ! ऐसे शब्द पहले भी बनते-बिगड़ते रहे हैं, तरह-तरह के बदलावों से उन्हें जोड़ा जाता रहा है ! आज इसे यदि युवाओं की क्रांति से जोड़ा जा रहा है तो, युवा तो हर युग में हुआ है ! क्रांतियां तो युवाओं द्वारा ही होती हैं ! उन्हीं के द्वारा सदा गलत के विरोध में विद्रोह और प्रतिरोध हुए हैं !
| सत्ता के विरुद्ध पहली क्रांति |
हमारे यहां तो यह चिर काल से होता आया है ! यदि अपने पूर्वाग्रह और कुंठा छोड़, सभी लाल-नीले-पीले, गोल-चपटे-तीरछी विचारधारा वाले, श्री कृष्ण चरित्र को पढ़ें तो ज्ञात हो जाएगा कि इस बारे में भी सनातन सबसे आगे है और उसका कोई सानी, कोई उदाहरण, कोई दृष्टांत, कोई मिसाल दुनिया में और कहीं नहीं मिलती !
| जन-क्रांति |
अपने देश में तो लम्बी कतार है उदाहरणों की, श्री कृष्ण, नचिकेता से शरू करें तो आधुनिक युग में भी लक्ष्मी बाई, चंद्रशेखर, खुदीराम बोस, विवेकानंद, जतिंद्र नाथ, भगत सिंह, उमाकांत कड़िया, करतार सिंह सराभा गिनते-गिनते थक जाएंगे पर इन शूरवीरों के नाम खत्म नहीं होंगे !
पर इतिहास इस बात का भी गवाह रहा है कि यदि भौतिक बदलावों को छोड़ दें तो जो क्रांतियां, तानाशाही, भ्रष्टाचार, वंश, भाई-भतीजावाद के विरोध में की गईं वे तात्कालिक रूप से तो सफल रहीं, परंतु समय के साथ फिर उनके परिणामों में बदलाव आता चला जाता है ! फिर वही पुरानी बुजुर्वा ताकतें हावी होती चली जाती हैं ! पर अब अच्छी बात यह है कि आज का युवा तकनिकी तौर पर पहले से ज्यादा सक्षम ज्ञानवान तथा जागरूक है, उसे ना तो ''नेरेटिवों'' से बहकाया जा सकता है ना हीं उससे सच्चाई छिपाई जा सकती है ! देश का भविष्य सुरक्षित है और रहेगा !
जय हिन्द 🙏
@चित्र अंतर्जाल के सौजन्य से
समय-समय पर वे सपने में आ कर, अपने सैनिकों को सतर्क करते रहते हैं। कई बार उन्होंने विषम परिस्थितियों के आने के पहले ही सेना को सचेत किया है ! उनकी सूचना हर बार पूरी तरह सही साबित हुई है ! पर वे खुद कभी दिखाई नहीं पड़ते ! पर दूसरी ओर चीनी सैनिकों का मानना है कि उन्होंने एकाधिक बार रात में बाबा हरभजन सिंह को घोड़े पर सवार होकर सीमा पर गश्त लगाते हुए देखा है ...........!
#हिन्दी_ब्लागिंग
क्या यह संभव है कि कोई सैनिक अपने देश से इतना प्रेम करता हो कि अपनी मृत्यु के पश्चात भी वह अपनी मातृभूमि की सुरक्षा के लिए सदा सचेत व तत्पर रहता हो ! शायद हाँ ! यहाँ शायद कहना भी शायद गलत होगा क्योंकि इस बात का प्रमाण हम नहीं विदेशी देश के सैनिक देते हैं ! भारत माँ के उस वीर सपूत का नाम है, हरभजन सिंह, जिन्हें मृत्योपरांत अब बाबा हरभजन सिंह के नाम से सादर याद किया जाता है !
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| बाबा हरभजन सिंह |
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| मंदिर |
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| मंदिर में स्थित प्रतिमा |
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| दफ्तर और रेस्ट रूम |
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| समाधि स्थल |
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| पूजा स्थल |
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| मंदिर और चीनी सीमा |
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| कुहासे से घिरा मंदिर |
यह मंदिर सिक्किम राज्य की राजधानी गंगटोक से 59 किलोमीटर की दूरी पर नाथुला दर्रे से 9 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है, यानी एक तरह से चीनी सीमा से लगा हुआ है ! उनकी निगाह हम पर सदा बनी रहती है ! इसके अलावा यहां का मौसम बिल्कुल अप्रत्याशित है ! एक पल में सुहाना, दूसरे पल में शीत लहर ! कभी कुहासा इतना गहरा कि कुछ गज देखना भी दूभर हो जाता है ! इसलिए यात्रा के पहले समुचित तैयारी होनी चाहिए ! सेना द्वारा संचालित यहां एक गिफ्ट शॉप भी है, जहां से यादगार के तौर पर खरीदारी की जा सकती है !
जय हिन्द ! जय हिन्द की सेना !!
#हिन्दी_ब्लागिंग
दुनिया में समय, क्रम या पद में जो महत्व प्रथम, पहला, सर्वप्रथम यानी नंबर एक का है, उसके सामने अगले उपक्रम गौण हो कर रह जाते हैं ! चाँद पर उतरने वाले पहले मानव का नाम विश्वप्रसिद्ध हो गया पर कुछ क्षण बाद उतरने वाले को कितने लोग जानते हैं ? एवरेस्ट पर दूसरे सफल अभियान को कितने लोग जानते हैं ! बिंद्रा और नीरज ने स्वर्ण पदक जीते दूसरे नंबर पर कौन रहा, कुछ ही लोगों को इसमें दिलचस्पी होगी ! किसी भी खेल, प्रतियोगिता, परीक्षण, उपलब्धि, खोज या स्पर्द्धा में प्रथम को ही दुनिया याद रखती है, फिर भले ही वह उपलब्धि, क्षणांश से हो, रत्ती भर के फर्क से हो या भाग्य से ! डेटा एनालिस्टों को छोड़ दें तो आम इंसान की स्मृति में उसके लिए कोई स्थान नहीं बन पाता !
इसी संदर्भ में यूट्यूब पर अप-लोड किए गए पहले विडिओ को देखा जाए, जिसके बारे में लाखों लोगों को इतनी सारी जानकारी है कि 19 सेकेंड का MeAtTheZoo नामक यह विडिओ यूट्यूब के सह-संस्थापक जावेद करीम द्वारा 23 अप्रैल 2005 को सेन डियागो के चिड़ियाघर में हाथियों के सामने बना कर अपलोड किया गया था, जिसको अब तक 17 करोड़ से भी ज्यादा बार देखा जा चुका है ! पर इसके बाद दूसरा वीडियो कौन सा है, गिने-चुने यूट्यूबर को छोड़ कर शायद ही कोई बता पाए !
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| जावेद करीम |
खोज करने पर पता चला कि यूट्यूब पर अपलोड हुआ दूसरा वीडियो 'माई स्नोबोर्डिंग स्किल्ज़' नाम का है ! इसमें एक व्यक्ति रैंप पर स्नोबोर्डिंग करने की कोशिश करता है पर असफल हो जाता है। असफलता इस मायने में भी क्योंकि यह करीम के 'मी एट द ज़ू' वीडियो के कुछ घंटों बाद ही अपलोड किया गया था, समय ने इसे प्रथम अपलोड वीडियो होने से रोक, ख्याति से दूर कर, नंबर दो के अभिशाप के साथ अज्ञातवास में धकेल दिया !
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| यूट्यूब पर अपलोड होने वाला दूसरा वीडियो |
वैसे यूट्यूब पर 'असफल वीडियो' नाम की भी एक श्रेणी है, जिसमें लोग किसी खास गतिविधि, ज्यादातर खेल, कोई शारीरिक गतिविधि या क्रीड़ा करते हैं और असफल होते हैं। यूट्यूब पर अपलोड हुआ यह दूसरा वीडियो जाने-अनजाने इस श्रेणी का प्रथम वीडियो बन गया है ! इसे एक अमेरिकन यूट्यूबेर और स्नोबोर्डर ''MW'' द्वारा पोस्ट किया गया था, जिसने इसके बाद कोई और वीडियो पोस्ट नहीं किया। उसके पूरे नाम की भी जानकारी नहीं मिलती ! यह वीडियो भी पहले वाले की तरह कुछ खास नहीं है, लेकिन इतिहास के दूसरे सबसे पुराने यूट्यूब वीडियो का खिताब अपने नाम करने के बावजूद अज्ञात सा ही है ! इस लिंक पर वह वीडियो देखा जा सकता है - https://youtu.be/LeAltgu_pbM
तो इस सब का सार यही है कि दुनिया में अपनी पहचान और लोगों की यादाश्त में जगह बनानी है तो प्रथम या पहला होना अति आवश्यक है !
@दोनों वीडियो अंतर्जाल के सौजन्य से 🙏
कभी आपने पिजंड़े में कैद जानवरों के चेहरों को ध्यान से देखा है ? जहां हर जीव के चेहरे पर छटपटाहट, बेबसी, निराशा, उदासी, थकावट, उकताहट जैसे भाव स्थाई हो कर रह गए होते हैं ! यहां आहार तो इन्हें बिना किसी उपक्रम व परिश्रम के मिल जाता है ! इसीलिए बिना दौड़-भाग के सिर्फ खाने और सोने के कारण उनकी शारीरिक क्रियाऐं दिन ब दिन शिथिल होती चली जाती हैं और ये समय से पहले बूढ़े, बीमार होते चले जाते हैं.........!
#हिन्दी_ब्लागिंग
इंसान सदा से एक फितरती प्राणी रहा है ! वह अपने आप को संसार के सभी जीवों से उत्कृष्ट मानता आया है ! उसे लगता है कि वही इस जगत का स्वामी है, बाकी सारे जीव-जंतु उसकी मिल्कियत हैं ! इतना ही नहीं यदि वह सक्षम व सशक्त भी हो जाए तो वह तो निरीह इंसानों तक को नहीं बख्शता,उनको अपना दास बना लेता है, जानवर क्या चीज हैं !
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| शौक की कीमत |
जानवरों को पालना कोई बुरी बात नहीं है ! देश-विदेश में ऐसा वर्षों से होता आया है ! यदि पशु-पक्षी बेसहारा हो, अपने परिवार से बिछुड़ा हुआ हो या उसकी जान को खतरा हो तो उसकी रक्षा करना, उसका जीवन बचाना पुण्य का काम माना जाता है ! परंतु सिर्फ अपने शौक को पूरा करने के लिए जंगली जानवरों के शावकों, पशु-पक्षियों या अन्य जीवों को सिर्फ अपने मनोरंजन के लिए बंदी बनाना किसी भी दृष्टि से उचित नहीं माना जा सकता !
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| स्नेह |
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| प्रताड़ना |
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| पराधीन सपनेहुं सुख नाहीं |
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| आजादी |
@चित्र अनुज रंजन तथा अंतर्जाल के सौजन्य से
राजनीति में जनोन्माद का भाव पैदा करना स्वाभाविक है। कोई अगर किसी पार्टी पर हमला कर राजनीतिक बढ़त हासिल करने की कोशिश करता है तो इसमें कोई बुराई भी नहीं है। परंतु सोशल मीडिया के युग में, बार-बार फैलाए गए झूठ, आम जनता के लिए सच का रूप ले लेते हैं, यह खतरनाक है ! वर्तमान में झूठ, बल्कि खुले झूठ, का राजनीति में एक गैसलाइटिंग हथियार के रूप में इस्तेमाल किया जाना शुरू हो चुका है ! विपक्षी पर सार्वजनिक मंच से बेशर्मी से झूठ बोल, असंसदीय शब्द या मिथ्या घृणित आरोप लगा कर यह दावा करना कि मेरा कथन ही सच है, यही है गैसलाइटिंग..............!
#हिन्दी_ब्लागिंग
गैसलाइटिंग ! क्या होती है गैसलाइटिंग, जिसकी वेबसाइटों पर हुई बेपनाह खोज के कारण अमेरिका के जाने-माने पब्लिशर मेरियम बेवस्टर ने वर्ड ऑफ द ईयर चुना है ? उनके अनुसार इस शब्द का अर्थ है, किसी के द्वारा किसी के आत्म-संदेह को बढ़ावा देना ! किसी को उसकी सोच और विचारों पर संदेह दिला उनको नकारने के लिए प्रेरित करना। इससे पीड़ित व्यक्ति को अपनी ही समझ पर संदेह होने लगता है ! जिससे वह चिंता, अवसाद, भटकाव जैसी भावनाओं से ग्रस्त हो जाता है और इसका असर उसके मानसिक स्वास्थ्य पर भी हानिकारक रूप से पड़ने लगता है !
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| प्रभाव |
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| प्रक्रिया |
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| नेता ?? |
दरअसल ऐसे लोग राजनेता हैं ही नहीं ! उन्हें देश, धर्म, जाति, देशवासियों, किसी से भी कुछ लेना-देना नहीं है ! उन्हें मतलब है सिर्फ और सिर्फ अ...