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रविवार, 22 जून 2025

बुड़बक समझ लिए हो ? कोउनो दिन माथा फिरा गिया ना, तो फिर.......😡

अरे ! हम लोग धर्म-भीरु हैं, सरल हैं, भोले हैं ! सभी लोगों पर विश्वास कर लेते हैं ! तभी तो कोई लाल-हरी चटनी खिला कर, कोई पानी छिड़क कर, कोई धुंआ सुंघा कर, कोई हाथ की सफाई दिखा कर हमें भरमा लेता है। हमारी गलती यह है कि उसकी असलियत जानने के बाद भी हम उसे कुछ नहीं कहते, माफ कर देते हैं ! यदि खुले आम सड़क पर उसकी औकात बता एक बार सबक सीखा दिया जाए, तो उस जैसे औरों की कभी हिम्मत नहीं पड़ेगी धोखाधड़ी की................!

#हिन्दी_ब्लागिंग 

सांझ घिर आई थी। मैं बालकनी में खड़ा, हल्की झड़ी के बाद आकाश पर छाए सुरमई बादलों के पल-पल बनते-बदलते आकारों को देख रहा था ! तभी सामने से बिनोद आता दिखाई पड़ा। उसने भी मुझे देख लिया था और वहीं से हाथ हिला अभिवादन भी प्रेषित कर दिया था। अंदर आवाज लगा दरवाजा खोलने को कहते-कहते मैं भी ड्राइंग रूम में आ गया। 

तभी बिनोद अंदर आया और मैं कुछ बोलूं,  इसके पहले ही हाथ का थैला मेज पर रख, अपनी सफाई में उसने बता दिया कि रास्ते में अच्छे हिमसागर दिखे सो ले आया ! वह जानता था कि ऐसा कुछ भी करने-लाने के मैं सख्त खिलाफ हूँ, पर उसे यह भी मालूम था कि लंगड़ा के बाद मुझे हिमसागर आम ही ज्यादा पसंद हैं सो उसने यह हिम्मत की ! 

मैंने ऐसे ही मजाक में उससे पूछ लिया कि आज आम ही लाए हो, कोई समस्या नहीं लाए ?''

बिनोद भी बिनोद ही था, तुरंत बोला, अइसा कैइसे हो सकता है कि बिनोद, भैया जी के पास आए और वह भी बिना किसी समस्या के !''  

तो, आज का मसला क्या है ?''

बिनोद कुछ गंभीर हो गया। जैसे सोच रहा हो, कहां से शुरू करे। फिर चुप्पी तोड़ते हुए कहने लगा, भइया जी ! परसों रात ऐसे ही मोबाइल खंगाल रहा था कि एक हेडिंग दिखी कि एक माचिस की तीली आपका भाग्य बदल सकती है ! जिज्ञासावश आगे देखा तो एक सफेद दाढ़ी वाला बाबा टाइप आदमी तिलक लगाए बैठा था, सबसे पहले मेरा ध्यान उसके तिलक पर ही गया, जो ठीक भृकुटि पर ना हो, जरा सा बाईं ओर लगा हुआ था ! भइया जी, उसको देख पहला ख्याल मेरे मन में यही आया कि जिसको तिलके लगाना नहीं आता ऊ क्या ज्ञान देगा ?'' इतना कह वह मुझे देखने लगा, जैसे मेरी सहमति चाहता हो। 

सुन रहा हूँ, पर नेट की विषय-वस्तुओं को सीरियसली मत लिया करो ! हो सके तो देखा ही मत करो ! वहां नब्बे प्रतिशत सिर्फ बकवास होती है ! फिर भी चलो आगे बताओ।''

भइया जी, उस रील में ऊ आदमी बता रहा था कि राहु-केतु मानव जीवन में काफी उथल-पुथल मचाते हैं ! बहुत क्रूर ग्रह हैं ! उन्हें खुश करने में माचिस की तीली बड़ी सहायक होती है। तीली का सिरा जहां आग लगती है, वो राहु का प्रतीक है और निचला हिस्सा केतु का ! यदि तीली को पूर्णतया जला कर टॉयलेट में बहा दिया जाए तो दोनों ग्रह खुश हो सहायक बन, आपके सहाई हो, जीवन को खुशियों से भर, धन की वर्षा कर देंगे !''

मैं देख रहा था कि बात करते-करते बिनोद कुछ विचलित सा हो रहा था, जैसे तनावग्रस्त हो रहा हो ! 

उसने कहना जारी रखा, भइया जी, अइसे लोग हम सब को बुड़बक समझते हैं का, कि जो कह देंगे उहे सही मान कर इनका विस्वास कर लेंगे ? ठीक है, हम लोग धर्म-भीरु हैं, सरल हैं, भोले हैं, सभी लोगों पर भरोसा कर लेते हैं ! तभी तो कोई लाल-हरी चटनी खिला कर, कोई पानी छिड़क कर, कोई धुंआ सुंघा कर, कोई हाथ की सफाई दिखा कर हमें भरमा लेता है। हमारी गलती ई है कि उसकी असलियत जानने के बाद भी हम उसे कुछ नहीं कहते, माफ कर देते हैं ! यदि खुले आम सड़क पर उसकी औकात बता, सबक सीखा दिया जाए, तो उस जैसे औरों की कभी हिम्मत नहीं पड़ेगी धोखाधड़ी की !''

बिनोद कुछ असहज हो रहा था ! मैंने पानी मंगवा उसे दिया। पानी ने उसे कुछ सहज किया। 

भइया जी, आप ही बताइए यदि आप किसी को  बुरी तरह पीट कर, उसका कचूमर निकाल गंदे नाले में फेंक देंगे तो क्या वह आपसे खुश होगा ? आपको आशीर्वाद देगा ? मैं नहीं जानता कि राहु-केतु कुछ होते हैं कि नहीं ! पर मान लेते हैं कि हैं, तो यदि उसके प्रतीक को जला कर टॉयलेट जैसी गंदी जगह में बहाएंगे तो इससे वह खुश कैसे होगा ? उलटे उसका तो पारा और भी चढ़ जाएगा, वह तो और भी बुरी तरह से आप पर चढ़ बैठेगा ! और वह बाबा, लोगों को ऐसा करने को कह रहा है और कमेंट में लोग यह सब करने पर राजी भी हो रहे हैं ! उपाय बताने पर उसका धन्यवाद दे रहे हैं, कृतज्ञ हो रहे हैं ! सब्बे बिना माथा के हैं क्या ? अरे, कोई आदमी इतना बुड़बक कैसे हो सकता है ?''    

बिनोद तो चुप हो गया ! पर मैं सोच रहा था अब ढोंगी, ठगों के कुदिन आने वाले हैं ! आम इंसान धीरे-धीरे मंद गति से ही सही, सजग हो रहा है ! ढोंगी, फरेबी, धोखेबाज बाबाओं तो क्या तथाकथित नेताओं को भी तात्कालिक रूप से सावधान हो जाना चाहिए, नहीं तो राहु-केतु की युति उनकी कुंडली में सर्पयोग ला देगी ! उनके सारे ग्रह वक्री हो जाएंगे ! ऐसा न हो कि विपरीत ग्रहों की चाल से उनका फैसला न्यायालयों में न हो कर फौरी तौर पर सड़कों पर ही होने लगे !

@चित्र अंतर्जाल के सौजन्य से 

गुरुवार, 22 जुलाई 2021

यूट्यूब का इंद्रजाल

तीनों युवकों; चाड हर्ले, स्टीव चैन व जावेद करीम को अपने काम से तसल्ली या संतोष नहीं मिल पा रहा था ! अक्सर आपस में वे कुछ नया और अनोखा करने की योजना बनाते रहते थे। आखिर उनकी सोच और मेहनत रंग लाई और 2005 की 14 फ़रवरी, वैलेंटाइन दिवस के अवसर पर, उन्होंने इंटरनेट पर एक ऐसा प्लेटफॉर्म बना डाला जिस पर कोई भी और किसी भी विडिओ क्लिप को देखे जा सकने के साथ-साथ अपलोड भी किया जा सकता था ! उसी मंच की लोकप्रियता आज इतनी बढ़ चुकी है कि मुंबई समेत दुनिया के 10 शहरों में विडिओ बनाने के लिए  YouTube Space नाम से मिनी स्टूडियो जैसी जगह उपलब्ध करवाई जा रही है.......! 

#हिन्दी_ब्लागिंग 

यूट्यूब अमेरिका में आविष्कृत हुआ एक वीडियो देखने वाला एक ऐसा मंच है, जिसका सदस्य बन कोई भी उस पर अपना विडिओ क्लिप देखने, अपलोड करने के साथ-साथ अपना कमेंट या टिपण्णी भी आसानी से डाल सकता है। आज इसका आकर्षण इतना बढ़ गया है कि आबालवृद्ध सा इसके दीवाने हो गए हैं। कारण भी है, यहां हर विषय पर विडियो कंटेंट उपलब्ध है, चाहे बात ज्ञान और जानकारी की हो या मनोरंजन व फिल्मों की ! इसीलिए दिन ब दिन इसकी लोकप्रियता में बढ़ोत्तरी होती चली जा रही है।यह Google की ही एक फ्री सर्विस है जिसे स्मार्ट फोन, कंप्यूटर या लैप टॉप किसी पर भी इस्तेमाल किया जा सकता है। आज यह दुनिया के 88 देशों में 76 भाषाओं के साथ अपनी उपस्थिति दर्ज करवा चुका है। 

फेसबुक ट्वीटर, माय स्पेस, इंस्टाग्राम, टिंडर यहां तक कि यूट्यूब से भी पहले एक वेबसाइट हुआ करती थी जिसका नाम था HOT or NOT. इसे रेटिंग साइट भी कहा जाता था, क्योंकि इस पर पोस्ट किए गए चित्रों की आकर्षकता और सुंदरता का निर्धारण लोगों के द्वारा दिए गए मत और पसंदानुसार, 1 से 10 अंक दे निर्धारित किया जाता था। इसीकी 'Meet Me' साइट पर लोगों को अपना साथी चुनने की सुविधा भी उपलब्ध करवाई जाती थी ! आज इसका नवीनतम रूप एक एप्प ने ले लिया है। इसको यूट्यूब का प्रेरणा स्रोत माना जा सकता है !  

अमेरिका के कैलिफोर्निया राज्य के पालो अल्टो शहर में दिसम्बर 1998 में पेपाल (PayPal) नाम की एक कंपनी स्थापित की गई जिसकी मदद से लैपटॉप, कंप्यूटर, स्मार्टफोन या टैबलेट किसी से भी, किसी के भी खाते में पैसे भेजे और लिए जा सकते थे। आज  यह दुनिया की  सबसे बड़ी इंटरनेट भुगतान करने वाली कंपनियों में से एक है। इतनी  अच्छी और बड़ी कंपनी होने  के बावजूद इसमें काम करने वाले तीन युवकों,  चाड हर्ले, स्टीव चैन व जावेद करीम को अपने काम से तसल्ली या संतोष नहीं मिल पा रहा था ! अक्सर  आपस में  वे  कुछ नया और अनोखा  करने  की योजना  बनाते  रहते  थे।  आखिर उनकी सोच व मेहनत रंग लाई और 2005 की 14 फरवरी, वैलेंटाइन दिवस के अवसर पर, उन्होंने इंटरनेट पर एक ऐसा अनोखा मंच,  पटल  या  प्लेटफॉर्म,  जो  भी  कहिए,  बना डाला जिस पर कोई भी और किसी भी  तरह के विडिओ क्लिप को देखे जा सकने के साथ-साथ अपलोड भी किया जा सकता था। 

चाड हर्ले, स्टीव चैन व जावेद करीम 
यूट्यूब के अस्तित्व में आने को ले एक कहानी प्रचलित है कि 2005 के शुरुआती महीनों के दौरान एक रात चैन के घर में दी गई एक डिनर पार्टी में लिए गए वीडियो को जब दोस्तों को शेयर करने में कठिनाई आई, तब हर्ले और चैन के दिमाग में यूट्यूब के विचार ने जन्म लिया। पर इस खोज के तीसरे सहभागी करीम, जो उस पार्टी में शामिल नहीं हो सका था, के अनुसार यूट्यूब की प्रेरणा, HOT or NOT वेब साइट से तब मिली जब 2004 में हिंद महासागर में आए सुनामी तूफ़ान की वीडियो क्लिप, इंटरनेट पर कहीं भी उपलब्ध नहीं हो सकी थी ! जो भी हो आज इस यू नलिका ने दुनिया भर को गोल-गोल घुमा कर रख दिया है ! 

Me at the Zoo 
यूट्यूब पर पहला वीडियो इसी के सह-संस्थापक, बांग्लादेशी पिता और जर्मन माता की संतान जावेद करीम ने 23 अप्रैल 2005 को Me at the Zoo नाम से अपलोड किया था। यह करीब 19 सेकेंड का वीडियो था। जिसे सेन डियागो चिड़ियाघर में उनके स्कूल के दोस्त, याकोव लेपिट्सकी ने शूट किया था। इसमें जावेद हाथियों के पास खड़े हो उनके बारे में जानकारी देते हैं। इस तरह करीम यू ट्यूब पर विडिओ डालने वाले दुनिया के पहले इंसान बन गए और उनके द्वारा कहे गए ''All right, so here we are in front of the, er, elephants, um, and the cool thing about these guys is that, is that they have really, really, really long, um, trunks, and that's, that's cool, and that's pretty much all there is to say''  शब्द, पहले यूट्यूबी वाक्य बन गए !

यूट्यूब स्पेस 
यूट्यूब के इन तीनो संस्थापकों को ख्याति भी बहुत मिली ! पर जिस बात को गूगल ने भांप लिया शायद उसका आकलन ये लोग नहीं कर पाए या फिर उस समय गूगल द्वारा ऑफर की गई, $1.65 billion (करीब 1.16 लाख करोड़) की धन राशि इतनी बड़ी थी कि ये उसे अस्वीकार नहीं कर पाए ! जो भी रहा हो, 2006 में यू ट्यूब का मालिकाना हक़ गूगल को मिल गया ! उस समय  ना तो इसके संस्थापकों और शायद ही गूगल को पता हो कि आने वाले दिनों में यह प्लेटफार्म कितनी बड़ी क्रांति लाने वाला है ! आज यह शौकिया और पेशेवर कलाकारों के लिए सोने की खदान बन चुका है ! सैकड़ों युवा इस पर आ, सेलेब्रिटी बन चुके हैं ! मुंबई समेत दुनिया के 10 शहरों में Youtube Space नाम की जगह उपलब्ध करवाई गई है, जहां कोई भी विडिओ निर्माता, जिसके दस हजार से अधिक सदस्य या ग्राहक या प्रशंसक हों, जाकर अपनी विडियो बना सकता है। यहां कई तरह के सेट, ग्रीन स्क्रीन व साउंड स्टेज की सुविधा उपलब्ध है ! दूसरे अर्थों में इसे विडिओ बनाने का मिनी स्टूडियो कहा जा सकता है। 
आज यू-ट्यूब के यूज़र की संख्या दो अरब को पार कर रही है ! जो नए-पुराने विडिओ, विडिओ क्लिप के साथ-साथ ऐसी पुरानी फ़िल्में भी देख पाते हैं, जो और कहीं मिलती ही नहीं या बड़ी मुश्किल से उपलब्ध हो पाती हैं ! इस पर करोड़ों विडिओ रोज देखे और अपलोड किए जाते हैं। इस पर अपने देश की टी सीरीज, म्यूजिक के ग्राहकों की संख्या 18 करोड़ से ऊपर है और इस संख्या के साथ यह यूट्यूब पर सर्वोच्च स्थान पर विराजमान है ! आज इस पर हर कोई अपनी प्रतिभा दर्शाने में जुटा हुआ है ! चाहे वह बागवानी हो ! पाक शैली हो ! मनोरंजन हो ! तकनिकी हो ! कुछ भी हो ! यदि किसी को लगता है कि उसकी विधा कुछ अलग, ज्ञानवर्धक और लोकलुभावनी है तो वह इस मंच का सहारा जरूर लेता है ! व्यक्तिगत रूप से देखा जाए तो देश के सबसे ज्यादा लोकप्रिय यू ट्यूबर में गौरव चौधरी, आशीष चंचलानी, अजय नागर, निशा मधुलिका निखिल शर्मा जैसे अनेकों लोग शामिल हैं, जो नाम और दाम कमाने में युवाओं के आदर्श बने हुए हैं !
इसकी उपलब्धियां, रेकार्ड, आंकड़े, लोकप्रियता, सब पर एक साथ लिखा जाए तो अच्छा-खासा ग्रंथ बन जाएगा। अब जहां अच्छाई होती है वहां बुराई का होना भी अपरिहार्य सा हो गया है ! यूट्यूब भी इसका अपवाद नहीं है ! कुछ विकृत मानसिकता के लोग इसका दुरूपयोग करने से भी बाज नहीं आते ! मजबूर हो कई बार सरकार को भी हस्तक्षेप करना पड़ता है ! पर उसका प्रयास भी अंतर्जाल की व्यापकता, जटिलता और असीम विस्तार के सामने पूर्णतया सफल नहीं हो पाता ! इसीलिए यह चीन, उत्तर कोरिया तथा ईरान में प्रतिबंधित है ! अब यह तो लोगों की जागरूकता पर ही निर्भर करता है की केबल टीवी से कहीं ज्यादा पहुंच वाले इस माध्यम का उन्हें कैसे उपयोग करना है ! क्या चुनना व क्या देखना है ! 

@सभी चित्र अंतर्जाल के सौजन्य से 

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