जो सक्षम हैं उन्हें एक और मौका मिल जाता है, अपने वैभव के प्रदर्शन का, अपनी जिंदगी की खुशियां बांटने, दिखाने का, पैसे को खर्च करने का। जो अक्षम हैं उनके लिये क्या नया और क्या पुराना।
दुनिया के साथ ही हम सब हैं। जब सारे जने कह रहे हैं कि कल नया साल है तो जरूर होगा। सब एक दूजे को बधाईयां दे ले रहे हैं, अच्छी बात है। जिस किसी भी कारण से आपसी वैमनस्य दूर हो वह ठीक होता है। चाहे उसके लिये विदेशी अंकों का ही सहारा लेना पड़े। अब इस युग में अपनी ढपली अलग बजाने का कोई मतलब नहीं रह जाता है। वे कहते हैं कि दूसरा दिन आधी रात को शुरु होता है तो चलो मान लेते हैं क्या जाता है। सदियों से सूर्य को साक्षात भगवान मान कर दिन की शुरुआत करते रहे तो भी कौन सा जग में सब से ज्यादा निरोग, शक्तिमान, ओजस्वी आदि-आदि रह पाये। कौन सी गरीबी घट गयी कौन सी दरिद्रता दूर हो गयी।
हर बार की तरह ही कल फिर एक नयी सुबह आयेगी अपने साथ कुछ नये अंक धारण किये हुए। साल भर पहले भी ऐसा ही हुआ था। होता रहा है साल दर साल। आगे भी ऐसा ही होता रहेगा। जो सक्षम हैं उन्हें एक और मौका मिल जाता है, अपने वैभव के प्रदर्शन का, अपनी जिंदगी की खुशियां बांटने, दिखाने का, पैसे को खर्च करने का। जो अक्षम हैं उनके लिये क्या नया और क्या पुराना। उन्हें तो रोज सुरज उगते ही फिर वही वही चिंता रहेती है, काम मिलेगा कि नहीं, चुल्हा जल भी पायेगा कि नहीं, बच्चों का तन इस ठंड में ढक भी पायेगा कि नहीं। ऐसे लोगों को तो यह भी नहीं पता कि जश्न होता क्या है।
कुछेक की चिंता है कि इतने सारे पैसे को खर्च कैसे करें और कुछ की, कि इतने से पैसे को कैसे खर्च करें? इन दिनों जो खाई दोनों वर्गों में फैली है उसका ओर-छोर नहीं है। वैसे देखें तो क्या बदला है या क्या बदल जायेगा। कुछ लोग कैसे भी जोड़-तोड़ लगा, साम, दाम ,दंड़, भेद की नीति अपना, किसी को भी कैसी भी जगह बैठा अपनी पीढी को तारने का जुगाड़ बैठाते रहेंगे। कुछ लोग मानव रूपी भेड़ों की गिनती करवा खुद को खुदा बनवाते रहेंगे। कुछ सदा की तरह न्याय की आंखों पर बंधी पट्टी का फायदा उठाते-उठवाते रहेंगे, और कुछ सदा की तरह कुछ ना कर पा कर कुढते-कुढते खर्च हो जायेंगे।
वैसे इस लिखे को अन्यथा ना लें। किसी दुर्भावना या पूर्वाग्रह से ग्रस्त नहीं है यह लेख। अपनी तो यही कामना है कि साल का हर दिन अपने देश और देशवासियों के साथ-साथ इस धरा पर रहने वाले हर प्राणी के लिये खुशहाली, सुख, स्मृद्धी के साथ-साथ सुरक्षा की भावना भी अपने साथ लाए।
सभी भाई-बहनों के साथ-साथ "अनदेखे अपने" मित्रों के लिए आने वाला हर दिन खुशी समृद्धी तथा स्वास्थ्य लेकर आये। यही कामना है।
नव-वर्ष सभी के लिए मंगलमय हो, मुबारक हो, सुखमय हो। सभी सुखी, स्वस्थ, प्रसन्न और सुरक्षित रहें।
हर बार की तरह ही कल फिर एक नयी सुबह आयेगी अपने साथ कुछ नये अंक धारण किये हुए। साल भर पहले भी ऐसा ही हुआ था। होता रहा है साल दर साल। आगे भी ऐसा ही होता रहेगा। जो सक्षम हैं उन्हें एक और मौका मिल जाता है, अपने वैभव के प्रदर्शन का, अपनी जिंदगी की खुशियां बांटने, दिखाने का, पैसे को खर्च करने का। जो अक्षम हैं उनके लिये क्या नया और क्या पुराना। उन्हें तो रोज सुरज उगते ही फिर वही वही चिंता रहेती है, काम मिलेगा कि नहीं, चुल्हा जल भी पायेगा कि नहीं, बच्चों का तन इस ठंड में ढक भी पायेगा कि नहीं। ऐसे लोगों को तो यह भी नहीं पता कि जश्न होता क्या है।
कुछेक की चिंता है कि इतने सारे पैसे को खर्च कैसे करें और कुछ की, कि इतने से पैसे को कैसे खर्च करें? इन दिनों जो खाई दोनों वर्गों में फैली है उसका ओर-छोर नहीं है। वैसे देखें तो क्या बदला है या क्या बदल जायेगा। कुछ लोग कैसे भी जोड़-तोड़ लगा, साम, दाम ,दंड़, भेद की नीति अपना, किसी को भी कैसी भी जगह बैठा अपनी पीढी को तारने का जुगाड़ बैठाते रहेंगे। कुछ लोग मानव रूपी भेड़ों की गिनती करवा खुद को खुदा बनवाते रहेंगे। कुछ सदा की तरह न्याय की आंखों पर बंधी पट्टी का फायदा उठाते-उठवाते रहेंगे, और कुछ सदा की तरह कुछ ना कर पा कर कुढते-कुढते खर्च हो जायेंगे।
वैसे इस लिखे को अन्यथा ना लें। किसी दुर्भावना या पूर्वाग्रह से ग्रस्त नहीं है यह लेख। अपनी तो यही कामना है कि साल का हर दिन अपने देश और देशवासियों के साथ-साथ इस धरा पर रहने वाले हर प्राणी के लिये खुशहाली, सुख, स्मृद्धी के साथ-साथ सुरक्षा की भावना भी अपने साथ लाए।
सभी भाई-बहनों के साथ-साथ "अनदेखे अपने" मित्रों के लिए आने वाला हर दिन खुशी समृद्धी तथा स्वास्थ्य लेकर आये। यही कामना है।
नव-वर्ष सभी के लिए मंगलमय हो, मुबारक हो, सुखमय हो। सभी सुखी, स्वस्थ, प्रसन्न और सुरक्षित रहें।