मेरा यह सपना कोई बहुत दुर्लभ भी नहीं है क्योंकि यहां के रहवासी हर बात में सक्षम हैं। यूंही उन्हें "छत्तीसगढिया सबसे बढिया" का खिताब हासिल नहीं हुआ है।
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C. G. |
मैं छत्तीसगढ हूं। आज एक नवम्बर है मेरा जन्मदिन, अभी सिर्फ बारह सालों का ही हूं पर अभिभूत हूं, आज सबेरे से ही आपकी शुभकामनाएं, प्रेम भरे संदेश और भावनाओं से पगी बधाईयों से। मुझे याद रहे ना रहे पर आप सब को मेरा जन्म-दिन याद रहता है यह मेरा सौभाग्य है।
मध्य प्रदेश परिवार से जुडे रहने के कारण मेरी स्वतंत्र छवि नहीं बन पाई थी और लोग मेरे बारे में बहुत कम ज्ञान रखते थे। जिसके कारण देश के विभिन्न हिस्सों में मेरे प्रति अभी भी कई तरह की भ्रांतियां पनपी हुई हैं। अभी भी लोग मुझे एक पिछडा प्रदेश और यहां के आदिवासियों के बारे में अधकचरी जानकारी रखते है। पर जब यहां से बाहर जाने वालों से या बाहर से यहां घूमने आने वाले लोगों को मुझे देखने-समझने का मौका मिलता है तो उनकी आंखें खुली की खुली रह जाती हैं। उन्हें विश्वास ही नहीं होता कि इतने कम समय में, सीमित साधनों के और ढेरों अडचनों के बावजूद मैं इतनी तरक्की कर पाया हूं। वे मुझे देश के सैंकडों शहरों से बीस पाते हैं।
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Railway Station |
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Nagar Nigam |
कईयों की जिज्ञासा होती है मेरी पहचान अभी सिर्फ बारह सालों की है उसके पहले क्या था? कैसा था? तो उन सब को नम्रता पूर्वक यही कहना चाहता हूं कि जैसा था वैसा हूं यहीं था यहीं हूं। फिर भी सभी की उत्सुकता शांत करने के लिए कुछ जानकारी बांट ही लेता हूं। सैंकडों सालों से मेरा विवरण इतिहास में मिलता रहा है। मुझे दक्षिणी कोसल के रूप में जाना जाता रहा है। रामायण काल में मैं माता कौशल्या की भूमि के रूप में ख्यात था। मेरा परम सौभाग्य है कि मैं किसी भी तरह ही सही प्रभू राम के नाम से जुडा रह पाया। कालांतर से नाम बदलते रहे और अभी की वर्तमान संज्ञा "छत्तीसगढ" मुझे मेरे 36 किलों के कारण, जिनमें से बहुतेरे कालकल्वित हो चुके हैं, मिली है जिससे मुझे नए राज्य के रूप में जाना जाता है।
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Airport |
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New Raipur |
भारत गणराज्य में एक 1 नवम्बर 2000 तक मैं मध्य प्रदेश के रूप में ही जाना जाता था। पर अपने लोगों के हित में उनके समग्र विकास हेतु मुझे अलग राज्य का दर्जा मिल गया। वैसे इस बात की मांग 1970 से ही शुरु हो गयी थी पर गंभीर रूप से इस पर विचार 1990 के दशक में ही शुरु हो पाया था जिसका प्रचार 1996 और 1998 के चुनावों में अपने शिखर पर रहा जिसके चलते अगस्त 2000 में मेरे निर्माण का रास्ता साफ हो सका। इस ऐतिहासिक घटना का सबसे उज्जवल पक्ष यह था कि इस मांग और निर्माण के तहत किसी भी प्रकार के दंगे-फसाद, विरोधी रैलियों या उपद्रव इत्यादि को बढावा नहीं मिला हर काम शांति, सद्भावना, आपसी समझ और गौरव पूर्ण तरीके से संपन्न हुआ। इसका सारा श्रेय यहां के अमन-पसंद, भोले-भाले, शांति-प्रिय लोगों को जाता है जिन पर मुझे गर्व है। आज मेरे सारे कार्यों का संचालन मेरी राजधानी 'रायपुर' से संचालित होता है। धीरे-धीरे यह शहर एक नया रूप ले रहा है और मुझे पूरा विश्वास है की जल्दी ही इसका शुमार देश के अग्रणी नगरों में होने लगेगा। वैसे मेरे साथ ही भारत में अन्य दो राज्यों, उत्तराखंड तथा झारखंड भी अस्तित्व में आए हैं और उन्नति के मार्ग पर अग्रसर हैं।
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Ghadi Chowk |
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Pics of Progress |
मुझे कभी भी ना तो राजनीति से कोई खास लगाव रहा है नाही ऐसे दलों से। मेरा सारा प्रेम, लगाव, जुडाव सिर्फ और सिर्फ यहां के बाशिंदों के साथ ही है। कोई भी राजनीतिक दल आए, मेरी बागडोर किसी भी पार्टी के हाथ में हो उसका लक्ष्य एक ही होना चाहिए कि छत्तीसगढ के वासी अमन-चैन के साथ, एक दूसरे के सुख-दुख के साथी बन, यहां बिना किसी डर, भय, चिंता या अभाव के अपना जीवन यापन कर सकें। मेरा एक ही सपना है कि मैं सारे देश में एक ऐसे आदर्श प्रदेश के रूप में जाना जाऊं, जो देश के किसी भी कोने से आने वाले देशवासी का स्वागत खुले मन और बढे हाथों से करने को तत्पर रहता है। जहां किसी के साथ भेद-भाव नहीं बरता जाता, जहां किसी को अपने परिवार को पालने में बेकार की जद्दोजहद नहीं करनी पडती, जहां के लोग सारे देशवासियों को अपने परिवार का समझ, हर समय, हर तरह की सहायता प्रदान करने को तत्पर रहते हैं। जहां कोई भूखा नहीं सोता, जहां तन ढकने के लिए कपडे और सर छुपाने के लिए छत मुहैय्या करवाने में वहां के जन-प्रतिनिधि सदा तत्पर रहते हैं।
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Vidhan Sabha |
मेरा यह सपना कोई बहुत दुर्लभ भी नहीं है क्योंकि यहां के रहवासी हर बात में सक्षम हैं। यूंही उन्हें "छत्तीसगढिया सबसे बढिया" का खिताब हासिल नहीं हुआ है।
8 टिप्पणियां:
नमस्ते जी, शुभसंध्या...
सभी छत्तीसगढियों को बधाई..
इस अवसर की शुभकामनायें।
आप सभी को हार्दिक बधाई, शुभ कामनाएं तथा धन्यवाद।
अच्छी पोस्ट
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छत्तीसगढ़ और वहां रहने वालों को बधाईयां।
ज्ञानवर्द्धक पोस्ट ..
सबको शुभकामनाएं ..
सुन्दर प्रस्तुति।
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