शनिवार, 19 फ़रवरी 2011

मयखाने भी क्या-क्या गुल खिलाते हैं

एक बड़ी कंपनी की बस से चार-पांच युवक उतर कर एक बार में पीने को घुसे। उन्होंने जम कर पी। फिर वहीं एक लड़की से छेड़खानी शुरु कर दी। वहां बैठे एकमात्र बुजुर्ग ग्राहक ने हस्तक्षेप किया तो उसकी पिटाई की और उसे बाहर धकेल दिया।लड़की ने आकर बुजुर्ग को उठाया और पूछा ज्यादा चोट तो नहीं आई, कमबख्तों ने बहुत मारा है।कोई बात नहीं बुजुर्ग ने मुस्कुराते हुए कहा जब उन्हें अपनी जेबें खाली मिलेंगी तो नानी याद आ जाएगी। कंपनी की बस देखते ही मुझे उनके मालदार होने का विश्वास हो गया था क्योंकि वह कंपनी आज की तारीख में ही वेतन बांटती है। लड़की मुस्करायी और बोली, ईश्वर को धन्यवाद है कि आपकी पिटाई और मेरी एक्टिंग बेकार नहीं गयी।

(बहुत पहले आई एक फिल्म "शान" में जानी वाकर और बिंदिया गोस्वामी के रोल भी इसी ब्राजील की लघु कथा से लिए गये थे शायद।)

**************************************************

बार से नशे में धुत झुमते-झामते बाहर निकलते हुए श्रीमानजी ने द्वारपाल से पूछा 'आज तक तुम्हें ज्यादा से ज्यादा टिप कितनी मिली है'?
'सौ रुपये सर' उसने जवाब दिया।
'बस! ये लो दो सौ रुपये, वैसे किसने तुम्हें सौ रुपये दिए थे?'
'कल आपने ही सर'

6 टिप्‍पणियां:

Udan Tashtari ने कहा…

हा हा! मजेदार.

ताऊ रामपुरिया ने कहा…

शान फ़िल्म का सीन अच्छा याद दिलाया आपने. हुबहू यही था और शायद यहीं से मारा गया होगा. इस लघु कथा में गजब का सस्पेंस है.

रामराम.

राज भाटिय़ा ने कहा…

मस्त जी बहुत सुंदर

Roshi ने कहा…

mast rachnayein hai

डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' ने कहा…

बहुत बढ़िया!

G.N.SHAW ने कहा…

anokh aur bilkul kuchh alag sa hi...dhanyabad..

विशिष्ट पोस्ट

मच्छरदानी, इंसान की एक छुद्र कीट से मात खाने की निशानी

एक तरफ दुनिया भर में जंगली, खतरनाक, दुर्लभ, मासूम, हर तरह के जानवरों को पिंजरों में बंद कर विश्व के सबसे खतरनाक जानवर इंसान के दीदार के लिए ...