एक बड़ी कंपनी की बस से चार-पांच युवक उतर कर एक बार में पीने को घुसे। उन्होंने जम कर पी। फिर वहीं एक लड़की से छेड़खानी शुरु कर दी। वहां बैठे एकमात्र बुजुर्ग ग्राहक ने हस्तक्षेप किया तो उसकी पिटाई की और उसे बाहर धकेल दिया।लड़की ने आकर बुजुर्ग को उठाया और पूछा ज्यादा चोट तो नहीं आई, कमबख्तों ने बहुत मारा है।कोई बात नहीं बुजुर्ग ने मुस्कुराते हुए कहा जब उन्हें अपनी जेबें खाली मिलेंगी तो नानी याद आ जाएगी। कंपनी की बस देखते ही मुझे उनके मालदार होने का विश्वास हो गया था क्योंकि वह कंपनी आज की तारीख में ही वेतन बांटती है। लड़की मुस्करायी और बोली, ईश्वर को धन्यवाद है कि आपकी पिटाई और मेरी एक्टिंग बेकार नहीं गयी।
(बहुत पहले आई एक फिल्म "शान" में जानी वाकर और बिंदिया गोस्वामी के रोल भी इसी ब्राजील की लघु कथा से लिए गये थे शायद।)
**************************************************
बार से नशे में धुत झुमते-झामते बाहर निकलते हुए श्रीमानजी ने द्वारपाल से पूछा 'आज तक तुम्हें ज्यादा से ज्यादा टिप कितनी मिली है'?
'सौ रुपये सर' उसने जवाब दिया।
'बस! ये लो दो सौ रुपये, वैसे किसने तुम्हें सौ रुपये दिए थे?'
'कल आपने ही सर'
इस ब्लॉग में एक छोटी सी कोशिश की गई है कि अपने संस्मरणों के साथ-साथ समाज में चली आ रही मान्यताओं, कथा-कहानियों को, बगैर किसी पूर्वाग्रह के, एक अलग नजरिए से देखने, समझने और सामने लाने की ! इसके साथ ही यह कोशिश भी रहेगी कि कुछ अलग सी, रोचक, अविदित सी जानकारी मिलते ही उसे साझा कर ज्यादा से ज्यादा लोगों तक पहुंचाया जा सके ! अब इसमें इसको सफलता मिले, ना मिले, प्रयास तो सदा जारी रहेगा !
सदस्यता लें
टिप्पणियाँ भेजें (Atom)
विशिष्ट पोस्ट
ठेका, चाय की दुकान का
यह शै ऐसी है कि इसकी दुकान का नाम दूसरी आम दुकानों की तरह तो रखा नहीं जा सकता, इसलिए बड़े-बड़े अक्षरों में ठेका देसी या अंग्रेजी शराब लिख उसक...
-
कल रात अपने एक राजस्थानी मित्र के चिरंजीव की शादी में जाना हुआ था। बातों ही बातों में पता चला कि राजस्थानी भाषा में पति और पत्नी के लिए अलग...
-
शहद, एक हल्का पीलापन लिये हुए बादामी रंग का गाढ़ा तरल पदार्थ है। वैसे इसका रंग-रूप, इसके छत्ते के लगने वाली जगह और आस-पास के फूलों पर ज्याद...
-
आज हम एक कोहेनूर का जिक्र होते ही भावनाओं में खो जाते हैं। तख्ते ताऊस में तो वैसे सैंकड़ों हीरे जड़े हुए थे। हीरे-जवाहरात तो अपनी जगह, उस ...
-
चलती गाड़ी में अपने शरीर का कोई अंग बाहर न निकालें :) 1, ट्रेन में बैठे श्रीमान जी काफी परेशान थे। बार-बार कसमसा कर पहलू बदल रहे थे। चेहरे...
-
हनुमान जी के चिरंजीवी होने के रहस्य पर से पर्दा उठाने के लिए पिदुरु के आदिवासियों की हनु पुस्तिका आजकल " सेतु एशिया" नामक...
-
युवक अपने बच्चे को हिंदी वर्णमाला के अक्षरों से परिचित करवा रहा था। आजकल के अंग्रेजियत के समय में यह एक दुर्लभ वार्तालाप था सो मेरा स...
-
विजयी विश्व तिरंगा प्यारा, झंडा ऊंचा रहे हमारा। हमारे तिरंगे के सम्मान में लिखा गया यह गीत जब भी सुनाई देता है, रोम-रोम पुल्कित हो जाता ...
-
"बिजली का तेल" यह क्या होता है ? मेरे पूछने पर उन्होंने बताया कि बिजली के ट्रांस्फार्मरों में जो तेल डाला जाता है वह लगातार ...
-
कहते हैं कि विधि का लेख मिटाए नहीं मिटता। कितनों ने कितनी तरह की कोशीशें की पर हुआ वही जो निर्धारित था। राजा लायस और उसकी पत्नी जोकास्टा। ...
-
अपनी एक पुरानी डायरी मे यह रोचक प्रसंग मिला, कैसा रहा बताइयेगा :- काफी पुरानी बात है। अंग्रेजों का बोलबाला सारे संसार में क्यूं है? क्य...
6 टिप्पणियां:
हा हा! मजेदार.
शान फ़िल्म का सीन अच्छा याद दिलाया आपने. हुबहू यही था और शायद यहीं से मारा गया होगा. इस लघु कथा में गजब का सस्पेंस है.
रामराम.
मस्त जी बहुत सुंदर
mast rachnayein hai
बहुत बढ़िया!
anokh aur bilkul kuchh alag sa hi...dhanyabad..
एक टिप्पणी भेजें