साल - 1932, स्थान - जरमनी का कार्ल स्वार्ड शहर, मौका - महिलाओं की सौंदर्य प्रतियोगिता का। उन दिनों प्रतियोगियों को बिना किसी पूर्व जांच के सीधे स्टेज पर पहुंच जाना होता था।
समयानुसार ताम-झाम के साथ प्रतियोगिता शुरु हुई। युवतियां स्टेज की एक तरफ से आतीं चहलकदमी के बाद दूसरी तरफ उतर जाती। जज अपनी-अपनी जगह पर बैठे हर प्रतियोगी को विभिन्न पहलुओं से आंकने और मुल्यांकन करने में लगे थे। युवती के मंच पर पदार्पण करते ही बड़ी रोचक शैली में उसका परिचय उपस्थित लोगों तक पहुंचाया जा रहा था।
करीब चालीस युवतियों की 'बिल्ली चाल' खत्म होने पर निर्णायक मंडल ने अपनी-अपनी अंक तालिका को मिलाया और कुछ देर मे सूई पटक सन्नाटे को तोड़ते हुए विजेता के नाम की घोषणा कर दी। तालियों की गड़गड़ाहट के बीच बेहद खूबसूरत, सुनहरे बालों वाली उस दिन की विजेता 'स्पोटेश कार्ल मारिशका' मंच पर नमूदार हुई। वह हर दृष्टि और हरेक की राय में उस दिन के खिताब की हकदार थी। उसने मंच पर आते ही दर्शकों और निर्णायक मंडल का अभिवादन किया। उसे ताज पहनाने के बाद दो शब्द कहने का आग्रह किया गया जिसे उसने सहर्ष स्वीकार कर माइक अपने हाथों में लिया और बोली "इस सम्मान को पा मैं बहुत गौर्वांन्वित हूं। किसी के लिए भी इस सम्मान को पाना गर्व का विषय हो सकता है"।
कुछ देर रुक कर वह फिर बोली "फिर भी एक सच्चाई आप सब को बताना मेरा फर्ज है। सच्चाई यह है कि मं लड़की ना हो कर लड़का हूँ " ।
इतना कह कर उसने अपने नकली बाल और स्त्रियोचित पोषाक उतार दी। अब लोगों के सामने एक सुंदर युवक खड़ा था। भौंचक्के दर्शक और आयोजक जब तक कुछ समझ पाते तब तक वह मंच से कूद कर नौ-दो-ग्यारह हो चुका था।
वैसे एक बार और भी एक पुरुष ने महिलाओं के लिए आयोजित सौंदर्य प्रतियोगिता को जीता है पर वह इस समानता के युग में आधिकारिक रूप से उस प्रतियोगिता में शामिल हुआ था।
तो महिलाओं का इस बारे में क्या विचार है ? :-)
इस ब्लॉग में एक छोटी सी कोशिश की गई है कि अपने संस्मरणों के साथ-साथ समाज में चली आ रही मान्यताओं, कथा-कहानियों को, बगैर किसी पूर्वाग्रह के, एक अलग नजरिए से देखने, समझने और सामने लाने की ! इसके साथ ही यह कोशिश भी रहेगी कि कुछ अलग सी, रोचक, अविदित सी जानकारी मिलते ही उसे साझा कर ज्यादा से ज्यादा लोगों तक पहुंचाया जा सके ! अब इसमें इसको सफलता मिले, ना मिले, प्रयास तो सदा जारी रहेगा !
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4 टिप्पणियां:
"फिर भी एक सच्चाई आप सब को बताना मेरा फर्ज है। सच्चाई यह है कि मं लड़की ना हो कर लड़का हूँ " ।
wakai kuchh alag si pratiyogita.
jankari hetu abhaar......
वाह, भाई साहब कमाल कर दित्ता बंदे ने।
जोर का झटका धमाके साथ।:)
ये भी खूब रही.
रामराम.
चाहे जो हो बंदा इमानदार तो था
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