सोमवार, 28 फ़रवरी 2011

ऐसी मनस्थिति कब तक बनी रहेगी

शुक्रवार २५ फरवरी, दिल्ली से मुम्बई जाने वाली इंडिगो कम्पनी की उड़ान में एक तमाशा हो गया। उड़ान पहले से ही कोहरे की वजह से अपने निश्चित समय से एक घंटा लेट हो चुकी थी। नौ बजे के करीब जब उड़ने को तैयार हुई तभी उसके दरवाजे फिर खोल दिए गए। क्योंकि एक अधेड़ पुरुष को जहाज की चालाक एक महिला होने क कारण घबडाहट हो गयी थी।
पूरा ब्योरा इस तरह है कि जैसे ही प्लेन में औपचारिक घोषणा के साथ पायलट का नाम बताया गया वैसे ही एक अधेड़ पुरुष ने बडबडाते हुए अपने पड़ोसी को कहना शुरू कर दिया "मरना है क्या ? घर तो संभलता नहीं, प्लेन क्या संभलेगा ?
फिर उसने एयर होस्टेज को बुलाया और प्लेन की महिला पायलट होने पर आपत्ती जताई। बहस-बाजी करीब चालीस minat tak chalatee rahii जिससे दुसरे यात्रियों में अंसतोष फैलने लगा।
प्लेन तभी उड़ पाया जब उस मुसाफिर को प्लेन से उतार उसका असबाब उसके हवाले कर दिया गया।
* हिंदी के अस्त्र-शस्त्र धोखा दे रहे हैं

6 टिप्‍पणियां:

राज भाटिय़ा ने कहा…

शर्मा जी कल यह खबर पढी थी,लेकिन मजे दार धन्यवाद

ताऊ रामपुरिया ने कहा…

अभी तक पुरातन युग में जी रहा है बंदा.:)

रामराम.

ब्लॉ.ललित शर्मा ने कहा…

बुढापे में रिस्क लेना ठीक नहीं समझा बंदे ने।
जवानी होती तो कहता- चल दरया में डूब जाएं :)

अन्तर सोहिल ने कहा…

अनुभवी था :)

प्रणाम

पी.एस .भाकुनी ने कहा…

ऐसी मनस्थिति कब तक बनी रहेगी?
bs ek pidi ka faasla hai......

anshumala ने कहा…

पत्नी से झगडा करके घर से निकले होंगे और गुस्सा पायलट और एयर होस्टेज पर निकल दिया !!

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