स्विस बैंक के एक प्रबन्धक ने भारत की अर्थ व्यवस्था पर टिप्पणी करते हुए कहा है कि भारत की जनता गरीब हो सकती है पर देश गरीब नहीं है। उसने आगे कहा कि वहां का इतना पैसा स्विस बैंकों में जमा है जिससे :-
# भारत सरकार 30 सालों तक बिना टैक्स का बजट पेश कर सकती है।
# 60 करोड़ नौकरियां वहां उपलब्ध करवा सकती है।
# दिल्ली से देश के हर गांव तक 4 लेन सड़क बनवा सकती है।
# बिजली की अनवरत सप्लाई की जा सकती है।
# वहां के हर नागरिक को साठ साल तक 2000 रुपये दे सकती है।
# ऐसे देश को किसी भी वर्ल्ड बैंक या कर्ज की कोई जरूरत नहीं पड़ सकती।
यह कहना था वर्ल्ड बैंक के एक जिम्मेदार अधिकारी का। जरा गंभीरता से सोचिये कि भ्रष्टता की यह कौन सी सीमा है। ऐसी कौन सी मजबूरी है सरकार पर या वह कौन सी ताकते हैं जिनके सामने किसी की हिम्मत नहीं पड़ रही कुछ करने की और उस धन को वापस लाने की।
# भारत सरकार 30 सालों तक बिना टैक्स का बजट पेश कर सकती है।
# 60 करोड़ नौकरियां वहां उपलब्ध करवा सकती है।
# दिल्ली से देश के हर गांव तक 4 लेन सड़क बनवा सकती है।
# बिजली की अनवरत सप्लाई की जा सकती है।
# वहां के हर नागरिक को साठ साल तक 2000 रुपये दे सकती है।
# ऐसे देश को किसी भी वर्ल्ड बैंक या कर्ज की कोई जरूरत नहीं पड़ सकती।
यह कहना था वर्ल्ड बैंक के एक जिम्मेदार अधिकारी का। जरा गंभीरता से सोचिये कि भ्रष्टता की यह कौन सी सीमा है। ऐसी कौन सी मजबूरी है सरकार पर या वह कौन सी ताकते हैं जिनके सामने किसी की हिम्मत नहीं पड़ रही कुछ करने की और उस धन को वापस लाने की।
12 टिप्पणियां:
बिलकुल ठीक कहा आपने ....
शुभकामनायें !
हद है भाई !!
ये जमाखोर इन पैसो का करेंगे क्या ... खाएँगे पिएंगे सोएँगे ... आखिर सब यहीं छूट जाना है... अगला चुनाव इसी मुद्दे पर लड़ा जाना चाहिए और जनता की पहली मांग यही हो कि जो विदेशों मे जमा धन लाएगा गद्दी पर वही बैठेगा/....
भ्रष्टाचार शर्म नहीं फैशन बन गया है
ठीक कहा आपने ....
बसंत पंचमी की शुभकामनाएँ...
.
बस अंत हो जाये ... इस भ्रष्ट आचरण का.
इंतज़ार अप्रवासी ... लक्ष्मी आगमन का.
'कुछ अलग सा' रंग है ... आपके गगन का.
स्वर आ रहा है पर्स से ... शारदा के धन का.
...... आज शारदा के धन से ही गुजारा चल रहा है.
...... लक्ष्मी तो विदेश जाकर बैठ गयी.
...... कोमनवेल्थ काल में लक्ष्मी के उल्लुओं ने भरपूर कमाई की.
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इसीलिये तो कहता हूं शर्माजी,अमीर धरती गरीब लोग।
बाहरवालों के हंसने का भी हमारे नेताओं पर कोई असर नहीं !!
जानदार और शानदार प्रस्तुति हेतु आभार।
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कृपया इस मुक्तक का रसास्वादन कीजिए।
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नेता की अय्यारी ने॥
अफ़सर की मक्कारी ने॥
सदाचार को दिया है-
गोली भ्रष्टाचारी ने॥
सद्भावी-डॉ० डंडा लखनवी
क्या हम बाबर के आक्रमण से लडे थे... क्या हम अंग्रेज़ों की लूट से भिडे थे, ... तो फिर, अपने देशवासियों की लूट का दुख कैसा????????? :)
मेरा भारत महान.
रामराम.
आप की बात से सहमत हे जी, यही कमीने अगले जन्म मे भिखारी ओर कोडी बन कर एक एक दाने को तरसेगे
एक का तो माल किसी दूसरे ने ही निकाल लिया और वह लिफ़्ट में ही मर गया।
आखिर सब यहीं छोट जाना है , ये नहीं मानते ...पूरी सात पीढ़ियों का इंतजाम है !
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