रविवार, 19 सितंबर 2010

पढ़िए, गुदगुदाएंगे जरूर,

आज सबेरे की अखबार में छपे कुछ चुटकुले गुदगुदा गए। सोचा खुशी बाँट ली जाए।

# पति - हमारी शादी को इतने साल हो गये पर तुम्हारा तेरा-मेरा खत्म नहीं हुआ। हर समय यह मेरे पैसे, मेरे गहने, मेरे बच्चे मेरा घर करती हो। कभी तो यह हमारा है, कहा करो।अब इतनी देर से क्या खोज रही हो अलमारी मे?हमारा पेटीकोट। पत्नी ने जवाब दिया।

# शर्माजी ने अपने पोते से कहा, बेटा एक ग्लास पानी ले आ। पोता बोला मैं अपना काम कर रहा हूं, मैं नहीं जाता।पास बैठा दूसरा पोता बोला, दादू ये बहुत बदतमीज है, बात नहीं सुनता। आप खुद ही जा कर ले लीजिए।

# छेदी लाल अपनी कार के लोन की किस्त नहीं चुका पाया था जिसके फलस्वरूप बैंक वाले उसकी कार उठा कर ले गये थे। वह बैठा-बैठा सोच रहा था कितना अच्छा होता यदि उसने अपनी शादी के लिए लोन लिया होता।

क्या आपने किसी ऐसे संग्रहालय के बारे में सुना है जो सिर्फ शौचालयों को समर्पित हो? वह भी अपने देश में? कल देखते हैं, कैसा है यह अनोखा, अनूठा म्यूजियम जिसमे प्राचीन काल से लेकर आधुनिक काल तक का इतिहास समेट रखा है दिनचर्या की इस अहम् वस्तु का।

13 टिप्‍पणियां:

संगीता स्वरुप ( गीत ) ने कहा…

कहीं तो हमारा कहा ...:):) बढ़िया चुटकुले

Unknown ने कहा…

hamara petikot...ha ha ha ha

maza aa gaya

waah !

P.N. Subramanian ने कहा…

गुद गुदी हुई. अब कल की प्रतीक्षा है. हर प्राचीन ईमारत में हम इन्हें ही ढूंढते थे.

समयचक्र ने कहा…

गुरु मैंने भी अखबार में पढी थे..... वो बैंक वाला तो जोरदार है....

Patali-The-Village ने कहा…

बहुत बढ़िया चुटकुले मजा आ गया|

Rahul Singh ने कहा…

हाजत का संग्रहालय, हाजत के संग्रहालय की बेसब्र हाजत.

डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' ने कहा…

बहुत खूब!

मनोज कुमार ने कहा…

मज़ेदार!
कल का इंतज़ार!!

बहुत अच्छी प्रस्तुति। हार्दिक शुभकामनाएं!

काव्य के हेतु (कारण अथवा साधन), परशुराम राय, द्वारा “मनोज” पर, पढिए!

संगीता पुरी ने कहा…

बढिया !!

Shah Nawaz ने कहा…

:-)

निर्मला कपिला ने कहा…

लो जी हमारी टिप्पणी है ये
बहुत बढिया चुटकुले। आभार।

मनोज कुमार ने कहा…

मज़ेदार!

बहुत अच्छी प्रस्तुति। हार्दिक शुभकामनाएं!

और समय ठहर गया!, ज्ञान चंद्र ‘मर्मज्ञ’, द्वारा “मनोज” पर, पढिए!

गगन शर्मा, कुछ अलग सा ने कहा…

राहुल जी, हाजत का नहीं "हाजतालयो" का सन्ग्रहालय 😊😃😆😅

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