दिल्ली से करीब 150 कि. मी. की दूरी पर स्थित मथुरा भगवान श्रीकृष्ण की जन्म भूमि है। पर उनका कर्म स्थल वृंदावन है जो मथुरा से सिर्फ 10 कि.मी. उत्तर-पश्चिम में यमुना के किनारे बसा हुआ है। तुलसी के पौधों की भरमार होने के कारण इस जगह का नाम वृंदावन पड़ गया। यह ब्रज का ह्रदय स्थल है। भक्तगण यहां आकर आनंद सागर में ड़ुबकी लगा कर कृत्य-कृत्य हो जाते हैं। हर कृष्ण भक्त की इच्छा होती है जीवन में कम से कम एक बार यहां आकर धन्य होने की।
यही वह जगह है जहां प्रभू ने अपने बाल्यकाल और किशोरावस्था में अनगिनत लीलाएं कर जन जीवन को सुगम बनाया था। यहां आकर पता चलता है कि प्रेम और भक्ति का साम्राज्य किसे कहते हैं। दर्शनार्थियों के लिए यहां बहुत सारे नये और प्राचीन मंदिर हैं।
श्री गोविंद मंदिर : यह बहुत प्राचीन मंदिर है। इसे जयपुर के राजा मानसिंह ने बनवाया था।
श्री रंगजी का मंदिर : दक्षिणी स्थापत्य शैली पर बने इस अति सुंदर और विशाल मंदिर को बनने में करीब सात साल लगे थे। मंदिर प्रांगण में स्थित सोने का ध्वज स्तंभ देखने लायक है।
बांके बिहारीजी का मंदिर : स्वामी हरिदासजी द्वारा निर्मित यह एक और दर्शनीय मंदिर है। यहां स्थापित अति आकर्षक मूर्ति को चमत्कारी माना जाता है।
राधा गोविंदजी का मंदिर : इसे ग्वालियर के महाराज जीवाजी राव सिंधिया ने अपने गुरु के आदेश पर 1860 में बनवाया था। इसे ब्रह्मचारीजी का मंदिर भी कहते हैं।
युगल किशोर मंदिर : इस मंदिर की मूर्ति भी बहुत सुंदर और मनोहारी है।
लाला बाबू का मंदिर : बंगाल के मुर्शिदाबाद जिले के जमींदार कृष्णचंद्र द्वारा निर्मित यह मंदिर भी देखने वालों को मोह लेता है। अपने निर्माता के उपनाम पर यह मंदिर प्रसिद्ध है।
श्रीकृष्ण-बलराम मंदिर : इसे कृष्ण भावना संघ समुदाय द्वारा बनवाया गया है। यहां अनेक विदेशी भक्त वैष्णव धर्म में दीक्षित होकर निवास करते हैं। इसीलिए इसे अंग्रेजों का मंदिर भी कहा जाता है।
इन प्रमुख मंदिरों के अलावा भी अनेकोंनेक मंदिर वृंदावन में देखने लायक हैं जैसे जयपुर वाला मंदिर, पगला बाबा का मंदिर, जानकी-वल्लभ मंदिर, शालिग्राम मंदिर, गोपेश्वर मंदिर, राधा रमण मंदिर तथा कांच का मंदिर आदि।
इसलिए जब भी जाएं समय हाथ में रख कर जाएं हड़बड़ी में बहुत कुछ देखने से छूट सकता है।
जय श्रीकृष्ण।
बोलो बांके बिहारी की जय।
सबको जन्माष्टमी की ढेरों शुभकामनाएं।
इस ब्लॉग में एक छोटी सी कोशिश की गई है कि अपने संस्मरणों के साथ-साथ समाज में चली आ रही मान्यताओं, कथा-कहानियों को, बगैर किसी पूर्वाग्रह के, एक अलग नजरिए से देखने, समझने और सामने लाने की ! इसके साथ ही यह कोशिश भी रहेगी कि कुछ अलग सी, रोचक, अविदित सी जानकारी मिलते ही उसे साझा कर ज्यादा से ज्यादा लोगों तक पहुंचाया जा सके ! अब इसमें इसको सफलता मिले, ना मिले, प्रयास तो सदा जारी रहेगा !
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5 टिप्पणियां:
जय राम जी की
कृष्ण जनमाष्टमी की हार्दिक बधाई
वाह !
ये अन्दाज़ बड़ा अच्छा लगा ............
मथुरा के बारे में आपके इस आलेख को पढ़ कर सुख मिला
बहुत बढिया, जन्माष्टमी की रामराम.
रामराम.
श्री कृष्ण जन्माष्टमी की हार्दिक शुभकामनाये
बहुत बढ़िया प्रस्तुति....आभार
आपको सपरिवार श्री कृष्णा जन्माष्टमी की शुभकामना ..!!
बड़ा नटखट है रे .........रानीविशाल
जय श्री कृष्णा
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