लगता है राष्ट्रमंडल खेलों को आयोजित करने की जबरन कोशिश गले की हड़्ड़ी बन गयी है। ठीक सांप-छछुंदर की दशा हो गयी है ना निगलते बनता है ना उगलते। हड़बड़ी का काम शैतान का होता है कहावत सही होती लग रही है। कभी कोई कमी उजागर होती है तो कभी कोई। आज पुल गिरा, कल सड़क उधड़ी थी, परसों पानी भर गया था। मुझे तो ड़र है कि बेचारा कोई जिमनास्ट अपनी हड़्ड़ी ना तुड़वा बैठे किसी कमजोर उपकरण पर करतब दिखाते हुए।
ये कामनवेल्थ खेल ना होकर सिर्फ कामन-वेल्थ यानी सार्वजनिक धन रह गया है। मौका है जो जहां है बटोर ले। बदनामी का क्या है, लोगों की यादाश्त बहुत कमजोर होती है, साल-छह महीनों में सब भूल भाल जाएंगे। नहीं भी भूले तो कौन किसका क्या बिगाड़ लेगा?
इस ब्लॉग में एक छोटी सी कोशिश की गई है कि अपने संस्मरणों के साथ-साथ समाज में चली आ रही मान्यताओं, कथा-कहानियों को, बगैर किसी पूर्वाग्रह के, एक अलग नजरिए से देखने, समझने और सामने लाने की ! इसके साथ ही यह कोशिश भी रहेगी कि कुछ अलग सी, रोचक, अविदित सी जानकारी मिलते ही उसे साझा कर ज्यादा से ज्यादा लोगों तक पहुंचाया जा सके ! अब इसमें इसको सफलता मिले, ना मिले, प्रयास तो सदा जारी रहेगा !
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11 टिप्पणियां:
गेम हो या ना हो... लेकिन जनता को चाहिये कि अब इस के दोषियो को सजा जरुर दे, क्योकि इस से बडी बेज्जती ओर क्या हो सकती है देश की, एक तरफ़ शेख चिल्ली की तरह से यही लोग कल तक चिल्ला चिल्ला कर कह रहे थे कि सब कुछ तेयार है....... अब देख लो टटू भी नही तेयार
बहुत खूब !
@साल-छह महीनों में सब भूल भाल जाएंगे। नहीं भी भूले तो कौन किसका क्या बिगाड़ लेगा?
बिल्कूल सही कहा | अब तो विदेशी खिलाडी सुरक्षा कारणों से अपना नाम भी वापस लेने लगे है उसके बाद भी सरकार अधिकारी बेमतलब की सफाई दे रहे है शिला जी तो सारा ठीकरा मीडिया पर हो फोड़ रही है |
जब ब्रहद आयोजन हो और पूरी दुनिया में चर्चे हों तब तो कुछ विशेष व्यस्था की जाना चाहिए |शर्मनाक कार्य देश को शर्मिंदगी के सिवाय कुछ नहीं देते |अच्छी रचना |बधाई
उम्दा लेखन के लिए आभार
आपकी पोस्ट ब्लॉग4वार्ता पर
नहीं भी भूले तो कौन किसका क्या बिगाड़ लेगा?--
यही तो लफड़ा है.
Agal chunaw men vote na do .
सार्वजनिक धन को अपना कैसे बनाए बस इसी बात का खेल है। इस देश में जब तक राजनेताओं और नौकरशाहों की परम्पराओं में बदलाव नहीं आएगा तब तक ऐसा ही चलता रहेगा।
बहुत बढ़िया प्रस्तुति .......
हमारे देश में ये "खेल" कोई नई बात नहीं है .............
पढ़े और बताये कि कैसा लगा :-
http://thodamuskurakardekho.blogspot.com/2010/09/blog-post_22.html
पूरे देश में खेलों की तैयारियों की तरफ सबका ध्यान है ... छातियाँ पीट पीट कर आयोजन समिति को कोस रहे हैं लेकिन खिलाड़ियों की भी तो कोई सोचो ... जिन्होंने मेहनत कर के बड़ी हसरत से तैयारियां कर रखी हैं इस तरह से मीडिया और लोगों द्वारा रोना रोने से उनका हौसला कमज़ोर पड़ना तय है ... खेल का करोडो रूपये पी जाने वालों का न मीडिया कुछ कर सकती है और न ही रोना रोने वाले लेकिन भारत को दुनिया के सामने नंगा करने में कोई कसर नहीं छोड़ेंगे ये पक्का है ...
ekdam sahi baat kahi hai.
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