कहते हैं तस्वीरें बोलती हैं। लो कर लो बातआप तो आनंद लीजिए इन बेंगलुरू तस्वीरों का। समझ में आए तो समझाने का कष्ट करें :-)
इस ब्लॉग में एक छोटी सी कोशिश की गई है कि अपने संस्मरणों के साथ-साथ समाज में चली आ रही मान्यताओं, कथा-कहानियों को, बगैर किसी पूर्वाग्रह के, एक अलग नजरिए से देखने, समझने और सामने लाने की ! इसके साथ ही यह कोशिश भी रहेगी कि कुछ अलग सी, रोचक, अविदित सी जानकारी मिलते ही उसे साझा कर ज्यादा से ज्यादा लोगों तक पहुंचाया जा सके ! अब इसमें इसको सफलता मिले, ना मिले, प्रयास तो सदा जारी रहेगा !
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12 टिप्पणियां:
डॉक्टर हो साथ में थे कुछ भी पच सकता है। अब तो आकुलता बढ गई है। बहुत अच्छी प्रस्तुति। हार्दिक शुभकामनाएं!
फ़ुरसत में ….बड़ा छछलोल बाड़ऽ नऽ, आचार्य परशुराम राय, द्वारा “मनोज” पर, पढिए!
काबुल में भी गधे पाए जाते हैं.
गरीष्ठ के साथ कुछ हाजमौला की शीशी भी दे देते तो पचाने में आसानी होती.:)
रामराम
मेरा तो सर चकरा गया, वेसे गधे तो हमारे देश मै भी बहुत है:)
बढ़िया है ..
बहुत खूब!
SAARE CHITR KAMMAL KE HAIN AUR BAHUT KUCH BOL RAHE HAIN.....
हा हा हा , ये मेरा इंडिया
बेहतरीन बधाई
तेरे जैसा प्यार कहाँ????
आपकी पोस्ट की चर्चा ब्लाग4वार्ता पर है-पधारें
ईश्वर सद्बुद्धी दे
bahut khoob.....ab aur kya kahe??kam to chal hi raha hai na....
तस्वीरें तो अपना काम कर रही है..मेरी ही समझ में कुछ नही आया...
NO ENTERY
DISTANCE ME
PROGRESS IN WORK
हा-हा-हा
ही-ही-ही
सचमुच बोलती हैं जी
प्रणाम
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