जी हां सही पढा आपने। आप भी किसी अला-बला को भगा-हटा सकते हैं। इसमें जीवट की कम सतर्कता की ज्यादा जरूरत पड़ती है। सावधानी हटी और आप की साख घटी वाला मामला है यहां। इस काम में आपका कद्दावर कद, भारी चेहरा, घनी भौंहें, उलझे-घने-लम्बे बाल काफी सहायक हो सकते हैं। इसके साथ-साथ आपको अपनी आंखें लाल करने की कला भी आनी चाहिये। यदि आपकी आवाज धीर गंभीर हो तो सोने में सुहागा। इसके अलावा "आपके" मंत्रों से सिद्ध कुछ चीजों की जरूरत पड़ती है जो बाज़ार में आसानी से उपलब्ध हैं। यदि आपका कोई विश्वासपात्र दुकानदार हो तो आप का खेल तुरंत जम जायेगा।
तैयारी :- एक ऐसा नारियल लें जिसके रेशे बहुत घने हों। इसके अंदर पानी न हो तो ठीक है। आपने देखा होगा कि नारियल की एक तरफ तीन गोल आकृतियां सी रहती हैं। उनमें से किसी एक को किसी धारदार चाकू से सावधानी से हटा लें। कटे हुए टुकड़े को संभाल कर रख लें। यदि नारियल में पानी हो तो उसे निकाल दें। फिर उस छिद्र से कुछ बाल , काला धागा, कुछ छोटी हड्डियां, जो किसी भी खाद बेचने वाले के यहां से बोन- मील के नाम से मिल जायेंगी, तथा गहरे लाल रंग का पेन्ट या टमाटर सास या फिर आपको जो भी खून के रंग का अच्छ विकल्प लगे, सावधानी से छिद्र के अंदर प्रविष्ट करा उस छिद्र को उस कटे हुए टुकड़े से किसी चिपकाऊ पदार्थ से सील कर दें। इसके बाद नारियल के घने रेशों में ठोस सोडियम के छोटे-छोटे टुकड़े छिपा दें। इसे अपने परिचित दुकानदार के पास रख छोड़ें। यहां आपका आधा काम हो गया। इस काम के लिये यदि एक चोगे नुमा लबादे का इंतजाम हो जाये तब तो मैदान आपके हाथ में होगा इसके बाद सारा कुछ आपकी कलाकारी पर निर्भर करता है।
कार्य प्रणाली :- घटना स्थल पर जाकर ऐसा हाव-भाव प्रदर्शित करें जैसे आप वह सब कुछ देख पा रहे हों जो वहां उपस्थित और लोगों को नज़र नहीं आ रहा है। फिर कुछ ताम-झाम, सु-सटाक कर गंगा जल की मांग करें, ना मिलने पर अपनी झोली से “अभिमंत्रित” जल निकाल कर सारे घर में छिड़काव कर एक आसन पर ध्यान लगा बैठ जायें। "अपने मंत्रों" का जाप करते-करते एक नारियल लाने को कहें, यह सुनिश्चित कर लें कि आप वाला नारियल ही लाया जाए। नारियल आने पर उसे “अपने” मंत्रों से शुद्ध कर एक आसन पर रख धुएं वगैरह का इंतजाम लोबान इत्यादि जला कर करलें। फिर माहौल बना कर नारियल को “अभिमंत्रित” जल से सिंचित करें। जल के संपर्क में आते ही सोडियम आग पकड़ लेगा और लोगों की आंखे खुली की खुली और हाथ जुड़े के जुड़े रह जायेंगे। पर अभी तो चर्मोत्कर्ष बाकी है। अब आप उस नारियल को भीषण उद्घोष के साथ फोड़ें उसके फूटते ही उसके अंदर के द्रव्य बाहर आ आपकी साख न जमा दें तो कहियेगा। अब आप वह सब अल्लम-गल्लम सब को दिखा साधिकार भूत के मरने की घोषणा कर अपना सिक्का जमा सकते हैं। वैधानिक चेतावनी :- (-: भाई मेरे, इस तांत्रिक प्रयोग का प्रयोग ना ही करें तो अच्छा है। अरे सोचो, यदि सच में कुछ हुआ तो # #$#%$#@ (-:
यह भी एक ठगी का तरीका है जिससे भोले-भाले, मासूम, अनपढ लोगों के दिलो-दिमाग में गहरे पैठे अंधविश्वासों तथा कमजोर मानसिकता का फायदा उठा कुछ असामाजिक तत्व अपना उल्लू सीधा करने में लगे रहते हैं। वैसे देखें तो अनपढ ही नहीं, पढे-लिखे लोग भी हानी या मन मुताबिक काम ना होने पर इस तरह के टोटकों का सहारा लेने से नहीं चूकते। इसी अंजान भय और अनिश्चितता से ड़रे घबराये हुओं को कुछ शातिर, जरा सी विज्ञान की जानकारी, वाचालता और हाथ की सफाई के सहारे गुमराह कर अपनी रोटी तो सेकते ही हैं उसमें घी लगाने का इंतजाम भी कर लेते हैं। जरूरत है लोगों को जागरुक बनाने तथा ऐसे लोगों की पोल खोलने की। आइये इस भूत को मारें। काम थोड़ा मुश्किल है पर नामुमकिन नहीं।
तैयारी :- एक ऐसा नारियल लें जिसके रेशे बहुत घने हों। इसके अंदर पानी न हो तो ठीक है। आपने देखा होगा कि नारियल की एक तरफ तीन गोल आकृतियां सी रहती हैं। उनमें से किसी एक को किसी धारदार चाकू से सावधानी से हटा लें। कटे हुए टुकड़े को संभाल कर रख लें। यदि नारियल में पानी हो तो उसे निकाल दें। फिर उस छिद्र से कुछ बाल , काला धागा, कुछ छोटी हड्डियां, जो किसी भी खाद बेचने वाले के यहां से बोन- मील के नाम से मिल जायेंगी, तथा गहरे लाल रंग का पेन्ट या टमाटर सास या फिर आपको जो भी खून के रंग का अच्छ विकल्प लगे, सावधानी से छिद्र के अंदर प्रविष्ट करा उस छिद्र को उस कटे हुए टुकड़े से किसी चिपकाऊ पदार्थ से सील कर दें। इसके बाद नारियल के घने रेशों में ठोस सोडियम के छोटे-छोटे टुकड़े छिपा दें। इसे अपने परिचित दुकानदार के पास रख छोड़ें। यहां आपका आधा काम हो गया। इस काम के लिये यदि एक चोगे नुमा लबादे का इंतजाम हो जाये तब तो मैदान आपके हाथ में होगा इसके बाद सारा कुछ आपकी कलाकारी पर निर्भर करता है।
कार्य प्रणाली :- घटना स्थल पर जाकर ऐसा हाव-भाव प्रदर्शित करें जैसे आप वह सब कुछ देख पा रहे हों जो वहां उपस्थित और लोगों को नज़र नहीं आ रहा है। फिर कुछ ताम-झाम, सु-सटाक कर गंगा जल की मांग करें, ना मिलने पर अपनी झोली से “अभिमंत्रित” जल निकाल कर सारे घर में छिड़काव कर एक आसन पर ध्यान लगा बैठ जायें। "अपने मंत्रों" का जाप करते-करते एक नारियल लाने को कहें, यह सुनिश्चित कर लें कि आप वाला नारियल ही लाया जाए। नारियल आने पर उसे “अपने” मंत्रों से शुद्ध कर एक आसन पर रख धुएं वगैरह का इंतजाम लोबान इत्यादि जला कर करलें। फिर माहौल बना कर नारियल को “अभिमंत्रित” जल से सिंचित करें। जल के संपर्क में आते ही सोडियम आग पकड़ लेगा और लोगों की आंखे खुली की खुली और हाथ जुड़े के जुड़े रह जायेंगे। पर अभी तो चर्मोत्कर्ष बाकी है। अब आप उस नारियल को भीषण उद्घोष के साथ फोड़ें उसके फूटते ही उसके अंदर के द्रव्य बाहर आ आपकी साख न जमा दें तो कहियेगा। अब आप वह सब अल्लम-गल्लम सब को दिखा साधिकार भूत के मरने की घोषणा कर अपना सिक्का जमा सकते हैं। वैधानिक चेतावनी :- (-: भाई मेरे, इस तांत्रिक प्रयोग का प्रयोग ना ही करें तो अच्छा है। अरे सोचो, यदि सच में कुछ हुआ तो # #$#%$#@ (-:
यह भी एक ठगी का तरीका है जिससे भोले-भाले, मासूम, अनपढ लोगों के दिलो-दिमाग में गहरे पैठे अंधविश्वासों तथा कमजोर मानसिकता का फायदा उठा कुछ असामाजिक तत्व अपना उल्लू सीधा करने में लगे रहते हैं। वैसे देखें तो अनपढ ही नहीं, पढे-लिखे लोग भी हानी या मन मुताबिक काम ना होने पर इस तरह के टोटकों का सहारा लेने से नहीं चूकते। इसी अंजान भय और अनिश्चितता से ड़रे घबराये हुओं को कुछ शातिर, जरा सी विज्ञान की जानकारी, वाचालता और हाथ की सफाई के सहारे गुमराह कर अपनी रोटी तो सेकते ही हैं उसमें घी लगाने का इंतजाम भी कर लेते हैं। जरूरत है लोगों को जागरुक बनाने तथा ऐसे लोगों की पोल खोलने की। आइये इस भूत को मारें। काम थोड़ा मुश्किल है पर नामुमकिन नहीं।
21 टिप्पणियां:
बिलकुल सही मारा आपने भूत। आपकी इस सत्यान्वेषण की प्रवृत्ति देख कर प्रसन्नता हुई।
-Zakir Ali ‘Rajnish’
{ Secretary-TSALIIM & SBAI }
लोक जागरण के लिए सिखलाया जो मंत्र।
हँटे वहम धीरे सही होंगे लोग स्वतंत्र।।
सादर
श्यामल सुमन
09955373288
www.manoramsuman.blogspot.com
shyamalsuman@gmail.com
वाह गगन जी क्या लिखा है सच में आज समाज में आप जैसे लोगो की सख्त आवश्यकता है जो ये दिखा सके ओर समाज से अंधविश्वास हटा सके आपकी इस प्रेरक उत्पति के लिए १०० में १००
कमाल की बात बताई है आपने, मजा आ गया। तांत्रिका की सही पोल खोली है इस बहाने।
बहुत सही बात कही आपने.
रामराम.
चलो भाई कमाई का एक नया फंडा तो पता चला
chaliye ab tak joot maar rahe the ,ab aapne vidhi bata dee hai to ab bhoot maarenge.....
भूत तो मार देंगे लेकिन असली भूत पीछे पड़ गया तब ............हा हा हा
शानदार लेख. बधाई.
शर्मा जी, कहीं "बाबागिरि" करने का विचार तो नहीं..:)
भई हमने भी नागपुर की अन्धश्रद्धा निर्मूलन समिति के तहत बहुत से पोल खोल कर्यक्रम किये है. पढकर मज़ा आगया.. लगे रहिये
Aap panga le rahe hai Jyotish and Tantra ko Science manane walo se.......
आपको हमारी संस्था द्वारा ’महा ठग श्री’ की उपाधि से अलंकृत किया जाता है. देखो, मना न करना क्रिकेटरर्स की तरह.
अब तो ठग और धंधेबाज मूत मारेगें !
बेनामी जी,
ज्योतिष और तंत्र अपनी जगह हैं। यह तो उन लोगों की बात की गयी है जो लोगों की आस्था से खिलवाड़ कर अपनी झोली भर रहे हैं।
असली दूध सेहत के लिये फायदेमंद होता है पर बाज़ार में सिंथेटिक दूध बेचने वालों का विरोध तो होना ही चाहिये।
sahi kaha hai apne, aise bhuuto se samaj kii raksha honi jaruri hai
bahut khoob pol kholi
andhvishvas ko hatana bahut jaroori hai
मेरी कलम - मेरी अभिव्यक्ति
sachmuch alag sa.. :)
वाह शर्मा जी क्या कमाल की बात बताई है, लेकिन मेने कोशिश कर के देख ली, अंधविश्वास मै फ़ंसे लोग विशवास नही करते, ऊलटा धक्के मार कर भगा देते है,
लेकिन अच्छा ढंग बताया,
vishwas aur andhvishwas ke beech jo ek patli rekha hoti hai ....aap use yahan rekhankit karne me saksham huye hai
aapne tantra mantra ka pol khulee.aapko bhotnath kahe to ati nahee hoga .
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