शुक्रवार, 14 जून 2024

शापित है हमारा मध्यम वर्ग, ऐसा क्यूँ ? कोई तो जवाब दे

मध्यम वर्ग गर्व महसूस करता है जब वह सुनता है कि उसके देश में कोई भूखा नहीं सोता, करोड़ों लोगों को मुफ्त में राशन दिया जाता है ! पर जब वह अपने लिए निर्धारित आटे-दाल का भाव सुनता है तो सर पीट लेता है ! इस वर्ग को कभी कोई आपत्ति नहीं हुई, बल्कि वह खुश होता है जब इसे स्कूलों में गरीब बच्चों को मुफ्त में पौष्टिक आहार मिलने की बात पता चलती है ! पर उस पर दूसरे दिन सुबह ही गाज गिर जाती है, जब उसे अपने बच्चे के दूध की कीमतें बढ़ी हुई मिलती हैं ! पेट्रोल की बढ़ती कीमतों पर वह सरकार के अनुरोध पर बस या मेट्रो से अपने काम पर जाना तय करता है, तो पाता है कि उसकी चुनी सरकार ने इन साधनों का किराया बढ़ा दिया है ! तथाकथित गरीबों को लुभाने के लिए सरकारें मुफ्त धार्मिक यात्राओं का इंतजाम करती रहती हैं, पर क्या करे ये दुखिया वर्ग ! जो अपने माता-पिता को चाहते हुए भी किसी यात्रा पर भेजने के पहले सौ बार सोचता है, क्योंकि इसके बुजुर्गों को मिलने वाली कुछ प्रतिशत छूट सरकार वापस ले चुकी होती है.............!

#हिन्दी_ब्लागिंग 

पृथ्वी का मानचित्र देखने पर हमें क्षैतिज तथा एक दूसरे के सामानांतर रेखाओं का एक जाल सा नजर आता है। इन काल्पनिक रेखाओं को अक्षांश और देशांतर रेखाएं कहा जाता है। पृथ्वी के विभिन्न जलवायु क्षेत्र के निर्धारण, तापमान, मौसम का आकलन आदि में इन रेखाओं का काफी योगदान रहता है। ये वैज्ञानिकों द्वारा जमीन के धरातल पर खींची गई काल्पनिक रेखाएं हैं ! जिनके अगल-बगल या इस पार और उस पार लोग रहते हैं। 

उन रेखाओं की तर्ज पर एक काल्पनिक रेखा हमारे देश में राजनैतिक नेताओं द्वारा भी बनाई गई है। जिसे गरीबी की रेखा कहा जाता है। इसकी खासियत यह है कि यह धरातल पर नहीं बल्कि हवा में खींची गई है, इसीलिए इसके आर-पार नहीं, बल्कि ऊपर-नीचे आबादी रहती है ! इसके ऊपर रहने वालों को अमीर और नीचे वालों को गरीब माना जाता है ! उच्च वर्ग इसके दायरे में नहीं आता ! इस रेखा का एक खास गुण है कि इसे सरकारों की सहूलियतानुसार ऊपर-नीचे किया जा सकता है ! जिससे नेताओं द्वारा चुनावों के दौरान तरह-तरह के प्रलोभनों, हथकंडों, आश्वासनों तथा  रियायतों से जनता को लुभा, अपने उल्लू को टेढ़ा होने से बचाया जा सके ! 

इस रेखा के नीचे रहने वाले लोग अत्यंत भाग्यशाली और सरकारों के बहुत प्रिय होते हैं। देश में किसी भी दल की सरकार बने, इन लोगों की सदा पौ-बारह रहती है। उधर आम भारतीय जनता जिसे देश का मध्यम वर्ग कहा जाता है, वह भी सदा से बड़े दिल वाला, दयालु, परोपकारी व  भावुक रहा है ! दूसरों के दुःख से पसीज जाता है ! इसीलिए ''इसको'' बार-बार ''उनकी'' याद दिलाई जाती है, लगातार ''उनकी'' तथाकथित दुर्दशा से अवगत कराया जाता है ! ''ये'' भी द्रवित हो जैसे-तैसे उनके लिए अपनी जेब ढीली करते रहते हैं और ऐसा वर्षों से चला आ रहा है !  

पर ऐसा कब तक चलता ! दिनोंदिन की बढ़ती मंहगाई, स्थिर आमदनी, नौकरियों की कमी, छंटनी इन सबने इन्हें कुछ परेशान सा कर दिया ! इसने देखा कि यदि एक दल किसी खास जाति-धर्म का हिमायती है, उसी के बारे में सोचता है, तो दूसरा दल भी उसी की राह पर चल रहा है ! वह भी एक खास वर्ग की ही ज्यादा चिंता करता है ! उन्हीं को ध्यान में रख, ज्यादातर योजनाएं बनाई जाती हैं ! देश की संपदाओं का लाभ सबसे पहले उन्हीं को दिया जाता है और रेखा के ऊपर रहने वाला, भले ही वह तिल भर ही ऊपर हो,  वर्ग सदा से ठगा जाता रहा है !  

कभी ना कभी तो तिलमिलाहट होनी ही थी ! जब रेखा के ऊपर वाला समूह यह देखता है कि फलाने-फलाने को तो टैक्स से छूट दे दी जाती है पर मेरी कमाई के हाथ में आने के पहले ही उसमें कटौती हो जाती है ! उस मनहूस रेखा से तिल भर की ऊंचाई, उसको जी.एस.टी. और इनकम टैक्स के इंस्पेक्टरों का निशाना बनवा देती है, जबकि उधर वाले को अपनी आमदनी का कोई हिसाब-किताब ही नहीं रखना पड़ता ! मेरी पीढ़ी दर पीढ़ी किराए के मकान बदलते-बदलते ही कालकल्वित हो जाती है पर उधर के भाग्यशाली लोगों के सदस्यों को सरकारें चुन-चुन कर घर आवंटित कर गंगा नहाती रहती हैं ! मेरा बच्चा दिन-रात एक कर अच्छे नंबर लाता है पर उधर पास लायक अंक ना होने पर भी दाखिला मिल जाता है ! मुझे अपनी लियाकत होने के बावजूद तरक्की नहीं मिलती पर उधर तरक्की पर तरक्की पा कर भी लियाकत सिद्ध नहीं कर पाता ! मेरा सारा बजट राशन-किराए में ही खप जाता है, उधर किसी का मुफ्त, मुफ्त और मुफ्त पा कर भी पेट नहीं भरता !  

वही मध्यम वर्ग गर्व महसूस करता है जब वह सुनता है कि उसके देश में कोई भूखा नहीं सोता करोड़ों लोगों को मुफ्त में राशन दिया जाता है ! पर जब वह अपने लिए निर्धारित आटे-दाल का भाव सुन सर पीट लेता है ! इस वर्ग को कभी कोई आपत्ति नहीं हुई, बल्कि वह खुश होता है जब स्कूलों में गरीब बच्चों को मुफ्त में पौष्टिक आहार मिलने की बात सुनता है, पर उस पर दूसरे दिन सुबह ही गाज गिरती है जब उसे अपने बच्चे के दूध की कीमतें बढ़ी हुई मिलती है ! पेट्रोल की बढ़ती कीमतों पर वह सरकार के अनुरोध पर बस या मेट्रो से अपने काम पर जाना तय करता है तो पाता है कि उसकी चुनी सरकार ने इन साधनों का किराया बढ़ा दिया है ! तथाकथित गरीबों के लिए सरकारें मुफ्त धार्मिक यात्राओं का इंतजाम करती रहती हैं, पर क्या करे ये दुखिया वर्ग, जो अपने माता-पिता को चाहते हुए भी किसी यात्रा पर भेजने के पहले सौ बार सोचता है, क्योंकि बुजुर्गों को मिलने वाली कुछ प्रतिशत छूट भी सरकार वापस ले चुकी होती है ! जबकि यह विडंबना ही तो है कि सारे लाखों-करोड़ों की संपत्ति के स्वामी इन नेताओं के लिए हर सुविधा नि:शुल्क होती है ! यहां तक कि कई तो दो-दो पेंशन तक लेने से नहीं शर्माते ! 

अब तो ऐसा लगता है कि देश की अर्थ व्यवस्था की रीढ़ की हड्डी जैसा यह मध्यम वर्ग एक तरह से शापित ही है ! कहां तक गिनाई जाएं इनकी मुसीबतें ! इनकी परेशानियां गिनने लगें तो ग्रंथ बन जाएगा ! टैक्स पर टैक्स पर टैक्स देने वाला, छूट पर छूट पर छूट को लेने वाले को सिर्फ देखता रहता है ! वह सोचता रह जाता है कि  क्या खता है मेरी ! सबको दे-दे कर भी मैं ही क्यूँ भुगतने पर विवश हूँ ? व्यक्ति-समाज-देश क्या इनका जिम्मा सिर्फ मेरा है ? गन्ने की तरह पेर-पेर कर मेरा सारा रस निकाल, मुझे क्यों इस तरह उपेक्षित छोड़ दिया जाता है ? फिर आपदा-विपदा-मुसीबत पड़ने पर सबसे पहले याद भी मुझी को किया जाता है ! 

रियायतें, सहूलियतें जाति-धर्म या किसी विशेष ही को क्यों ? क्यों नहीं यह जरूरतमंदों की पहचान कर या जिन्हें इस सबकी सचमुच जरुरत है, उन्हें दी जातीं ? बहुत सारे, अनगिनत ऐसे लोग हैं, जिन्होंने सरकारी नौकरी नहीं की ! उनको कोई पेंशन नहीं मिलती ! वे आर्थिक तौर असुरक्षित हैं ! ऐसे ही अनेकों लोग जिन्हें आज आर्थिक-मानवीय सहायता की, सरकारी सुरक्षा की अत्यंत ही आवश्यकता है पर वे इन रेखाओं के दायरे में नहीं आते और घुट-घुट कर तरस-तरस कर जीने को मजबूर हैं ! उनका ख्याल कौन रखेगा ? उनकी चिंता कौन करेगा ? वोट तो वे भी देते हैं !

क्यूँ ? ऐसा क्यूँ ? कोई तो जवाब दे........!      

रविवार, 9 जून 2024

कंगना कांड, विरोध की पराकाष्ठता,

बात उस समय की है जब शांति समझौते पर हस्ताक्षर के लिए राजीव गांधी कोलंबो गए थे ! 30 जुलाई 1987 को उन्हें गार्ड ऑफ ऑनर दिया जा रहा था। तभी एक श्रीलंकाई सैनिक विजिथा रोहन विजेमुनि ने, जो भारत से शांति सेना को लंका भेजे जाने के फैसले से नाराज था, अपनी बंदूक की बट से उन पर हमला कर दिया था। हालांकि राजीव गांधी जी को ज्यादा चोट नहीं लगी, वे बच गए थे ! किसी भारतीय प्रधानमंत्री पर विदेशी धरती पर हुआ यह इकलौता हमला है। पर उस समय भारत की किसी विपक्षी पार्टी ने यह नहीं कहा था कि यह तमिलों का आक्रोश है या उनका कांग्रेस के प्रति गुस्सा है ! राजीव जी के धुर विरोधी भी उनके पक्ष में थे...................!

#हिन्दी_ब्लागिंग  

कंगना कांड की तपिश कम होती नहीं दिख रही ! पक्ष-विपक्ष दोनों लगे हैं हवा देने में ! जाहिर है विपक्ष की नफरत कंगना रूपी महिला से उतनी नहीं है जितनी भाजपा नेत्री कंगना से है ! उसका बड़बोलापन भी इसका एक कारण हो सकता है ! पर बात है उस सुरक्षा कर्मी कुलविंदर कौर की, जो अपनी भावनाओं पर काबू ना पा सकी ! आज वह जाने-अनजाने पूरे देश में नाम और बदनाम दोनों पा गई ! उसके भविष्य को लेकर चिंतित लोगों ने उसके लिए नौकरियों की बौछार कर दी ! उसका स्तुति गान होने लगा ! इसलिए नहीं कि वह एक महिला है बल्कि इसलिए कि वह भाजपा विरोधी है ! खुद महिला होते हुए भी कई महिलाएं तक इसी बात पर खुशी जाहिर कर रही हैं ! यह बात उनके दिमाग में क्यों नहीं आती कि विवेकहीन, कुंठित, पूर्वाग्रही दिमाग, ऐसा किसी के साथ भी कर सकता है ! अभी कुछ दिनों पहले फेबु का एक आत्मश्लाघि तथाकथित बुद्धिजीवी इस बात से खुश था कि IPL क्रिकेट तमाशे में गुजराती अंबानी की टीम हार गई थी और गुजराती पांड्या की भद पिट रही थी ! कहां ले जा रहा है हमें यह व्यक्तिगत विरोध ? क्या होगा ऐसी सोच का ? कब हमारा विरोध इंसान से उठ, जाति, समाज, धर्म, प्रदेश  तक पहुंच गया पता ही नहीं चला...........!

दुखद व शर्मनाक घटना 
इतिहास भी हमें राह नहीं दिखा पाया ! बात उस समय की है जब शांति समझौते पर हस्ताक्षर के लिए राजीव गांधी कोलंबो गए थे ! 30 जुलाई को उन्हें गार्ड ऑफ ऑनर दिया जा रहा था। तभी एक श्रीलंकाई सैनिक विजिथा रोहन विजेमुनि ने, जो सिंहली समुदाय से था और भारत से शांति सेना को लंका भेजे जाने के फैसले से राजीव गांधी से नाराज था, अपनी बंदूक की बट से उन पर हमला कर दिया था। हालांकि राजीव गांधी जी को ज्यादा चोट नहीं लगी, वे बच गए थे ! किसी भारतीय प्रधानमंत्री पर विदेशी धरती पर हुआ यह इकलौता हमला है। यह व्यक्तिगत विरोध की पराकाष्ठता थी ! पर उस समय भारत की किसी विपक्षी पार्टी ने यह नहीं कहा था कि यह तमिलों का आक्रोश है या उनका कांग्रेस के प्रति गुस्सा है ! राजीव जी के धुर विरोधियों ने भी किसी भी तरह की खुशी जाहिर नहीं की थी ! सभी का मत था कि इस बात की जितनी भी निंदा की जाए वह कम है ! यह भी देखने की बात है कि उस समय भी भारत विरोधी शक्तियों ने रोहन विजेमुनि को हीरो नहीं बना दिया था ! तमिलों ने भी उसे पुरस्कृत नहीं कर दिया था ! क्योंकि गलत बात, गलत है, चाहे किसी के भी प्रति या किसी भी परिपेक्ष्य में की गई हो ! रोहन विजेमुनि को वहां की सरकार ने तत्काल गिरफ्त में लिया, उसका कोर्ट मॉर्शल हुआ और उसे छह साल की सख्त सजा मिली ! हालांकि बाद में राष्ट्रपति रणसिंघे प्रेमदासा ने अढ़ाई साल बाद उसे क्षमा दान दे दिया था !

आपके विचार, आपका मत, आपकी धारणा किसी और से मेल नहीं खाती तो इसका मतलब यह तो नहीं कि आप हिंसा का सहारा ले लें ! क्या इस तरह के क्षणिक आवेश की प्रशंसा करना उचित है ? यदि इस बात को शह दी जाती रही तो अराजकता का क्या हाल होगा, सोचा भी नहीं जा सकता ! कल ऐसा ही कोई सिरफिरा विपक्ष के नेता पर हाथ उठा देगा ! किसी दिन कोई सुरक्षाकर्मी किसी बड़े व्यवसाई का अपमान कर देगा ! ऐसा ही रहा तो आम इंसान के साथ कैसा व्यवहार हो सकता है, इसकी कल्पना आसानी से की जा सकती है ! सीधे शब्दों में कहें तो उस सुरक्षा कर्मी की इस हरकत पर गहराई से विचार होना चाहिए ! 

आज यह देख कर खेद होता है कि समाज में असहिष्णुता बढ़ती ही जा रही है ! जरा-जरा सी बात पर लोग उत्तेजित, उद्वेलित हो जाते हैं ! ऐसा होना व्यक्ति, परिवार, समाज और देश, किसी के लिए भी हितकर नहीं है ! ठीक है कि सभी की अपनी-अपनी सोच है, अपने-अपने विचार हैं ! अपनी-अपनी परिस्थितियां हैं ! अपने-अपने हित हैं ! पर फिर भी हमारी विचारधारा कुछ भी हो ! हम किसी भी दल नेता, जाति, धर्म को मानते हों ! हमारी मान्यता कुछ भी हो, इसका मतलब यह नहीं कि हम ही सही हैं और जो हमारा विरोधी है वह सिरे से गलत है और गलत है तो वो हमारा शत्रु है ! देश हित में तो ऐसा कदापि, कदापि उचित नहीं है ! नेताओं, सामाजिक संगठनों, धर्म के झंडाबरदारों, हमको-आपको सभी के लिए देश, सिर्फ देश ही प्रथम होना चाहिए !   

रविवार, 2 जून 2024

Deepfake, चरम नकली

अधिकांश लोगों को ग्रंथों में वर्णित देवराज इंद्र की उस ओछी हरकत का ज्ञान होगा, जब उसने ऋषि गौतम का रूप धारण कर उनकी पत्नी अहिल्या के साथ दुर्व्यवहार किया था ! वह कामरूप सिद्धि थी जो डीपफेक का बेहद उच्च कोटि का संस्करण था ! हनुमान जी ने भी श्री राम के पहले दर्शन साधू वेश में किए थे ! सीता हरण, शूर्पणखा कांड, मारीच का स्वर्ण हिरण रूप, रावण के गुप्तचर शुक का वानर रूप सब डीपफेक के उच्च कोटि के संस्करणों के ही तो उदाहरण हैं ! महिषासुर ने तो साक्षात भैंसे का रूप ही धारण कर लिया था...........! 

#हिन्दी_ब्लागिंग 

समय के साथ-साथ विज्ञान प्रकृति के रहस्यमयी परदे के पीछे से तरह-तरह की अनोखी चीजें हमारे सामने लाता रहा है, यह क्रम जारी है और सदा जारी रहेगा ! कुछ दिनों पहले तक नकली वीडियो, ऑडियो, तस्वीरें वगैरह काफी प्रसारित- प्रचारित होते रहे थे ! वहीं अब एक नई विधा Deep Fake, जिसके लिए अभी हिंदी का उपयुक्त शब्द ईजाद नहीं हुआ है, सामने आई है ! यह एक प्रकार की वीडियो या इमेज है जिसमें किसी व्यक्ति का चेहरा किसी दूसरे व्यक्ति के चेहरे से बदल दिया जाता है। डीपफेक वीडियो बनाने के लिए आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) और मशीन लर्निंग की मदद ली जाती है। डीपफेक वीडियो और ऑडियो दोनों रूपों में हो सकता है ! इस उच्च कोटी की संपादित तकनीकी की खासियत यह है कि इसमें नकली और असली में अंतर कर पाना बहुत मुश्किल होता है ! पर आज का यह लेख इस विधा से संबंधित एक दूसरी बात को सामने लाने के लिए है !  

हमारे प्राचीन ग्रंथों में हजारों वर्ष पहले आठ सिद्धियों, नौ निधियों तथा दस गौण सिद्धियों के बारे में विस्तार से बताया गया है ! उन्हीं गौण सिद्धियों में परकायाप्रवेशनम् तथा कामरूपम्: नाम की दो सिद्धियां भी हैं !  परकायाप्रवेशनम् की सहायता से जहां किसी भी शरीर में प्रवेश किया जा सकता है। वहीं कामरूपम: सिद्धि को सिद्ध कर साधक अपनी इच्छा अनुसार कोई भी रूप धारण कर सकता है। देखा जाए तो ये आज की डीपफेक तकनीक के बहुत ही परिष्कृत और बेहद उच्च स्तरीय संस्करण हैं ! आज का डीपफेक जहां अभी तक सिर्फ यंत्रों में आभासी स्तर तक ही सिमित है, वहीं इन सिद्धियों का प्रयोग और उपयोग रामायण-महाभारत के अलावा अन्य ग्रंथों के अनुसार सुर-असुर, देवता, राक्षस, गंधर्व इत्यादि के द्वारा, वास्तविक रूप में, अच्छा-बुरा लाभ उठाने या गुप्तचरी करने की कोशिश में किए जाने का उल्लेख मिलता है ! 

गौतम ऋषि के वेश में छल करता इंद्र 
अधिकांश लोगों को ग्रंथों में वर्णित देवराज इंद्र की उस ओछी हरकत का ज्ञान होगा, जब उसने ऋषि गौतम का रूप धर उनकी पत्नी अहिल्या के साथ दुर्व्यवहार किया था ! वह कामरूप सिद्धि थी जो डीपफेक का बेहद उच्च कोटि का संस्करण ही तो था ! हनुमान जी ने भी श्री राम के पहले दर्शन साधू वेश में किए थे ! सीता हरण, शूर्पणखा कांड, मारीच का स्वर्ण हिरण रूप, रावण के गुप्तचर शुक का वानर रूप सब डीपफेक के उच्च कोटि के संस्करणों के ही तो उदाहरण हैं ! महिषासुर ने तो साक्षात भैंसे का रूप ही धारण कर लिया था ! कितना और कहां तक गिनाया जाए........! 

साधू वेश में हनुमान जी का राम मिलाप 
हमारे ग्रंथों में वर्णित ज्ञान के सामने आज का विज्ञान नवजात शिशु रूप में ही है ! जो अभी तक उस समय के मुकाबले ऐसी इक्का-दुक्का उपलब्धियां ही हासिल कर पाया है ! इसके बावजूद दिक्कत हमारे साथ ही है ! हम खुद ही अपने गौरवान्वित इतिहास पर विश्वास नहीं करते ! ग्रंथों में लिखी बातों को वामपंथ विचारधारा के षड्यंत्र के तहत कपोल कल्पना मात्र मान उसको दरकिनार तो करते ही हैं, वक्त बेवक्त उसका मजाक उड़ाने से भी बाज नहीं आते ! गलती पूर्णतया हमारी भी नहीं है, पीढ़ी दर पीढ़ी जो बताए-पढ़ाए के नाम पर थोपा गया, उस पर विश्वास तो करना ही था ! खैर अब समय आ गया है कि हम वर्तमान और आने वाली पीढ़ी को सच्चाई से अवगत कराएं ! पुरानी कथा-कहानियों में वर्णित बातों को वैज्ञानिक आधार दे समझाएं ! गौरवान्वित महसूस करवाएं !

@सभी चित्र अंतर्जाल के सौजन्य से 

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शापित है हमारा मध्यम वर्ग, ऐसा क्यूँ ? कोई तो जवाब दे

मध्यम वर्ग गर्व महसूस करता है जब वह सुनता है कि उसके देश में कोई भूखा नहीं सोता, करोड़ों लोगों को मुफ्त में राशन दिया जाता है ! पर जब वह अपने...