क्रिकेट की एक और दिलचस्प खासियत यह है कि इसकी पिच, जिस पर इसे खेला जाता है, उसकी लंबाई और चौड़ाई (22 गज x 10 फिट) तो तय होती है, पर मैदान का आयाम, जो कहीं गोल होता है तो कहीं अंडाकार यानी ओवल शेप में, तो कहीं अनियमित आकार लिए हुए, उसका कोई निश्चित माप नहीं होता ! हॉकी, फुटबॉल, टेनिस, बैडमिंटन जैसे दूसरे खेलों के मैदानों के आकार या माप जिस तरह तय रहते हैं, वैसा क्रिकेट में नहीं होता ! इस अनिश्चितताओं से भरे खेल में यह एक ऐसी अनियमितता है, जिस पर शायद ही कभी बात होती हो...........!
#हिन्दी_ब्लागिंग
इन दिनों एक दिवसीय क्रिकेट की एक बड़ी या कह सकते हैं महा-प्रतियोगिता चल रही है ! अब क्रिकेट का माहौल है तो जाहिर है, उसकी बातें चहुं-ओर होनी ही हैं ! हमारे देश के लोग तो वैसे भी इस खेल के कुछ अतिरिक्त ही दिवाने हैं ! भारत में क्रिकेट को इसके प्रशंसकों द्वारा एक धर्म ही बना दिया गया है, जहां क्रिकेटरों को भगवान की तरह माना जाने लगा है ! ऐसी प्रतियोगिताओं में हजारों-हजार लोग स्टेडियम में हो-हल्ला मचाने तो पहुंचते ही हैं, उनसे कहीं ज्यादा लोग घर में बैठ अपना रक्तचाप और दिल की धड़कनों को अनियमित बनवाते रहते हैं ! ऐसे ही दीवाने अब्दुल्लों के भरोसे टीवी पर इसका सीधा प्रसारण करने वाले अतिरिक्त कमाई की खातिर अपनी दुकान, खेल शुरू होने के दो घंटे पहले ही खोल कर बैठ जाते हैं ! मजे की बात यह है कि उस दुकान पर कुछ ऐसे लोग भी ज्ञान बेचने का मौका पा जाते हैं जिन्होंने अपने समय में हाई स्कूल की परीक्षा भी पास नहीं की होती ! कुछ सदा के फिस्सडी यहां विशेषज्ञ बने नजर आते हैं ! इस खेल की महानता है कि यह अपने से जुड़े किसी भी बंदे को निराश नहीं करता कुछ ना कुछ उपलब्ध करवा ही देता है !
बात की बात में बात कहां तक चली गई ! बात हो रही थी खेल की ! तो यह खेल अपनी अनिश्चितताओं के लिए प्रसिद्ध है ! यही विशेषता इसे अन्य खेलों से कुछ अलग भी बनाती है ! यह एक मात्र खेल है, जहां अपनी एक भूल को भी सुधारने का कोई और मौका नहीं मिलता, खास कर बैटर को ! आउट....तो.....आउट ! दुनिया के हर खेल में, खेल के दौरान खिलाडियों को अपनी गलती या कहिए गलतियां सुधारने के और भी अवसर मिल जाते हैं पर इस क्रूर खेल में एक गलती हो गई तो बस, सब खल्लास.......! कई बार तो वह एक गलती खिलाड़ी के जीवन भर के कैरियर को ही बर्बाद कर बैठती है ! पर यही क्रूरता इस खेल को और भी लोकप्रिय बनाती चलती है ! ___________________________________________________________________________
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आपकी आँखें हमारे लिए अनमोल हैं |
क्रिकेट की एक और दिलचस्प खासियत यह है कि इसकी पिच, जिस पर इसे खेला जाता है, उसकी लंबाई और चौड़ाई (22 गजx10 फिट) तो तय होती है, पर मैदान का आकार, जो कहीं गोल होता है तो कहीं अंडाकार यानी ओवल शेप में, तो कहीं अनियमित आकार लिए हुए, उसका कोई निश्चित माप नहीं होता ! हॉकी, फुटबॉल, टेनिस, बैडमिंटन जैसे दूसरे खेलों के मैदानों के आकार-आयाम जिस तरह तय रहते हैं, वैसा क्रिकेट में नहीं होता ! इस अनिश्चितताओं से भरे खेल में यह एक ऐसी अनियमितता है, जिस पर शायद ही कभी बात होती हो ! हाँ, बाउंड्री 65 मीटर से कम और 90 मीटर से ज्यादा नहीं होनी चाहिए। इसके अलावा पुरुषों के क्रिकेट के लिए मैदान का व्यास आमतौर पर 450 फीट (137 मीटर) से 500 फीट (150 मीटर) के बीच और महिला क्रिकेट के लिए 360 फीट (110 मीटर) से 420 फीट (130 मीटर) के बीच होता है।
वैसे आजकल यह खेल भी पैसा कमाने के अहम जरिए का रूप लेता जा रहा है ! दर्शकों को आकर्षित और रोमांचित करने की तरकीबें खोजी जाने लगी हैं ! भद्र पुरुषों का खेल कहलवाने वाले क्रिकेट का मूल स्वभाव बदलवाया जा रहा है ! इस खेल का बैटिंग वाला पक्ष वो हिस्सा है जो इस खेल को रफ्तार देता है, यही चीज दर्शकों और क्रिकेट प्रेमियों को ज्यादा पसंद भी है ! इसी कारण इस खेल में बैटर का दबदबा बढ़ता चला जा रहा है और बॉलर धीरे-धीरे गौण होते जा रहे हैं ! आज बैटर को ध्यान में रख नियम-कानून बनते हैं ! बैटिंग के लिहाज से पिचें तैयार करवाई जाने लगी हैं ! नियम बनाने वालों का सारा ध्यान खेल के तीनों रूपों में ज्यादा से ज्यादा रन बनवाने और चौके-छक्के लगवाने में ही रहता है ! चलो, बैटर को अपनी गलती सुधारने का मौका भी तो नहीं मिलता है, ऐसी रियायत ही सही ! इससे रोमांच तो बढ़ा ही है ! ठठ्ठ के ठठ्ठ लोग तमाशा देखने उमड़े भी पड़ रहे हैं !
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विडंबना है कि मैदान भले ही छोटा हो, पर दर्शक दीर्घाएं और-और बड़ी होने लगी हैं ! जिससे असीमित लोगों को समेटा जा सके ! टिकटों की कीमतें आकाश छूने लगी हैं ! पैसा बरस रहा है ! खेल व्यवसाय बन गया है ! खिलाड़ी मशीन ! उन पर अब सर्दी-गर्मी-बरसात-धूप-लू, अँधेरे-उजाले किसी भी व्याधि का कोई असर नहीं पड़ता ! इधर खेल अपनी भावना को ले कर अचंभित सा कहीं दुबका पड़ा है !