शुक्रवार, 4 फ़रवरी 2011

क्षीण होती जाती है स्पर्श शक्ति भी धूम्रपान से

धूम्रपान की ढेर सारी बुराइयों में एक यह भी है कि इससे शरीर की स्पर्श शक्ति भी क्षीण होती चली जाती है। अमेरिका के वैज्ञानिकों के परीक्षण मे यह बात सामने आई है। उन्होंने युवकों के दो दल बनाए, एक में वे लोग थे जो सिगरेट नहीं पीते थे तथा दूसरे में वे जो इसके आदी थे। फिर एक लोहे की राड़ को हल्का गर्म कर बारी-बारी से दोनों दलों को पकड़ने को कहा गया। जो धूम्रपान नहीं करते थे उन्होंने सलाख की गर्मी को तुरंत महसूस किया। इसके विपरीत धूएं का सेवन करने वालों को किसी भी तरह की गरमाहट का आभास नहीं हुआ।
इसका एक और भी निष्कर्ष निकाला गया कि ज्यादा धूम्रपान करने वालों को ह्रदयाघात का दर्द महसूस नहीं होता जिससे रोग का निदान जल्द ना होने से समय पर इलाज नहीं हो पाता जो जानलेवा भी हो जाता है।
इसका दुष्प्रभाव हाथ की उन ऊंगलियों पर भी अपना प्रकोप ड़ालता है जिनमें सिगरेट ज्यादा देर तक फंसी रहती है। उसकी गर्मी त्वचा की संवेदना को खत्म कर देती है।


# चर्चिल सिगार बहुत पीते थे। एक बार किसी ने उनसे कहा, "इतना धूम्रपान आपको धीरे-धीरे मौत की ओर ले जा रहा है।"
चर्चिल ने तुरंत जवाब दिया "मुझे भी कोई जल्दी नहीं है"

6 टिप्‍पणियां:

डॉ. मनीष कुमार मिश्रा ने कहा…

आपके आलेख आमंत्रित हैं.
आपके आलेख आमंत्रित हैं
'' हिंदी ब्लॉग्गिंग '' पर january २०१२ में आयोजित होनेवाली राष्ट्रीय संगोष्ठी के लिए आप के आलेख सादर आमंत्रित हैं.इस संगोष्ठी में देश-विदेश के कई विद्वान सहभागी हो रहे हैं.
आये हुवे सभी आलेखों को पुस्तकाकार रूप में प्रकाशित करने क़ी योजना है. आपसे अनुरोध है क़ी आप अपने आलेख जल्द से जल्द भेजने क़ी कृपा करें.
इस सम्बन्ध में अधिक जानकारी के लिए संपर्क करें --------------
डॉ.मनीष कुमार मिश्रा
के.एम्. अग्रवाल कॉलेज
पडघा रोड,गांधारी विलेज
कल्याण-पश्चिम ,४२१३०१
जिला-ठाणे
महाराष्ट्र ,इण्डिया
mailto:manishmuntazir@gmail.com
wwww.onlinehindijournal.blogspot.कॉम
०९३२४७९०७२६

राज भाटिय़ा ने कहा…

सही कहा जी, धूम्रपान से सभी मांस पेशिया भी तनाव मे रहती हे, मै १५ साल पहले सिगरेट पीता था, फ़िर एक दम से छोड दी, कुछ समय तो दिल किया फ़िर इस से नफ़रत हो गई, धन्यवाद इस अच्छी जानकारी के लिये

शिवम् मिश्रा ने कहा…


बेहतरीन पोस्ट लेखन के लिए बधाई !

आशा है कि अपने सार्थक लेखन से,आप इसी तरह, ब्लाग जगत को समृद्ध करेंगे।

आपकी पोस्ट की चर्चा ब्लाग4वार्ता पर है - पधारें - मेरे लिए उपहार - फिर से मिल जाये संयुक्त परिवार - ब्लॉग 4 वार्ता - शिवम् मिश्रा

गगन शर्मा, कुछ अलग सा ने कहा…

भाटिया जी, यह खुद अपने लिए भी खतरनाक है यह जानते हुए भी लोग इसे छोड़ नहीं पाते। इससे निजात पाने के लिए दृढ निश्चय और संयम होना जरूरी है।
आपको बधाई है ऐसा करने पर।

पी.एस .भाकुनी ने कहा…

चर्चिल सिगार बहुत पीते थे। एक बार किसी ने उनसे कहा.....
ha......ha........

Dr. Zakir Ali Rajnish ने कहा…

सही कहा आपने।

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ध्‍यान का विज्ञान।
मधुबाला के सौन्‍दर्य को निरखने का अवसर।

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