माउंट एवरेस्ट, दुनिया की सबसे ऊंची पहाड़ी चोटी। पर यह एवरेस्ट कौन थे जिनके नाम पर इस चोटी का नाम रखा गया ?
1830 से 1843 तक भारत के सर्वेयर जनरल रहे थे कर्नल सर जार्ज एवरेस्ट। आधुनिक भूगणितीय सर्वेक्षण की नींव भारत में उन्होंने ही रखी थी। दक्षिण की कन्याकुमारी से लेकर उत्तर की मसूरी तक हिमालयी पर्वत श्रेणी के वृत्तांश (meridional ark)को मापने जैसा असंभव सा कार्य सर्वप्रथम उन्होंने ही किया था। उनके इसी बहुमूल्य तथा मौलिक कार्य के कारण हिमालय के सर्वोच्च शिखर का नाम उनके नाम पर रखा गया था।
इस ब्लॉग में एक छोटी सी कोशिश की गई है कि अपने संस्मरणों के साथ-साथ समाज में चली आ रही मान्यताओं, कथा-कहानियों को, बगैर किसी पूर्वाग्रह के, एक अलग नजरिए से देखने, समझने और सामने लाने की ! इसके साथ ही यह कोशिश भी रहेगी कि कुछ अलग सी, रोचक, अविदित सी जानकारी मिलते ही उसे साझा कर ज्यादा से ज्यादा लोगों तक पहुंचाया जा सके ! अब इसमें इसको सफलता मिले, ना मिले, प्रयास तो सदा जारी रहेगा !
सोमवार, 31 जनवरी 2011
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9 टिप्पणियां:
wah, nai jankari
जानकारी के लिए धन्यवाद|
कही पढ़ा था की उनके भारतीय शिष्य ने ही एवरेस्ट का सही माप किया था क्या मेरी ये जानकारी सही है |
हम आज तक इस कर्नल सर जार्ज एवरेस्ट के नाम से क्यो चिपके बेठे हे, कोई ओर देश होता तो आज तक इस अग्रेजॊ के नाम को सभी जगह से हटा देता, आप के लेख से एक अच्छी जानकारी मिली, ्धन्यवाद
achhi jankari
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दो प्रश्न :
क्या 'एवरेस्ट' नामकरण से पहले वह ऊँची पर्वत शृंखला बेनाम थी?
गगनचुम्बी यह चोटी किसी भारतीय की दृष्टि बची कैसे रह गयी?
जबकि भारतीयों की प्रवर्त्ति रही कि वे अपने आस-पास की जड़ वस्तुओं तक का नाम पहले रखते है उपयोग बाद में करते हैं.
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माउंट एवरेस्ट को स्थानीय नेपाली लोग सागरमाथा कहते है! यह पर्वत भारत में नहीं, नेपाल चीन सीमा पर है !
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आशीष श्रीवास्तव जी,
'सागरमाथा' नाम जानकार बहुत खुशी हुई.
शब्द से ध्वनि निकल रही है : सागर जब मथा [समुद्र-मंथन] तब ही इसकी उत्पत्ति हुई.
आज के भू-शास्त्री भी मानते हैं कि कभी यहाँ विशाल सागर हुआ करता था.
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जानकारी देने के लिये आभारी हूँ.
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बेहतरीन पोस्ट लेखन के लिए बधाई !
आशा है कि अपने सार्थक लेखन से,आप इसी तरह, ब्लाग जगत को समृद्ध करेंगे।
आपकी पोस्ट की चर्चा ब्लाग4वार्ता पर है - पधारें - ठन-ठन गोपाल - क्या हमारे सांसद इतने गरीब हैं - ब्लॉग 4 वार्ता - शिवम् मिश्रा
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