किसी से बात करते समय किसी का चेहरा भले ही सपाट रहे पर उसके हाव-भाव तथा "शारीरिक भाषा" उसकी बातों की सच्चाई व्यक्त कर ही देते हैं।
* क्या आप किसी से बात करते समय अनजाने में अपने मुंह या गर्दन को छूते रहते हैं ?
* क्या किसी से बात करते हुए आप अक्सर हकला जाते हैं ?
* क्या सामने वाले से बतियाते समय आप जबरन मुस्कुराने तो नहीं लग जाते ?
* क्या किसी को कुछ कहते हुए आपका गला तो नहीं रुंध जाता ?
* क्या सामने वाले को कोई बात बताते हुए आप उससे आंखें नहीं मिला पाते ?
* क्या किसी से बात करते हुए आप बार-बार अपने कंधे तो नहीं उचकाते ?
* क्या किसी से बात करते समय आपको अपना रक्त चाप बढ़ा हुआ लगता है ? या पसीना तो नहीं आ जाता ?
* किसी से बात करते हुए क्या आपकी आवाज तेज हो जाती है ?
* क्या आप किसी को कुछ बताते समय अपनी बात बार-बार दोहराते हैं ?
यदि ऐसा है तो माफी चाहूंगा :-) आप सामने वाले से झूठ बोल रहे हैं ।
वैसे झूठ बोलना हर समय गलत नहीं होता। किसी की रक्षा के लिए इसका उपयोग देवता भी करते आए हैं।
कहा भी गया है, प्रिय सत्य बोलिए। अप्रिय सत्य न बोलिए।
ऐसा शायद ही कोई इंसान होगा जिसने इसका सहारा न लिया हो। खोज बताती है कि राजनीति से जुड़े लोग इस मामले में सबसे आगे होते हैं। उसके बाद सेल्समैनों, वकीलों तथा अभिनेता/त्रियों की बारी आती है। कभी-कभी डाक्टर भी अपने मरीज के हित में झूठ बोल लेते हैं। सबसे कम इस विधा का उपयोग करने वालों में वैज्ञानिकों, स्थापत्यकारों और इंजीनियरों को शामिल किया गया है। इसका कारण भी है कि इनके मिथ्याभाषण को आसानी से पकड़ा जो जा सकता है।
एक बात और, विशेषज्ञों का कहना है कि स्त्रियाँ ज्यादा झूठ बोलती हैं ।
माफ कीजिएगा यह मैं नही न कह रहा हूँ :-)
इस ब्लॉग में एक छोटी सी कोशिश की गई है कि अपने संस्मरणों के साथ-साथ समाज में चली आ रही मान्यताओं, कथा-कहानियों को, बगैर किसी पूर्वाग्रह के, एक अलग नजरिए से देखने, समझने और सामने लाने की ! इसके साथ ही यह कोशिश भी रहेगी कि कुछ अलग सी, रोचक, अविदित सी जानकारी मिलते ही उसे साझा कर ज्यादा से ज्यादा लोगों तक पहुंचाया जा सके ! अब इसमें इसको सफलता मिले, ना मिले, प्रयास तो सदा जारी रहेगा !
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14 टिप्पणियां:
सर स्त्रियां ज्यादा झूठ बोलती हैं, ये लाइन आपके लेख की जान बढ़ा गयी - :)
ये वीडियो देखिये मजा आ जायेगा
चल झूठी
आदरणीय शर्मा जी आपका यह आलेख जानकारी से भरपूर है मग़र महिलाएं ज्यादा झूठ बोलती है यह बात गले से नहीं उतरती इस सन्दर्भ में थोड़ा मुझे सोचना पड़ेगा , आभार
सूची में दिए गए कुछ हाव भाव, मुझे तो लगता है सर्व व्याप्त है.
:)
स्त्रियाँ अभी नारी युनियन की लीडर आ रही हे आप की सुध लेने.... राम राम जी हम चले :)
झुठ सब बराबर बोलते होंगे वो चाहे महिला हो या मर्द हो, ओर झुठ का पता भी उसी समय लग जाता हे, बस सामने वाला सब जान कर भी चुप रहता हे,
सच बोलता कौन है आज
सच भी बोलता है झूठ।
मीडियोकर्मियों को संबोधित करते हुए हिन्दी ब्लॉगिग कार्यशाला में अविनाश वाचस्पति ने जो कहा
जब यह बोला तब भी सारे लक्षण वही हैं जो आपने बतलाये हैं, पर अन्यथा नहीं लिया है किसी ने भी। आप इसमें से सिर्फ सच सच ही निकाल दें, पर अन्यथा मत लीजिएगा।
.
सच कहता हूँ, सच कहता हूँ.
अक्सर तो मैं चुप रहता हूँ.
तन-मन पर पड़ती मारों को
बिना वजह सहता रहता हूँ. सच कहता हूँ.
... कृपया अन्यथा न लें.
.
भाटिया जी,
सच कह रहे हैं या......:-)
योगेन्द्र जी, मानते हैं न यह बात मैं ही नहीं कह रहा हूं :-)
हा संभव है की महिलाए ज्यादा झूट बोलती हो उन्हें सभी को खुश रखने की आदत जो होती है सच बोल कर वो दूसरो का दिल नहीं दुखाना चाहती | सबकी माँओ ने कितने झूठ बोले होंगे अपने शैतान बच्चो को बचाने के लिए पड़ोसी से टीचर से पिता से घरवालो से | :)
किन्तु वास्तव में मुझे नहीं लगता है की झूठ बोलने में लिंग कोई कारक होगा ये तो व्यक्ति की फितरत और काम के ऊपर निर्भर होगा |
kuchh alag sa......
आलेख जानकारी से भरपूर है
लेकिन झूठ बोलने वाली बात गले नहीं उतरी
पुरुष भला पीछे कैसे रह सकता है :)
सर ,मै इस बात से पूरी तरह सहमत नही हु की स्त्रियाँ ही झूठ बोलती हे ? हा,कभी कभी चलाना पड़ता हे जिन्दगी को झूठ के सहारे |
दर्शन जी,
यह तो वह हथियार है जो मौके-बेमौके चांद को गंजा होने से बचाता है। पता नहीं कितनी बार माँ के ममत्व ने पिताजी के 'चपत्व' से बचाया होगा बचपन में।
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