माउंट एवरेस्ट, दुनिया की सबसे ऊंची पहाड़ी चोटी। पर यह एवरेस्ट कौन थे जिनके नाम पर इस चोटी का नाम रखा गया ?
1830 से 1843 तक भारत के सर्वेयर जनरल रहे थे कर्नल सर जार्ज एवरेस्ट। आधुनिक भूगणितीय सर्वेक्षण की नींव भारत में उन्होंने ही रखी थी। दक्षिण की कन्याकुमारी से लेकर उत्तर की मसूरी तक हिमालयी पर्वत श्रेणी के वृत्तांश (meridional ark)को मापने जैसा असंभव सा कार्य सर्वप्रथम उन्होंने ही किया था। उनके इसी बहुमूल्य तथा मौलिक कार्य के कारण हिमालय के सर्वोच्च शिखर का नाम उनके नाम पर रखा गया था।
इस ब्लॉग में एक छोटी सी कोशिश की गई है कि अपने संस्मरणों के साथ-साथ समाज में चली आ रही मान्यताओं, कथा-कहानियों को, बगैर किसी पूर्वाग्रह के, एक अलग नजरिए से देखने, समझने और सामने लाने की ! इसके साथ ही यह कोशिश भी रहेगी कि कुछ अलग सी, रोचक, अविदित सी जानकारी मिलते ही उसे साझा कर ज्यादा से ज्यादा लोगों तक पहुंचाया जा सके ! अब इसमें इसको सफलता मिले, ना मिले, प्रयास तो सदा जारी रहेगा !
सदस्यता लें
टिप्पणियाँ भेजें (Atom)
विशिष्ट पोस्ट
रणछोड़भाई रबारी, One Man Army at the Desert Front
सैम मानेक शॉ अपने अंतिम दिनों में भी अपने इस ''पागी'' को भूल नहीं पाए थे। 2008 में जब वे तमिलनाडु के वेलिंगटन अस्पताल में भ...
-
कल रात अपने एक राजस्थानी मित्र के चिरंजीव की शादी में जाना हुआ था। बातों ही बातों में पता चला कि राजस्थानी भाषा में पति और पत्नी के लिए अलग...
-
शहद, एक हल्का पीलापन लिये हुए बादामी रंग का गाढ़ा तरल पदार्थ है। वैसे इसका रंग-रूप, इसके छत्ते के लगने वाली जगह और आस-पास के फूलों पर ज्याद...
-
आज हम एक कोहेनूर का जिक्र होते ही भावनाओं में खो जाते हैं। तख्ते ताऊस में तो वैसे सैंकड़ों हीरे जड़े हुए थे। हीरे-जवाहरात तो अपनी जगह, उस ...
-
चलती गाड़ी में अपने शरीर का कोई अंग बाहर न निकालें :) 1, ट्रेन में बैठे श्रीमान जी काफी परेशान थे। बार-बार कसमसा कर पहलू बदल रहे थे। चेहरे...
-
हनुमान जी के चिरंजीवी होने के रहस्य पर से पर्दा उठाने के लिए पिदुरु के आदिवासियों की हनु पुस्तिका आजकल " सेतु एशिया" नामक...
-
विजयी विश्व तिरंगा प्यारा, झंडा ऊंचा रहे हमारा। हमारे तिरंगे के सम्मान में लिखा गया यह गीत जब भी सुनाई देता है, रोम-रोम पुल्कित हो जाता ...
-
युवक अपने बच्चे को हिंदी वर्णमाला के अक्षरों से परिचित करवा रहा था। आजकल के अंग्रेजियत के समय में यह एक दुर्लभ वार्तालाप था सो मेरा स...
-
"बिजली का तेल" यह क्या होता है ? मेरे पूछने पर उन्होंने बताया कि बिजली के ट्रांस्फार्मरों में जो तेल डाला जाता है वह लगातार &...
-
कहते हैं कि विधि का लेख मिटाए नहीं मिटता। कितनों ने कितनी तरह की कोशीशें की पर हुआ वही जो निर्धारित था। राजा लायस और उसकी पत्नी जोकास्टा। ...
-
अपनी एक पुरानी डायरी मे यह रोचक प्रसंग मिला, कैसा रहा बताइयेगा :- काफी पुरानी बात है। अंग्रेजों का बोलबाला सारे संसार में क्यूं है? क्य...
9 टिप्पणियां:
wah, nai jankari
जानकारी के लिए धन्यवाद|
कही पढ़ा था की उनके भारतीय शिष्य ने ही एवरेस्ट का सही माप किया था क्या मेरी ये जानकारी सही है |
हम आज तक इस कर्नल सर जार्ज एवरेस्ट के नाम से क्यो चिपके बेठे हे, कोई ओर देश होता तो आज तक इस अग्रेजॊ के नाम को सभी जगह से हटा देता, आप के लेख से एक अच्छी जानकारी मिली, ्धन्यवाद
achhi jankari
.
दो प्रश्न :
क्या 'एवरेस्ट' नामकरण से पहले वह ऊँची पर्वत शृंखला बेनाम थी?
गगनचुम्बी यह चोटी किसी भारतीय की दृष्टि बची कैसे रह गयी?
जबकि भारतीयों की प्रवर्त्ति रही कि वे अपने आस-पास की जड़ वस्तुओं तक का नाम पहले रखते है उपयोग बाद में करते हैं.
.
माउंट एवरेस्ट को स्थानीय नेपाली लोग सागरमाथा कहते है! यह पर्वत भारत में नहीं, नेपाल चीन सीमा पर है !
.
आशीष श्रीवास्तव जी,
'सागरमाथा' नाम जानकार बहुत खुशी हुई.
शब्द से ध्वनि निकल रही है : सागर जब मथा [समुद्र-मंथन] तब ही इसकी उत्पत्ति हुई.
आज के भू-शास्त्री भी मानते हैं कि कभी यहाँ विशाल सागर हुआ करता था.
.
.
जानकारी देने के लिये आभारी हूँ.
.
बेहतरीन पोस्ट लेखन के लिए बधाई !
आशा है कि अपने सार्थक लेखन से,आप इसी तरह, ब्लाग जगत को समृद्ध करेंगे।
आपकी पोस्ट की चर्चा ब्लाग4वार्ता पर है - पधारें - ठन-ठन गोपाल - क्या हमारे सांसद इतने गरीब हैं - ब्लॉग 4 वार्ता - शिवम् मिश्रा
एक टिप्पणी भेजें