सोमवार, 27 सितंबर 2010

नए भवनों पर बहुधा लगी "बजरबट्टू" की आकृति आखिर है किस की ?

अधिकांश नये और सुंदर बने भवनों पर एक ड़रावना कले रंग का चेहरा किसी हांडी या तख्ती पर बना छत के पास टंगा नजर आता है। जिसमें बड़ी-बड़ी मूंछें, लाल-लाल आंखें और बाहर निकले दांत दर्शाए गये होते हैं। ऐसी सोच है कि यह नये बने भवन को बुरी नजर से बचाता है। इसे ज्यादातर बजरबट्टू के नाम से जाना जाता है।
कौन है यह बजरबट्टू ? और कैसे यह बचाता है बुरी नजर से, यदि होती है तो?

पुराणों में इसके बारे में एक कथा है। जालंधर नाम का एक दैत्य हुआ करता था। उसने ब्रह्माजी को अपने तप द्वारा प्रसन्न कर असीम बल प्राप्त कर लिया था। जिसकी बदौलत उसने देवताओं को भी पराजित कर स्वर्ग पर अपना अधिकार जमा लिया था। इससे उसे अत्यधिक घमंड़ हो गया था और वह अपने समक्ष सबको तुच्छ समझने लग गया था। अहंकारवश वह नीति अनीती सब भुला बैठा था। हद तो तब हो गयी जब उसने अपने दूत के द्वारा भगवान शिव को पार्वतीजी को अपने हवाले कर देने का संदेश भिजवाया। स्वभाविक ही था शिवजी भयंकर रूप से क्रुद्ध हो उठे और उन्होंने अपना तीसरा नेत्र खोल दिया। नेत्र से भीषण तेज की ज्वाला निकली जिससे एक भयंकर दानव की उत्पत्ति हुई। उस ड़रावनी आकृति ने जैसे ही दूत पर आक्रमण किया वह तुरंत शिवजी की शरण में चला गया। इससे उसकी जान तो बच गयी पर उस दानव की जान पर बन आयी जो भूख से बुरी तरह व्याकुल था। उसने भगवान शिव से अपनी क्षुधा शांत करने की विनती की। तत्काल कोई उपाय ना हो पने के कारण शिवजी ने उसे अपने ही अंग खाने को कह दिया। भूख से विचलित उस दानव ने धीरे-धीरे अपने मुख को छोड़ अपना सारा शरीर खा ड़ाला।

वह आकृति शिवजी से उत्पन्न हुए थी इसलिए प्रभू को बहुत प्रिय थी। उन्होंने उससे कहा, आज से तेरा नाम कीर्तीमुख होगा और तू सदा मेरे द्वार पर रहेगा। इसी कारण पहले कीर्तीमुख सिर्फ शिवालयों पर लगाया जाता था। धीरे-धीरे फिर इसे अन्य देवालयों पर भी लगाया जाने लगा। समयांतर पर इसे बुराई दूर करने का प्रतीक मान लिया गया और यह आकृति बुराई या बुरी नजर से बचने के लिए भवनों पर भी लगाई जाने लगी। पता नहीं कब और कैसे यह मुखाकृति हड़िंयों या तख्तियों पर उतरती चली गयी। जैसा कि आजकल मकानों पर टंगी दिखती हैं। जिनकी ओर नजर पहले चली जाती है। इनके लगाने का आशय भी यही होता है।

इसी का बिगड़ा रूप ट्रकों या गाड़ियों के पीछे लटकते जूते भी हो सकते हैं।

7 टिप्‍पणियां:

समयचक्र ने कहा…

गुरूजी एकाध फोटो लगा देते तो बताने में आसानी होती ? क्या कहें..कुछ नहीं

anshumala ने कहा…

अच्छी जानकारी देने के लिए धन्यवाद |

राज भाटिय़ा ने कहा…

क्या बात है जी पहले बताते तो हमारे नेता भी जो गुलाम बेल्थ गेम करवा रहे है अपने गले मै एक एक हार जुतो का डाल लेते, ओर चेहरे पर इस बजजर बट्टू को लगा लेते, तो बेचारो को नजर ना लगती, ओर रोज नयी से नयी बुरी खबर से बच जाते, बहुत सुंदर जानकारी जी

ब्लॉ.ललित शर्मा ने कहा…

बहुत बढिया जानकारी है भाई साहब।
एकाध फ़ोटो लगा ही देते,
मिसिर जी कह रहे हैं।

संगीता पुरी ने कहा…

अच्‍छी जानकारी !!

हमारीवाणी ने कहा…

आपके ब्लॉग पर लगे हमारीवाणी के कोड में आपके ब्लॉग पते के साथ http:// नहीं लिखा है और www लगा हुआ है, आपसे अनुरोध है, कि www हटा कर इसकी जगह http:// लगा लें, जिससे की आपका ब्लॉग समय पर अपडेट होने लगे.

धन्यवाद!

टीम हमारीवाणी

बेनामी ने कहा…

रोचक जानकारी

भाटिया जी तो जले पर नमक छिडक रहे हैं :-)

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