कभी-कभी कुछ याद आ जाता है तो बांटने की इच्छा हो जाती है.........................
संता सिंह का बेटा बंटी बहुत देर से नाई की दुकान में बैठा था। जब काफी समय हो गया तो नाई ने पुछा, क्यूं बेटा बहुत देर से बैठे हो क्या बात है?बंटी ने जवाब दिया, मुझसे बंता अंकल की कार का शीशा टूट गया है, वे मुझे गुस्से में ढूंढ रहे हैं। यही एक जगह है जहां वह मेरे होने की उम्मीद नहीं कर सकते।
रोज-रोज की परेशानियों, असफलताओं तथा मुफलिसी से परेशान एक मुसीबत के मारे ने भगवान से प्रार्थना की कि अब तो मुझे उठा ही लो तंग आ गया हूं जिंदगी से।
उसी समय यमदूत प्रगट हो बोला, चलो।
आदमी ने घबड़ा कर पूछा , कहां?
यमदूत ने कहा, तुम्हीं ने तो अभी प्रार्थना की थी न कि मुझे उठा लो।
आदमी ने आसमान की तरफ देखते हुए कहा, हे प्रभू गरीब आदमी मजाक भी नहीं कर सकता !!!
जंघेल साहब आफिस जाते समय जैसे अपनी बीवी को गले लगा कर विदा होते हैं, तुम्हारी इच्छा नहीं करती कभी ऐसा करने की ? पत्नि ने पूछा।
होती तो बहुत है, पर जंघेल से डर लगता है। पति ने जवाब दिया।
इस ब्लॉग में एक छोटी सी कोशिश की गई है कि अपने संस्मरणों के साथ-साथ समाज में चली आ रही मान्यताओं, कथा-कहानियों को, बगैर किसी पूर्वाग्रह के, एक अलग नजरिए से देखने, समझने और सामने लाने की ! इसके साथ ही यह कोशिश भी रहेगी कि कुछ अलग सी, रोचक, अविदित सी जानकारी मिलते ही उसे साझा कर ज्यादा से ज्यादा लोगों तक पहुंचाया जा सके ! अब इसमें इसको सफलता मिले, ना मिले, प्रयास तो सदा जारी रहेगा !
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7 टिप्पणियां:
अजी दिल तो सभी का करता है, लेकिन सभी जंधेल साहब से डरते है:)
हा हा हा
बहुत बढिया हैं जी हंसिकाएं,
हंसते आएं और हंसते जाएं।
राम राम
बढिया...
हा हा!! बहुत बढ़िया/
हँसी आ ही गई!
हा...हाहहााहाहाहा..!
मज़ेदार!
सही बात है! सरदार नाई की दुकान पर?????
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