मंगलवार, 27 अप्रैल 2010

हंसने की कीमत नहीं देनी पड़ती,

कभी-कभी कुछ याद आ जाता है तो बांटने की इच्छा हो जाती है.........................

संता सिंह का बेटा बंटी बहुत देर से नाई की दुकान में बैठा था। जब काफी समय हो गया तो नाई ने पुछा, क्यूं बेटा बहुत देर से बैठे हो क्या बात है?बंटी ने जवाब दिया, मुझसे बंता अंकल की कार का शीशा टूट गया है, वे मुझे गुस्से में ढूंढ रहे हैं। यही एक जगह है जहां वह मेरे होने की उम्मीद नहीं कर सकते।
रोज-रोज की परेशानियों, असफलताओं तथा मुफलिसी से परेशान एक मुसीबत के मारे ने भगवान से प्रार्थना की कि अब तो मुझे उठा ही लो तंग आ गया हूं जिंदगी से।
उसी समय यमदूत प्रगट हो बोला, चलो।
आदमी ने घबड़ा कर पूछा , कहां?
यमदूत ने कहा, तुम्हीं ने तो अभी प्रार्थना की थी न कि मुझे उठा लो।
आदमी ने आसमान की तरफ देखते हुए कहा, हे प्रभू गरीब आदमी मजाक भी नहीं कर सकता !!!

जंघेल साहब आफिस जाते समय जैसे अपनी बीवी को गले लगा कर विदा होते हैं, तुम्हारी इच्छा नहीं करती कभी ऐसा करने की ? पत्नि ने पूछा।
होती तो बहुत है, पर जंघेल से डर लगता है। पति ने जवाब दिया।

7 टिप्‍पणियां:

राज भाटिय़ा ने कहा…

अजी दिल तो सभी का करता है, लेकिन सभी जंधेल साहब से डरते है:)

ब्लॉ.ललित शर्मा ने कहा…

हा हा हा
बहुत बढिया हैं जी हंसिकाएं,
हंसते आएं और हंसते जाएं।

राम राम

भारतीय नागरिक - Indian Citizen ने कहा…

बढिया...

Udan Tashtari ने कहा…

हा हा!! बहुत बढ़िया/

डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' ने कहा…

हँसी आ ही गई!
हा...हाहहााहाहाहा..!

मनोज कुमार ने कहा…

मज़ेदार!

नीरज मुसाफ़िर ने कहा…

सही बात है! सरदार नाई की दुकान पर?????

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