शुक्रवार, 9 अप्रैल 2010

विश्वास करें तो पूरा करें :-)

विश्वास करें तो पूरा करें, नहीं तो न करें :-)

दो दोस्त जंगल में ट्रैकिंग के लिये गये। अचानक एक बेहोश हो कर गिर पड़ा और मर गया, दूसरे ने घबड़ा कर मोबाईल से हेल्प लाईन पर फोन कर मदद मांगी कि मेरा दोस्त घने जंगल में मर गया है मुझे सहायता की जरूरत है। उधर से पूछा गया कि क्या तुम्हे विश्वास है कि वह मर गया है। फोन पर एक पल की चुप्पी के बाद गोली चलने की आवाज आई,
फिर जवाब आया, हां।

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तीन दोस्तों को जंगल में घूमते-घूमते रात हो गयी और वे रास्ता भूल गये। पहले ने प्रार्थना की कि हे प्रभू किसी भी तरह मुझे घर पहुंचा दो, घर पर सब चिंता कर रहे होंगे। प्रभू ने उसकी बात सुनी और वह वहां से गायब हो घर पहुंच गया। दूसरे ने भी अपने भगवान को याद कर इस मुसीबत से छुटकारा मांगा, वह भी गायब हो अपने घर पहुंच गया। अब तीसरा डर के मारे रोने लगा। उसको रोता देख आकाशवाणी हुई कि बच्चे क्यों रो रहा है, बोल मैं तेरी क्या सहायता करूं। ये बोला प्रभू बहुत डर लग रहा है मेरे दोस्तों को मेरे पास भेज दो। अगले पल ही उसकी इच्छा पूरी हो गयी।

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एक भला आदमी रात में दुर्घटना ग्रस्त हो खाई में गिर पडा। गिरते हुए किसी तरह उसके हाथ में एक पेड़ की डाल आ गयी जिसे पकड़ कर वह लटक गया और चिल्लाने लगा कि कोई है मुझे बचाओ। उसे इस हालत में देख भगवान को दया आ गयी और आकाशवाणी हुई कि बच्चे जिस डाल को पकड रक्खा है उसे छोड दे तेरे नीचे जगह है बचने की। उस भले आदमी ने आवाज सुनी, फिर दूसरी तरफ़ मुंह कर चिल्लाया,
अरे कोई है, मुझे बचाओ!!!

5 टिप्‍पणियां:

Unknown ने कहा…

बात समझ नहीं आयी आप कहना क्‍या चाह रहे हैं। वैसे अंधवि‍श्‍वास और वि‍श्‍वास में क्‍या अन्‍तर होता है जरा सोचकर बचायें ??

मुकेश "जैफ" ने कहा…

ji aapne bilkul sahi kaha hai kyoki viswash par hi duniya kayam hai.

Udan Tashtari ने कहा…

दोनों बढ़िया पहले के..आखिरी वाला दो बार पढ़ा मगर समझ नहीं आया.

डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' ने कहा…

आप कहते हैं तो विश्वास कर ही लेते हैं!

गगन शर्मा, कुछ अलग सा ने कहा…

समीरजी, अब कौन कैसे किसी का विश्वास करे!!
आकाशवाणी हुई कि बच्चे डाल छोड़ दे, नीचे बचने की जगह है।
पर मुसीबत में फसे को विश्वास नहीं हुआ और उसने फिर किसी "इसी जगत वाले" से बचाने के लिए गुहार लगाई। :)

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