इस ब्लॉग में एक छोटी सी कोशिश की गई है कि अपने संस्मरणों के साथ-साथ समाज में चली आ रही मान्यताओं, कथा-कहानियों को, बगैर किसी पूर्वाग्रह के, एक अलग नजरिए से देखने, समझने और सामने लाने की ! इसके साथ ही यह कोशिश भी रहेगी कि कुछ अलग सी, रोचक, अविदित सी जानकारी मिलते ही उसे साझा कर ज्यादा से ज्यादा लोगों तक पहुंचाया जा सके ! अब इसमें इसको सफलता मिले, ना मिले, प्रयास तो सदा जारी रहेगा !
मंगलवार, 24 नवंबर 2009
ये भी खूब रही :) :) :)
एक कबीले के मुखिया के मर जाने पर उसके शहर से आये बेटे को मुखिया बना दिया गया। ठंड आने के पहले कबीले वाले उसके पास गये और पूछा कि इस बार कैसी ठंड पड़ेगी? कबीले के मुखियों को पीढी दर पीढी से चले आ रहे तजुर्बों से आने वाले मौसम इत्यादि की जानकारी होना आम बात थी। अब जवान मुखिया को इतना तजुर्बा तो था नहीं ना ही उसने इस तरह की बातें अपने बुजुर्गों से सीखी थीं। उसने ऐसे ही कह दिया कि ठीक-ठाक सर्दी पड़ेगी। आप लोग लकड़ियां इकठ्ठी कर लो। कह तो दिया पर फिर भी कुछ अंदाज लेने के लिये वह मौसम विभाग चला गया, वहां उसने पूछा कि इस बार सर्दी कैसी होगी? उन्होंने कहा ठीक-ठाक ही पड़ेगी। लौट कर उसने अपने लोगों से और लकड़यां एकत्र करने को कह दिया। हफ्ते दस दिन बाद फिर अपनी बात सुनिश्चित करने के लिये मुखिया मौसम विभाग गया और पूछा, क्या कहते हैं आप लोग ठंड पड़ेगी ना? वहां से जवाब मिला एकदम पक्की पड़ेगी। लड़के ने वापस आ अपने लोगों को और लकड़ियां एकत्र करने को कह दिया। पर मन ही मन वह अपनी अनभिज्ञता से घबड़ाया हुआ भी था कि कहीं मेरी बात गलत हो गयी तो लोग क्या कहेंगे। सो एक बार फिर वह मौसम विभाग पहुंच गया और बोला, आपकी खबर सर्दी के बारे में पक्की है ना? वहां के अफसर ने जवाब दिया, पक्की? अरे, इस बार रेकार्ड़ तोड़ सर्दी पड़ेगी। युवा मुखिया ने चकित हो पूछा, आप इतने विश्वास के साथ कैसे कह रहे हैं?क्योंकि कबीले वाले पागलों की तरह अंधाधुन लकड़ियां इकठ्ठी किये जा रहे हैं भाई, इससे बड़ा प्रमाण और क्या चाहिये।
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14 टिप्पणियां:
हा हा हा हा हा हा हा हा हा हा हा हा मजेदार जी सभी आलसी एक दुसरे को देख कर अंदाजा लगा रहे है
gazab...........ha ha ha ha
hahahahahahaahahahaha....bahut achcha laga padh kar....
हा हा!! मौसम विभाग भी कबिले पर आश्रित!! :)
प्रकृति पर जो जितना आश्रित रहेगा .. वह प्रकृति के रहस्यों को उतना समझ पाएगा .. ये बात वैज्ञानिक भी जानते हैं .. पर स्वीकार करना कठिन होता है .. चलिए उन्होने स्वीकारा तो !!
वाह...!
गर्धबराज के मुण्डन पर
पूरी फौज ने ही सिर मुँडा लिया।
भेड़ चाल में सभी शामिल हैं.
हा हा हा। मौसम विभाग की जय हो !
वाकई ये भी खूब रही :)
रोचक ! वैसे इस बार कैसी ठंड पड़ेगी?
घुघूती बासूती
क्या बात है शर्मा जी,वाट लगा दी आपने तो मौसम विभाग की।
ha ha ha ha :)
घुघूती बासूती जी, लकड़ियां तो इकट्ठी कर ली हैं, देखें। :)
Gaganji
Still your blog comes with very small and nondark letters.
Plz do the needful.
Thanx.
-Harshad Jangla
Atlanta, USA
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