दो-तीन दिन पहले अवधिया जी तथा भाटिया जी की पोस्टों को देख कर वायसराय लार्ड कर्जन के जीवन में घटी कुछ अजीबोगरीब घटनाओं के बारे मे पढा हुआ याद आ गया।
सन 1899 मे लार्ड कर्जन वायसराय बन कर भारत आए तो बीकानेर के महाराजा के निमंत्रंण पर वे राजस्थान के दौरे पर बीकानेर पहुंच गये। उन्हें वैसे भी राजस्थान से कुछ ज्यादा ही लगाव था। उनके वहां पहुंचने पर महाराजा ने उनके सम्मान में एक भव्य भोज का इंतजाम किया था। भोज का कार्यक्रम देर रात तक चलता रहा। उसके बाद कर्जन सीधे सोने चले गये। उस दिन पूर्णमासी की रात थी। अचानक किसी अजीबोगरीब हलचल या आवाज से उनकी नींद टूट गयी। वे खिड़की पर जा खड़े हुए तो उन्हें बागीचे में कुछ लोग नजर आये, जो सफेद कपड़े पहने एक ओर चले जा रहे थे। उन सब के पीछे कुछ दूरी पर एक आदमी अपने सिर पर एक बड़ा सा संदूक उठाए चल रहा था। किसी का भी चेहरा साफ नजर नहीं आ रहा था। सब जने तो बाग से निकल गये पर वह संदूक वाला आदमी पीछे रह गया। जब खिड़की के पास से वह गुजरने लगा तो कर्जन ने देखा कि उसके सर पर संदूक ना हो कर एक ताबूत था। आश्चर्यचकित हो उन्होंने आवाज लगाई कि ठहरो, कौन हो तुम ? इतना सुनते ही वह आदमी रुका और धीरे से अपने चेहरे से ताबूत को थोड़ा सा हटा ऊपर देखने लगा। पूरे चांद की रोशनी में सब कुछ साफ नजर आ रहा था। वायसराय ने जो देखा उससे उनका खून जम सा गया। उन्होंने अपनी जिंदगी में इतना खौफनाक चेहरा कभी नहीं देखा था। तभी उस आदमी के चेहरे पर एक अजीब सी डरावनी वीभत्स हंसी उभर आयी और वह हंसता हुआ एक कोने में जा गायब हो गया। कर्जन ने तुरंत द्वारपालों को दौड़ाया पर कहीं भी किसी के होने का कोई निशान नहीं था। महाराजा को भी इसकी खबर दी गयी। उस पूरी रात और दूसरे दिन सारे बीकानेर का चप्पा-चप्पा छान मारा गया, आस-पास के सभी इलाकों में भी वैसे चेहरे वाले की खोज की गयी पर सब बेकार।
हांलाकि कर्जन इस बात को धीरे-धीरे भूल गये थे। पर बात यहीं खत्म नहीं हुए थी। होनी अभी भी अपना खेल दिखाने को तैयार बैठी थी। कुछ सालों के बाद सम्राट के प्रतिनिधि के रूप में उन्हें पेरिस में आयोजित एक समारोह में भाग लेने जाना पड़ा था। “प्लेस ला दूर्त” में उस दिन बहुत ज्यादा गहमा-गहमी थी। महलों जैसे उस भवन की चौथी मंजिल पर सम्मेलन का आयोजन किया गया था। सरी लिफ्टों में लंबी-लंबी लाईनें लगी हुए थीं। खास लोगों की लिफ्ट के पस जब कर्जन पहुंचे तो वहां मौजूद लोगों ने सौजन्यवश उनसे आग्रह किया कि वह पहले जा कर सम्मेलन में शरीक हो जायें। कर्जन ने उनलोगों को धन्यवाद देते हुए लिफ्ट की ओर कदम बढये ही थे कि उन्हें अंदर सिर झुकाए कोई बैठा नजर आया। इनके पास पहुंचते ही उसने अपना सिर धीरे से उठाया तो कर्जन को तुरंत वह चेहरा याद आ गया जो सालों पहले उन्होंने बीकानेर के महल के उद्यान में ताबूत उठाये देखा था। यकीनन ही यही था वह इंसान, पर हज़ारों मील दूर यहां कैसे? उनके सारे शरीर में ठंडी लहर की झुनझुनी दौड़ गयी। तभी उस आदमी के चेहरे पर फिर वैसी ही एक शैतानी हंसी उभर आयी। कर्जन तुरंत वापस बाहर आ गये। लोगों के कारण पूछने पर उन्होंने जरूरी कागजात भुल आने की बात कही। वहां से वह तुरंत सुरक्षा अधिकारियों के पास गये और उस भयानक चेहरे वाले के बारे में पूछ-ताछ की। अधिकारियों ने ऐसे किसी भी आदमी के बारे में जानकारी होने से इंकार किया।
तभी इमारत में एक जोरदार धमाका हुआ। सभी लोग उस ओर दौड़ पड़े। वहां दिल दहला देने वाला दृष्य सामने था। लिफ्ट को संभालने वाले लोहे की रस्सियों के टूट जाने की वजह से लिफ्ट नीचे आ गिरी थी। बहुत से व्यक्ति काल के गाल में समा गये थे। पर उस भयानक चेहरे वाले इंसान का कहीं भी कोई अता-पता नहीं था।
कौन था वह, इंसान या कोई और? वह कर्जन को मारना चाहता था या बचाना? इसका जवाब ना तो कभी दुनिया को मिल पाया और नही लार्ड कर्जन को।
इस ब्लॉग में एक छोटी सी कोशिश की गई है कि अपने संस्मरणों के साथ-साथ समाज में चली आ रही मान्यताओं, कथा-कहानियों को, बगैर किसी पूर्वाग्रह के, एक अलग नजरिए से देखने, समझने और सामने लाने की ! इसके साथ ही यह कोशिश भी रहेगी कि कुछ अलग सी, रोचक, अविदित सी जानकारी मिलते ही उसे साझा कर ज्यादा से ज्यादा लोगों तक पहुंचाया जा सके ! अब इसमें इसको सफलता मिले, ना मिले, प्रयास तो सदा जारी रहेगा !
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12 टिप्पणियां:
बहुत बढ़िया जानकारी रही . काफी कुक जानने का अवसर मिला आभार.
bahut achcha laga padh kar...
इस जानकारी के लिए आभार!
ब्लॉग अलग-सा । हर एक पोस्ट अलग-सी । आभार ।
कभी कभी कुछ बाते हमारी समझ से बाहर होती है, धन्यवाद
ओह..मेरे तो रौंगटे खड़े हो जाते...
मेरे तो रोंगटे खडे हो गये .
रोचक!
रोचक एवं विस्मयकारी!!
बहुत सारे रहस्य अभी भी ऐसे हैं जिन्हें जानने-समझने के लिये हमें अपने-ज्ञान विज्ञान का और भी विकास करना होगा।
रोचक ... किसी डरावनी फिल्म का हिस्सा सा लगता है ...
लोर्ड कर्ज़न ने अपने आप को चेतावनी देकर बचा लिया -
अजीब दास्ताँ सुनाई आपने
- लावण्या
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