रविवार, 22 नवंबर 2009

इंसान की भूल की अनोखी सजा भुगतती एक कब्र

मध्य प्रदेश के इटावा-फ़र्रुखाबाद मार्ग पर जुगराम जी का एक प्रसिद्ध मंदिर है। उसी के पास जरा सा आगे जाने पर एक मकबरा है जो अपने नाम और खुद से जुड़ी प्रथा के कारण खासा मशहूर है। इसे 'चुगलखोर के मकबरे' के नाम से जाना जाता है और प्रथा यह है कि यहां से गुजरने वाला हर शख्स इसकी कब्र पर कम से कम पांच जूते मारता है। क्योंकि यहां के लोगों में ऐसी धारणा है कि इसे जूते मार कर आरंभ की गयी यात्रा निर्विघ्न पूरी होती है।

ऐसा क्यों है इसकी कोई निश्चित प्रामाणिकता तो नहीं है पर जैसा यहां के लोग बताते हैं कि बहुत पहले इस विघ्नसंतोषी, सिरफिरे इंसान ने अपने किसी व्यक्तिगत स्वार्थ के लिये दो राजाओं को आपस में गलत अफवाहें फैला कर लड़वा दिया था। वह तो युद्ध के दौरान ही सच्चाई का पता चल गया और व्यापक जनहानि होने से बच गयी। इसे पकड़ मंगवाया गया और मौत की सजा दे दी गयी। पर ऐसा नीच कृत्य करने वाले को मर कर भी चैन ना मिले इसलिये उसका मकबरा बनवा कर यह फर्मान जारी कर दिया गया कि इधर से हर गुजरने वाला इस कब्र पर पांच जूते मार कर ही आगे जायेगा। जिससे भविष्य में और कोई ऐसी घिनौनी हरकत ना करे।

है ना अनोखी सजा! जो ना जाने कब से दी जा रही है और ना जाने कब तक दी जाती रहेगी।

5 टिप्‍पणियां:

dhiru singh { धीरेन्द्र वीर सिंह } ने कहा…

यह सज़ा तो खूब रही

राज भाटिय़ा ने कहा…

चलो सभी नेतओ के भी मकवरे बना दे:)
वहां जरुर मोचियो की मोज होगी, यानि खुब पेसा कमाते होंगे:)

विवेक रस्तोगी ने कहा…

हाँ हमने भी इस मकबरे के बारे में सुना था वाकई बहुत अजीबो गरीब है।

Udan Tashtari ने कहा…

अजब गजब बात निकाल कर लाते हैं आप!!

Pt. D.K. Sharma "Vatsa" ने कहा…

सिर्फ एक गुनाह की इतनी बडी सजा कि मरने के बाद भी सदियो तक उससे मुक्ति नहीं...

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