एक ऐसा गांव जहां का हर निवासी दृष्टिहीन है। काफी पहले इस गांव के बारे में पढा था। पर विश्वास नही होता कि आज के युग में भी क्या ऐसा संभव है। इसीलिये सब से निवेदन है कि इस बारे में यदि और जानकारी हो तो बतायें।
इस गांव का नाम है 'टुलप्टिक। जो मेक्सिको के समुद्री इलाके में आबाद है। यहां हज़ार के आस-पास की आबादी है। यहां पैदा होने वाला बच्चा कुदरती तौर पर स्वस्थ होता है पर कुछ ही महीनों में उसे दिखना बंद हो जाता है। ऐसा सिर्फ मनुष्यों के साथ ही नहीं है यहां का हर जीव-जन्तु अंधा है। पर यह अंधत्व भी उनके जीवन की रवानी में अवरोध उत्पन्न नहीं कर सका है।
गांव में एक ही सड़क के किनारे सब की खिड़की-दरवाजों रहित झोंपड़ियां खड़ी हैं। सुबह जंगल के पशु-पक्षियों की आवाजें उन्हें जगाती हैं। पुरुष खेतों में काम करते हैं और महिलायें घर-बार संभालना शुरु करती हैं। बच्चे भी इकठ्ठे हो कर खेलते हैं। शाम को दिन भर की कड़ी मेहनत के बाद पुरुष एकसाथ मिल बैठ कर अपनी समस्यायें सुलझाते हैं। यानी आम गांवों की तरह चौपाल जमती है। इनका भोजन सिर्फ सेम, फल और मक्का है। इनके उपकरण भी पत्थर और लकडी के बने हुए हैं तथा इनका बिस्तर भी पत्थर का ही होता है।
1927 में मेक्सिको के विख्यात समाजशास्त्री डाक्टर ग्यारडो ने इस रहस्य का पर्दा उठाने के लिए वहां रहने का निश्चय किया। परन्तु 15-20 दिनों के बाद ही उन्हें अपनी आंखों में तकलीफ का आभास होने लगा और वे वहां से चले आये।
काफी खोज-बीन के बाद विज्ञानिक इस निष्कर्ष पर पहुंचे हैं कि इस भयानक रोग का कारण "इनकरस्पास" नाम का एक किटाणु है और इसको फैलाने का काम वहां पायी जाने वाली एक खास तरह की मधुमक्खियां करती हैं।
अब सवाल यह उठता है कि ऐसा क्या लगाव या जुड़ाव है उन लोगों का उस जगह से जो इतना कष्ट सहने के बावजूद वे वहीं रह रहे हैं। सोच कर ही रोंगटे खड़े हो जाते हैं कि कैसे वे अपना निर्वाह करते होंगे। या तो यह बिमारी धीरे-धीरे पनपी होगी, नहीं तो काम-काज कैसे सीख पाये होंगे। घर, सड़क, खेत आदि कैसे बने होंगे। सैंकड़ों प्रश्न मुंह बाये खड़े हैं। फिर अंधेपन के हजार दुश्मन होते हैं उनसे कैसे अपनी रक्षा कर पाते होंगे। वहां की सरकार भी क्यों नहीं कोई कदम उठाती उन्हें इस त्रासदी से छुटकारा दिलाने के लिए।
यह जानकारी पूरानी है। इसीलिये मेरी फिर एक बार गुजारिश है कि इस बारे में कोई नवीनतम जानकारी हो तो अवश्य बतायें।
इस ब्लॉग में एक छोटी सी कोशिश की गई है कि अपने संस्मरणों के साथ-साथ समाज में चली आ रही मान्यताओं, कथा-कहानियों को, बगैर किसी पूर्वाग्रह के, एक अलग नजरिए से देखने, समझने और सामने लाने की ! इसके साथ ही यह कोशिश भी रहेगी कि कुछ अलग सी, रोचक, अविदित सी जानकारी मिलते ही उसे साझा कर ज्यादा से ज्यादा लोगों तक पहुंचाया जा सके ! अब इसमें इसको सफलता मिले, ना मिले, प्रयास तो सदा जारी रहेगा !
सदस्यता लें
टिप्पणियाँ भेजें (Atom)
विशिष्ट पोस्ट
रणछोड़भाई रबारी, One Man Army at the Desert Front
सैम मानेक शॉ अपने अंतिम दिनों में भी अपने इस ''पागी'' को भूल नहीं पाए थे। 2008 में जब वे तमिलनाडु के वेलिंगटन अस्पताल में भ...
-
कल रात अपने एक राजस्थानी मित्र के चिरंजीव की शादी में जाना हुआ था। बातों ही बातों में पता चला कि राजस्थानी भाषा में पति और पत्नी के लिए अलग...
-
शहद, एक हल्का पीलापन लिये हुए बादामी रंग का गाढ़ा तरल पदार्थ है। वैसे इसका रंग-रूप, इसके छत्ते के लगने वाली जगह और आस-पास के फूलों पर ज्याद...
-
आज हम एक कोहेनूर का जिक्र होते ही भावनाओं में खो जाते हैं। तख्ते ताऊस में तो वैसे सैंकड़ों हीरे जड़े हुए थे। हीरे-जवाहरात तो अपनी जगह, उस ...
-
चलती गाड़ी में अपने शरीर का कोई अंग बाहर न निकालें :) 1, ट्रेन में बैठे श्रीमान जी काफी परेशान थे। बार-बार कसमसा कर पहलू बदल रहे थे। चेहरे...
-
हनुमान जी के चिरंजीवी होने के रहस्य पर से पर्दा उठाने के लिए पिदुरु के आदिवासियों की हनु पुस्तिका आजकल " सेतु एशिया" नामक...
-
विजयी विश्व तिरंगा प्यारा, झंडा ऊंचा रहे हमारा। हमारे तिरंगे के सम्मान में लिखा गया यह गीत जब भी सुनाई देता है, रोम-रोम पुल्कित हो जाता ...
-
युवक अपने बच्चे को हिंदी वर्णमाला के अक्षरों से परिचित करवा रहा था। आजकल के अंग्रेजियत के समय में यह एक दुर्लभ वार्तालाप था सो मेरा स...
-
"बिजली का तेल" यह क्या होता है ? मेरे पूछने पर उन्होंने बताया कि बिजली के ट्रांस्फार्मरों में जो तेल डाला जाता है वह लगातार &...
-
कहते हैं कि विधि का लेख मिटाए नहीं मिटता। कितनों ने कितनी तरह की कोशीशें की पर हुआ वही जो निर्धारित था। राजा लायस और उसकी पत्नी जोकास्टा। ...
-
अपनी एक पुरानी डायरी मे यह रोचक प्रसंग मिला, कैसा रहा बताइयेगा :- काफी पुरानी बात है। अंग्रेजों का बोलबाला सारे संसार में क्यूं है? क्य...
23 टिप्पणियां:
कुछ वर्ष पूर्व जब पहनी बार यह सब पढा था तो रोम-रोम सिहर उठा था । धीरे-धीरे, वह सब भूल गया । आज फिर आपकी पोस्ट ने उसी दशा में ला खडा किया ।
अजीब सा लग रह है ।
भगवान ऐसे गावं से इंसान को बचाया .
भगवान ने आपकी सुन ली, अब वह गाँव नहीं है, क्योंकि मुझे भी वेब पर काफी खोजने बाद भी नहीं मिला, तो ठीक ही हो गया होगा.
राम राम यह केसा गाव ? मे देखता हु गुगल मै.
धन्यवाद
oh ! very sad.
अच्छा िलखा है आपने । मैने अपने ब्लाग पर एक लेख िलखा है-आत्मिवश्वास के सहारे जीतें िजंदगी की जंग-समय हो तो पढें और प्रितिक्रया भी दें-
http://www.ashokvichar.blogspot.com
ठीक है अगली बार मैक्सिको जाऊँगा तो पता करूँगा :)
very intersting and informative too
regards
ऐसी किसी जगह के बारे में आज पहली बार सुना. हर तरह से और जानकारी ढूँढने की कोशिश की मगर कुछ भी पता नहीं लगा. इस जानकारी के स्रोत के बारे में जानने की उत्सुकता है!
जी नमस्ते ,
आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल रविवार(०१-०८-२०२१) को
'गोष्ठी '(चर्चा अंक-४१४३) पर भी होगी।
आप भी सादर आमंत्रित है।
सादर
मन द्रवित करती दारुण कथा।
सच अनेको प्रश्न खड़े हैं मुँह बाए।
बेहतरीन सृजन हमेशा की तरह।
सादर नमस्कार
ओह!!!
भगवान बचाये ऐसे गाँव से... सचमुच कितना मुश्किल होगा उनका जीवन।।
ओह्ह्ह...
जी सर, आपके रोचक आश्चर्य से भरे लेखों की शृंखला एक बेहतरीन धरोहर बन रही है पाठकों के लिए।
साधुवाद आपको
प्रणाम सर
सादर।
विस्मयकारी प्रस्तुति ।
अद्भुत जानकारी देती पोस्ट ।
कुसुम जी
रचना की खोज-खबर ले उसे स्थान प्रदान करने हेतु अनेकानेक धन्यवाद
अनीता जी
प्रकृति की रहस्यमयता अभेद्य है
सुधा जी
हमें तो सोच कर ही सिहरन हो जाती है ! वाशिंदे कैसे रहते होंगे !
श्वेता जी
हार्दिक आभार ! आप सबका स्नेह यूँही बना रहे !
अमृता जी
कायनात अद्भुत है !
संगीता जी
हार्दिक आभार
वैज्ञानिकों के अनुसार यहां लोगों के अंधेपन का कारण एक खतरनाक और जहरीली मक्खी है। जिसके काटने से ही लोगों के आंखों की रोशनी चली जाती है। वैसे यह भी माना जाता है कि कुछ लोगों की आंखों की रोशनी ठीक है, जिनकी वजह से ही बाकी के लोग यहां रह पाते हैं।
Smart Indian
नमस्कार !
दो जानकारीयुक्त लिंक भेज रहा हूँ !
https://zeenews.india.com/hindi/off-beat/weird-facts-weird-news-tiltepec-village-in-mexico-where-every-living-object-loses-eyesight/914975
:
https://www.amarujala.com/photo-gallery/bizarre-news/tiltepec-village-mexico-where-human-to-animals-everyone-is-blind?pageId=2
मेक्सिको के इस गांव का नाम टिल्टेपक (Tiltepec) है
एक टिप्पणी भेजें