शनिवार, 13 दिसंबर 2008

एक गांव, जहां रहने पर अंधा होना पड़ता है।

एक ऐसा गांव जहां का हर निवासी दृष्टिहीन है। काफी पहले इस गांव के बारे में पढा था। पर विश्वास नही होता कि आज के युग में भी क्या ऐसा संभव है। इसीलिये सब से निवेदन है कि इस बारे में यदि और जानकारी हो तो बतायें।
इस गांव का नाम है 'टुलप्टिक। जो मेक्सिको के समुद्री इलाके में आबाद है। यहां हज़ार के आस-पास की आबादी है। यहां पैदा होने वाला बच्चा कुदरती तौर पर स्वस्थ होता है पर कुछ ही महीनों में उसे दिखना बंद हो जाता है। ऐसा सिर्फ मनुष्यों के साथ ही नहीं है यहां का हर जीव-जन्तु अंधा है। पर यह अंधत्व भी उनके जीवन की रवानी में अवरोध उत्पन्न नहीं कर सका है।
गांव में एक ही सड़क के किनारे सब की खिड़की-दरवाजों रहित झोंपड़ियां खड़ी हैं। सुबह जंगल के पशु-पक्षियों की आवाजें उन्हें जगाती हैं। पुरुष खेतों में काम करते हैं और महिलायें घर-बार संभालना शुरु करती हैं। बच्चे भी इकठ्ठे हो कर खेलते हैं। शाम को दिन भर की कड़ी मेहनत के बाद पुरुष एकसाथ मिल बैठ कर अपनी समस्यायें सुलझाते हैं। यानी आम गांवों की तरह चौपाल जमती है। इनका भोजन सिर्फ सेम, फल और मक्का है। इनके उपकरण भी पत्थर और लकडी के बने हुए हैं तथा इनका बिस्तर भी पत्थर का ही होता है।
1927 में मेक्सिको के विख्यात समाजशास्त्री डाक्टर ग्यारडो ने इस रहस्य का पर्दा उठाने के लिए वहां रहने का निश्चय किया। परन्तु 15-20 दिनों के बाद ही उन्हें अपनी आंखों में तकलीफ का आभास होने लगा और वे वहां से चले आये।
काफी खोज-बीन के बाद विज्ञानिक इस निष्कर्ष पर पहुंचे हैं कि इस भयानक रोग का कारण "इनकरस्पास" नाम का एक किटाणु है और इसको फैलाने का काम वहां पायी जाने वाली एक खास तरह की मधुमक्खियां करती हैं।
अब सवाल यह उठता है कि ऐसा क्या लगाव या जुड़ाव है उन लोगों का उस जगह से जो इतना कष्ट सहने के बावजूद वे वहीं रह रहे हैं। सोच कर ही रोंगटे खड़े हो जाते हैं कि कैसे वे अपना निर्वाह करते होंगे। या तो यह बिमारी धीरे-धीरे पनपी होगी, नहीं तो काम-काज कैसे सीख पाये होंगे। घर, सड़क, खेत आदि कैसे बने होंगे। सैंकड़ों प्रश्न मुंह बाये खड़े हैं। फिर अंधेपन के हजार दुश्मन होते हैं उनसे कैसे अपनी रक्षा कर पाते होंगे। वहां की सरकार भी क्यों नहीं कोई कदम उठाती उन्हें इस त्रासदी से छुटकारा दिलाने के लिए।
यह जानकारी पूरानी है। इसीलिये मेरी फिर एक बार गुजारिश है कि इस बारे में कोई नवीनतम जानकारी हो तो अवश्य बतायें।

23 टिप्‍पणियां:

विष्णु बैरागी ने कहा…

कुछ वर्ष पूर्व जब पहनी बार यह सब पढा था तो रोम-रोम सिहर उठा था । धीरे-धीरे, वह सब भूल गया । आज फिर आपकी पोस्‍ट ने उसी दशा में ला खडा किया ।
अजीब सा लग रह है ।

dhiru singh { धीरेन्द्र वीर सिंह } ने कहा…

भगवान ऐसे गावं से इंसान को बचाया .

बेनामी ने कहा…

भगवान ने आपकी सुन ली, अब वह गाँव नहीं है, क्योंकि मुझे भी वेब पर काफी खोजने बाद भी नहीं मिला, तो ठीक ही हो गया होगा.

राज भाटिय़ा ने कहा…

राम राम यह केसा गाव ? मे देखता हु गुगल मै.
धन्यवाद

Dr. Ashok Kumar Mishra ने कहा…

oh ! very sad.

अच्छा िलखा है आपने । मैने अपने ब्लाग पर एक लेख िलखा है-आत्मिवश्वास के सहारे जीतें िजंदगी की जंग-समय हो तो पढें और प्रितिक्रया भी दें-

http://www.ashokvichar.blogspot.com

विवेक सिंह ने कहा…

ठीक है अगली बार मैक्सिको जाऊँगा तो पता करूँगा :)

makrand ने कहा…

very intersting and informative too
regards

Smart Indian ने कहा…

ऐसी किसी जगह के बारे में आज पहली बार सुना. हर तरह से और जानकारी ढूँढने की कोशिश की मगर कुछ भी पता नहीं लगा. इस जानकारी के स्रोत के बारे में जानने की उत्सुकता है!

मन की वीणा ने कहा…

जी नमस्ते ,
आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल रविवार(०१-०८-२०२१) को
'गोष्ठी '(चर्चा अंक-४१४३)
पर भी होगी।
आप भी सादर आमंत्रित है।
सादर

अनीता सैनी ने कहा…

मन द्रवित करती दारुण कथा।
सच अनेको प्रश्न खड़े हैं मुँह बाए।
बेहतरीन सृजन हमेशा की तरह।
सादर नमस्कार

Sudha Devrani ने कहा…

ओह!!!
भगवान बचाये ऐसे गाँव से... सचमुच कितना मुश्किल होगा उनका जीवन।।

Sweta sinha ने कहा…

ओह्ह्ह...
जी सर, आपके रोचक आश्चर्य से भरे लेखों की शृंखला एक बेहतरीन धरोहर बन रही है पाठकों के लिए।
साधुवाद आपको

प्रणाम सर
सादर।

Amrita Tanmay ने कहा…

विस्मयकारी प्रस्तुति ।

संगीता स्वरुप ( गीत ) ने कहा…

अद्भुत जानकारी देती पोस्ट ।

गगन शर्मा, कुछ अलग सा ने कहा…

कुसुम जी
रचना की खोज-खबर ले उसे स्थान प्रदान करने हेतु अनेकानेक धन्यवाद

गगन शर्मा, कुछ अलग सा ने कहा…

अनीता जी
प्रकृति की रहस्यमयता अभेद्य है

गगन शर्मा, कुछ अलग सा ने कहा…

सुधा जी
हमें तो सोच कर ही सिहरन हो जाती है ! वाशिंदे कैसे रहते होंगे !

गगन शर्मा, कुछ अलग सा ने कहा…

श्वेता जी
हार्दिक आभार ! आप सबका स्नेह यूँही बना रहे !

गगन शर्मा, कुछ अलग सा ने कहा…

अमृता जी
कायनात अद्भुत है !

गगन शर्मा, कुछ अलग सा ने कहा…

संगीता जी
हार्दिक आभार

गगन शर्मा, कुछ अलग सा ने कहा…

वैज्ञानिकों के अनुसार यहां लोगों के अंधेपन का कारण एक खतरनाक और जहरीली मक्खी है। जिसके काटने से ही लोगों के आंखों की रोशनी चली जाती है। वैसे यह भी माना जाता है कि कुछ लोगों की आंखों की रोशनी ठीक है, जिनकी वजह से ही बाकी के लोग यहां रह पाते हैं।

गगन शर्मा, कुछ अलग सा ने कहा…

Smart Indian
नमस्कार !
दो जानकारीयुक्त लिंक भेज रहा हूँ !

https://zeenews.india.com/hindi/off-beat/weird-facts-weird-news-tiltepec-village-in-mexico-where-every-living-object-loses-eyesight/914975
:
https://www.amarujala.com/photo-gallery/bizarre-news/tiltepec-village-mexico-where-human-to-animals-everyone-is-blind?pageId=2

गगन शर्मा, कुछ अलग सा ने कहा…

मेक्सिको के इस गांव का नाम टिल्टेपक (Tiltepec) है

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